कमल पटेल ने किया कानूनों को फिर लागू करने का दावा, दिग्विजय सिंह बोले, भाजपा का कोई भरोसा नहीं

कमल पटेल ने पत्रकारों संबोधित करते हुए कृषि कानूनों को दोबारा लागू करने की बात कही, शिवराज सरकार में कृषि मंत्री ने कहा कि किसानों को उचित प्रशिक्षण देने के बाद कानूनों को फिर से लागू किया जाएगा

Publish: Nov 21, 2021, 10:51 AM IST

भोपाल। एक तरफ जहां किसानों के व्यापक आंदोलन के बाद मोदी सरकार कृषि कानूनों को वापस करने की तैयारी कर रही है तो वहीं दूसरी तरफ भाजपा नेताओं ने कृषि कानूनों को दोबारा लागू किए जाने की आशंका जाहिर करना शुरू कर दिया है। मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार में कृषि मंत्री कमल पटेल ने एक बार फिर कृषि कानूनों को लागू करने का दावा किया है। भाजपा नेता का कहना है कि किसानों को प्रशिक्षित करने के बाद कृषि कानूनों को दोबारा लागू किया जाएगा। 

कमल पटेल ने यह दावा ग्वालियर में एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह के दौरान किया। कमल पटेल ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा कि हम किसानों को प्रशिक्षित करेंगे, उन्हें कानूनों के बारे में समझाएंगे, फिर इन कानूनों को दोबारा लागू करेंगे। कमल पटेल ने कहा कि यह तीनों किसानों की आय बढ़ाने के लिए लाए गए थे। लेकिन कुछ किसानों को हम नहीं समझा पाए। इसलिए जब तक सभी किसान इन कानूनों के साथ नहीं होंगे, तब तक इन कानूनों को लागू नहीं किया जाएगा। 

भाजपा का कोई भरोसा नहीं: दिग्विजय सिंह 

कमल पटेल का यह बयान सामने आने के बाद कांग्रेस नेता व राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने प्रतिक्रिया दी है। दिग्विजय सिंह ने कहा है कि भाजपा पर लोगों को भरोसा नहीं है। भाजपा के नेता ही कानूनों को दोबारा लाने की बात कह रहे हैं। इसलिए जब तक संसद से ये तीनों कानूनों वापस नहीं हो जाते, किसानों को कानून एमएसपी की गारंटी नहीं दे दी जाती, तब तक किसानों की मांग पूरी नहीं होगी। 

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मोदी सरकार जल्द ही कृषि कानूनों की वापसी की मंजूरी देनी वाली है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बुधवार को मोदी कैबिनेट इन तीनों कानूनों को रद्द करने की मंजूरी दे देगी। इसके अलावा रविवार को ही संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक भी हुई थी। जिसमें संयुक्त मोर्चा ने प्रधानमंत्री मोदी को खुला पत्र लिखने का मन बनाया है। संयुक्त मोर्चा एमएसपी की गारंटी देने और केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी को बर्खास्त करने की मांग को लेकर पत्र लिखेगा।

वहीं 22 नवंबर को लखनऊ में महापंचायत का आयोजन होगा। 26 नवंबर को किसान दिल्ली की सीमाओं का घेराव करेंगे। इसी दिन उनके आंदोलन को एक साल पूरा हो रहा है। जबकि संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन यानी 29 नवंबर को आंदोलनरत किसान संसद तक मार्च निकालेंगे।