MP में खुरासानी इमली के पेड़ों का होगा संरक्षण, तस्करों से बचाने के लिए वन विभाग ने शुरू किया अभियान
मध्य प्रदेश वन विभाग ने प्रदेश के जंगलों में दुर्लभ बाओबाब (खुरासानी इमली) पेड़ों की खोज और संरक्षण के निर्देश जारी किए हैं।
मध्य प्रदेश वन विभाग ने प्रदेश के जंगलों में दुर्लभ बाओबाब (खुरासानी इमली) पेड़ों की खोज और संरक्षण के निर्देश जारी किए हैं। ये पेड़ धार जिले के मांडू में पहले काफी मात्रा में पाए जाते थे, लेकिन पिछले कुछ समय से तस्करी के चलते इनकी संख्या में भारी गिरावट आई है। अब विभाग ने इसे संरक्षित पेड़ घोषित कर सभी वन मंडलों को निर्देश दिया है कि अगर कहीं बाओबाब के पेड़ मौजूद हैं, तो उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए उनकी जानकारी मप्र बायोडायवर्सिटी बोर्ड को भेजी जाए।
यह दुर्लभ पेड़ मूल रूप से उत्तर-पूर्वी ईरान के खुरासान क्षेत्र में पाया जाता था और 14वीं शताब्दी में महमूद खिलजी के शासनकाल में मांडू में लाकर लगाया गया था। मांडू की अनुकूल जलवायु में ये पेड़ खूब पनपे और आसपास के क्षेत्रों में भी फैल गए। इन्हें खुरासान से लाने के कारण इसके फलों को खुरासानी इमली कहा जाने लगा। मांडू में वर्तमान में 1100 बाओबाब के पेड़ हैं, जबकि पहले 1180 थे। यहां इनकी सुरक्षा के लिए अब तक कोई विशेष इंतजाम नहीं किए गए हैं।
अनोखी बनावट के कारण ये पेड़ ऐसा प्रतीत होता है मानो इसे जमीन से उखाड़कर उल्टा खड़ा कर दिया गया हो। इसकी पत्तियां केवल बरसात के मौसम में ही दिखती हैं। इसके फल खाने पर चार से पांच घंटे तक प्यास नहीं लगती, जिससे भीषण गर्मी में डिहाइड्रेशन से बचाव में मदद मिलती है। इस पेड़ की उम्र लगभग 5 हजार साल मानी जाती है, और इसके तने में 1.20 लाख लीटर तक पानी संग्रहित करने की क्षमता होती है।