कारम डैम लीकेज मामले में इंजीनियर्स पर गिरी गाज, 8 निलंबित, कांग्रेस बोली- असल दोषियों को बचा रही सरकार

धार में हाल ही कारम डैम में लीकेज के बाद नहर बनाकर उसका पानी खाली किया गया था, इस मामले में सरकार की अच्छी खासी किरकिरी हुई थी, अब राज्य सरकार ने जल संसाधन विभाग के 8 इंजीनियर्स को निलंबित कर दिया है

Updated: Aug 27, 2022, 03:00 AM IST

धार। कारम डैम लीकेज मामले में राज्य सरकार ने जल संसाधन विभाग के आठ इंजीनियर्स को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। बताया जा रहा है कि यह कार्रवाई मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के निर्देश पर की गई है। निलंबित अफसरों में विभाग के चीफ इंजीनियर भी शामिल हैं। हालांकि, विपक्षी दल कांग्रेस ने इस कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए कहा है कि शिवराज सरकार असल दोषियों को बचा रही है।

दरअसल, हाल ही में धार स्थित कारम डैम में लीकेज के बाद नहर बनाकर उसका पानी खाली किया गया था। इस मामले में शिवराज सरकार की जमकर किरकिरी हुई। आनन फानन में राज्य सरकार ने निर्माण से संबंधित दोनों कंपनियों को ब्लैक लिस्टेड कर दिया था। शुक्रवार को सीएम चौहान के निर्देश पर 8 सरकारी अफसरों को निलंबित कर दिया गया। बता दें कि कारम डैम में रिसाव की जांच के लिए गठित समिति ने भोपाल में बैठे-बैठे ही रिपोर्ट तैयार कर दी थी। 

यह भी पढ़ें: पार्टी ने आपको क्या नहीं दिया, लेकिन जब आपकी बारी आई तो... दिग्विजय सिंह ने आजाद को सुनाई खरी-खोटी

समिति ने महज चार दिन में रिपोर्ट तैयार कर दी थी। रिपोर्ट में सिर्फ मॉनिटरिंग करने वाले एक्जीक्यूटिव इंजीनियर से लेकर निचले स्तर के इंजीनियरों को पीडब्ल्यूडी मैन्यूअल के हिसाब से काम नहीं कराने का दोषी बताया गया था। तभी से माना जा रहा था कि सरकार इन इंजीनियर्स पर कार्रवाई कर सकती है। जबकि बड़े अफसरों को बचाने के लिए डिजाइन, टेंडर शर्तों और सुपरविजन आदि में खामी न बताकर उन्हें क्लीनचिट दे दी गई थी।

विपक्षी दल कांग्रेस ने इस कार्रवाई पर सवाल खड़े किए हैं। पीसीसी चीफ कमलनाथ ने कहा कि, 'धार के कारम डैम मामले में कुछ छोटे अधिकारियों पर मात्र निलंबन की कार्रवाई कर, वास्तविक दोषियों को बचाने का काम किया जा रहा है। हमने पहले ही चेता दिया था कि सरकार ने जाँच समिति बनाकर इस मामले में लीपा पोती का काम शुरू कर दिया है, वास्तविक दोषियों व ज़िम्मेदारों को बचाने का खेल खेला जा रहा है और वही हुआ।'

पूर्व सीएम ने आगे कहा कि, 'जिस बांध निर्माण में हुए भ्रष्टाचार के कारण हज़ारों लोगों की जान संकट में आ गयी, लोगों के घर-खेत बर्बाद हो गये, हज़ारों लोग लोग बेघर हो गये, सरकारी ख़ज़ाने को करोड़ों का नुक़सान हुआ, उसके वास्तविक दोषियों, ज़िम्मेदारों पर तो आपराधिक प्रकरण दर्ज होना चाहिए। उन्हें तो कड़ी से कड़ी सजा मिलना चाहिए। लेकिन सरकार के इस निर्णय ने बता दिया है कि भ्रष्टाचार को सरकार का संरक्षण प्राप्त है और वास्तविक दोषियों का कुछ होने वाला नहीं है।'