महाकाल लोक के बाद गर्माया शिप्रा शुद्धिकरण में भ्रष्टाचार का मुद्दा, पहली बारिश में ही मैला हुआ मां शिप्रा का जल

हजार करोड़ खर्चने के बाद भी न तो शिप्रा के पानी की बदबू मिट पाई और न ही पानी आचमन योग्य हो सका। स्पष्ट है कि सरकार शिप्रा शुद्धिकरण प्रोजेक्ट के नाम पर भ्रष्टाचार कर रही है: नूरी खान

Updated: Jun 25, 2023, 02:24 PM IST

सांकेतिक फोटो सोशल मीडिया
सांकेतिक फोटो सोशल मीडिया

उज्जैन। मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित महाकाल लोक में देव प्रतिमाएं खंडित होने का मामला अभी शांत नहीं हुआ था, कि अब शिप्रा नदी शुद्धिकरण प्रोजेक्ट में भ्रष्टाचार का मामला तूल पकड़ने लगा है। मोक्षदायिनी मां शिप्रा के शुद्धिकरण पर मध्य प्रदेश सरकार की तरफ से करोडों रुपए खर्च करने के बाद भी नदी की दुर्दशा हो रही है। प्री-मॉनसून बारिश में ही शिप्रा नदी में फिर नालों का गंदा पानी मिलना शुरू हो गया है। 

बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन में इन दिनों रुक-रुककर बारिश हो रही है। बारिश से शिप्रा नदी का जल स्तर तो नहीं बढ़ा, लेकिन रामघाट स्थित नाले के चैंबर में जरूर उफान आ गया, जिससे शिप्रा नदी में मलमूत्र और नाले का गन्दा पानी मिलने लगा है। इसे लेकर रामघाट पर तीर्थ पुरोहितों ने कड़ा विरोध दर्ज किया है। वहीं, स्नान करने आने वाले श्रद्धालु भी गंदा पानी को मिलता देख शिप्रा में डुबकी लगाने से बचते नजर आए।

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रिपोर्ट्स के मुताबिक बीते हफ्ते ही नदी में एक मृत कुत्ते की लाश को सैलानियों ने तैरते हुए देखा था। हाल में ही शिप्रा नदी में नगर निगम की लापरवाही के कारण हजारों गैलन सीवरेज का पानी मिल गया था। बावजूद जिम्मेदार कोई सबक नहीं ले रहे। मध्य प्रदेश सरकार शिप्रा नदी को स्वच्छ करने के नाम कर करोड़ों रुपए फूंक चुकी है। नर्मदा-शिप्रा लिंक प्रोजेक्ट सहित खान डायवर्सन व अन्य कई योजनाओं को लागू किया गया। जिससे कि मोक्षदायिनी शिप्रा का संरक्षण किया जा सके, लेकिन करोड़ों के खर्च के बाद भी लगातार शिप्रा में गंदे नालों के पानी के मिलने का क्रम लगातार जारी है। 

कांग्रेस ने शिप्रा शुद्धिकरण प्रोजेक्ट्स में भारी भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं। कांग्रेस नेत्री नूरी खान ने कहा कि, 'भाजपा सरकार ने धर्म को धंधा बना लिया है। शिवराज सरकार लोगों के धार्मिक आस्था के साथ खिलवाड़ कर प्रदेश को लूट रही है। भाजपा सरकार ने महाकाल लोक निर्माण कार्य में 350 करोड़ रुपए का घोटाला किया। शिप्रा शुद्धिकरण प्रोजेक्ट्स में भी अबतक हजार करोड़ रुपए से ज्यादा लूट चुकी हैं। नदी को पुनः प्रवाहमान करने के लिए नर्मदा-शिप्रा लिंक प्रोजेक्ट शुरू किया गया। 650 करोड़ रुपए फूंक दिए, लेकिन स्थिति जस की तस है। गटर का पानी रोकने के लिए खान डायवर्सन प्रोजेक्ट में 100 करोड़ रुपए फूंक दिए। लेकिन अब भी शिप्रा नदी में गटर का पानी मिल रहा है। हजार करोड़ खर्चने के बाद भी न तो शिप्रा की बदबू मिट पाई और न ही पानी आचमन योग्य हो सकी है। स्पष्ट है कि सरकार शुद्धिकरण प्रोजेक्ट के नाम पर भ्रष्टाचार कर रही है।'

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बता दें कि हाल में ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शिप्रा शुद्धिकरण को लेकर बैठक की थी। इस दौरान मुख्यमंत्री ने कहा था कि शिप्रा प्रदेश की पवित्र और ऐतिहासिक नदी है। यह मोक्षदायिनी है। लोगों की आस्था की प्रतीक शिप्रा को स्वच्छ और पवित्र बनाए रखना जरूरी है। शिप्रा नदी को पुन: प्रवाहमान करना है। सबसे पहले नदी में गंदा पानी मिलने से रोकना होगा। सीएम चौहान ने ऐलान किया था कि नदी के संरक्षण-संवर्धन के लिए 5 साल में 1,741 करोड़ रूपए खर्च किए जाएंगे। कांग्रेस को आशंका है कि इस बार भी 1,741 करोड़ रुपए भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाएंगे।