YTC में लगे भड़काऊ बैनर्स, प्रसिद्ध इतिहासकार और लेखकों को बताया रावण के 10 सिर, विरोध में उतरे NLIU के स्टूडेंट्स

रोमिला थापर, शशि थरूर, रामचंद्र गुहा को रावण के 10 सिर बताने का मामला, विवादों में घिरा यंग थिंकर्स फोरम द्वारा आयोजित यंग थिंकर्स कॉन्क्लेव, NLIU के स्टूडेंट्स बार एसोसिएशन ने की कार्रवाई की मांग

Updated: Oct 01, 2023, 02:58 PM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में आयोजित यंग थिंकर्स कॉन्क्लेव 2023 एक बार फिर विवादों में घिर गया है। यंग थिंकर्स फोरम द्वारा NLIU परिसर में कराए जा रहे इस कार्यक्रम के विरुद्ध स्टूडेंट्स बार एसोसिएशन ने मोर्चा खोल दिया है। बार एसोसिएशन ने वाइस चांसलर को शिकायती पत्र लिखकर कार्यक्रम को तत्काल रोकने और आयोजकों के विरुद्ध कार्रवाई करने की मांग की है।

दरअसल, NLIU (नेशनल लॉ इंस्टीट्यूट यूनिवर्सिटी) परिसर में आयोजित इस कार्यक्रम में लेखकों और बुद्धिजीवियों को निशाना बनाने के लिए आपत्तिजनक प्रमोशनल पोस्टर्स लगाए गए हैं। इनमें इतिहासकार रोमिला थापर, इरफान हबीब, रामचंद गूहा, सांसद व लेखक शशि थरूर, देवदत्त पटनायक व अन्य को रावन के 10 सिर के रूप में दिखाया गया है। कार्यक्रम स्थल पर इस्लाम और ईसाई विरोधी पुस्तकों की प्रदर्शनी भी लगाए गए हैं। 

NLIU स्टूडेंट्स बार एसोसिएशन ने प्रोफेसर सूर्य प्रकाश को इस संबंध में शिकायती पत्र लिखकर आवश्यक कार्रवाई की मांग की है। छात्रों ने शिकायत में लिखा है कि, 'शुरू में इसे एक शैक्षणिक कार्यक्रम के रूप में प्रस्तावित किया गया था, लेकिन अब आयोजन अपने अकादमिक फोकस से भटक गया है और अब इसे धार्मिक प्रचार प्रसार के लिए एक मंच के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। हम अपने संस्थान द्वारा कायम शैक्षणिक उत्कृष्टता और नैतिक मूल्यों पर गर्व करते हैं। लेकिन इस कार्यक्रम ने हमें निराश किया है। इस कॉन्क्लेव में शामिल होने वाले वक्ता हमारे परिसर में असुरक्षा का माहौल पैदा कर रहे हैं। कन्वेंशन सेंटर के भीतर लगातार धार्मिक नारे लगने से हमारे साथी छात्रों में परेशानी उत्पन्न हो गई है। यह देखना निराशाजनक है कि हमारे विश्वविद्यालय का उपयोग उन उद्देश्यों के लिए किया जा रहा है जो शिक्षा के अपने प्राथमिक उद्देश्य से कोसों दूर हैं।' 

छात्रों ने आगे लिखा कि, 'आयोजक उन पुस्तकों और प्रकाशनों को बढ़ावा दे रहे हैं जो स्पष्ट रूप से इस्लाम और ईसाई धर्म का अपमान करते हैं। धार्मिक अल्पसंख्यकों को इस तरह खुलेआम निशाना बनाना बेहद चिंताजनक और अस्वीकार्य है। कन्वेंशन सेंटर के सामने लगाए गए बैनर किसी भी सार्थक शैक्षणिक एजेंडे की पूर्ति नहीं करते। ऐसा प्रतीत होता है कि उनका उद्देश्य बौद्धिक विमर्श में सकारात्मक योगदान दिए बिना कुछ व्यक्तियों का उपहास करना है।आयोजन के दौरान, ऐसे उदाहरण भी थे जहां एलजीबीटीक्यू समुदाय का उपहास किया गया। इससे हमारे विश्वविद्यालय के भीतर एक शत्रुतापूर्ण और विभाजनकारी माहौल निर्मित हो रहे हैं, जो सम्मान, समावेशिता और विविधता के उन मूल्यों के विपरीत है जिनका हम पालन करते हैं।'

छात्रों ने वाइस चांसलर से मांग करते हुए कहा कि हमारे सम्मानित शैक्षणिक संस्थान का राजनीतिकरण करने के लिए YTF के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई करनी चाहिए। मामले पर वाइस चांसलर प्रोफेसर सूर्य प्रकाश ने कहा कि मुझे इस बात की जानकारी नहीं है की वहां क्या बातचीत हो रही है। देश के कई स्टेट और सेंट्रल विश्वविद्यालयों में इस तरह के कार्यक्रम होते हैं। हमें भी स्टूडेंट्स का रिक्वेस्ट आया था तो हमने अनुमति दिया। कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव आए थे इसलिए मैं सिर्फ उद्घाटन सत्र में शामिल हुआ था। 

मामले पर यंग थिंकर्स फोरम के डायरेक्टर आशुतोष ठाकुर ने हम समवेत से कहा, 'NLIU इस इवेंट का सिर्फ वेन्यू प्रोवाइडर है, वे इस कार्यक्रम को स्पॉन्सर नहीं कर रहे हैं। जहां तक स्टूडेंट्स की आपत्तियों का सवाल है तो हम चाहते हैं कि NLUI के स्टूडेंट्स आएं हमसे और हमारे वक्ताओं से विमर्श करें। लेकिन कोई बात करने को तैयार नहीं है, बिना तथ्य जाने वे सिर्फ विरोध कर रहे हैं। रावण का दस सिर जिन्हें बताया गया है उन्हें भी कोई आपत्ति नहीं है। ये तथ्य एक पुस्तक से लिए गए हैं और पुस्तक 6 महीने से सभी जगह उपलब्ध है। उन 10 लोगों को आपत्ति होती तो वे एक्शन लेते। बुक स्टॉल पर जो अन्य पुस्तक हैं उन्हें भी किसी ने पढ़ा नहीं बस कहने लगे की इसे बैन करो। NLUI लॉ यूनिवर्सिटी है, स्टूडेंट्स लीगल एक्शन ले सकते हैं। लेकिन वे हमारे पोस्टर्स फाड़ रहे हैं। यहां के स्टूडेंट्स इतने असहिष्णु होंगे मुझे ये उम्मीद नहीं थी।'

बता दें कि पिछले कुछ वर्षों से मध्य प्रदेश में यंग थिंकर्स कॉन्क्लेव आयोजित कराए जा रहे हैं। कथित तौर पर RSS से जुड़े आयोजकों द्वारा इस कॉन्क्लेव के माध्यम से धार्मिक अल्पसंख्यकों और बुद्धिजीवियों को निशाना बनाया जाता रहा है। इससे भी दुर्भाग्यपूर्ण बात ये है कि इस तरह के कार्यक्रमों का आयोजन राजधानी के प्रमुख विश्वविद्यालयों में किए जाते हैं और शासकीय विश्वविद्यालय इसके स्पॉन्सर्स भी होते हैं। यह पहली बार नहीं है जब YTF के कार्यक्रम में विवादित पोस्टर्स लगे हैं।