बाघों के लिए काल साबित हो रहा मध्य प्रदेश, डेढ़ महीने में 9 बाघों की मौत, छिन सकता है टाइगर स्टेट का दर्जा

टाइगर स्टेट मध्य प्रदेश में सुरक्षित नहीं हैं टाइगर्स, इस साल अबतक 9 बाघों की मौत, राज्य में पिछले साल हुई थी 34 बाघों की मौत।

Updated: Feb 17, 2023, 12:11 PM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश को "टाइगर स्टेट" का दर्जा मिला हुआ है, इसके बावजूद यह राज्य बाघों के जीवन के लिए मुफीद साबित नहीं हो रहा है। सरकारी आंकड़े बताते हैं कि मध्य प्रदेश में बाघ सुरक्षित नहीं हैं। प्रदेश में इस साल अबतक 9 बाघों की मौत हो चुकी है। पिछले साल भी राज्य में 34 बाघों की मौत हुई थी। ऐसे में अब मध्य प्रदेश के लिए टाइगर स्टेट का दर्जा बरकरार रखना बड़ी चुनौती है।

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक पिछले डेढ़ महीने में मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा नौ बाघों की मौत हुई है। दूसरे नंबर पर राजस्थान है, जहां तीन बाघों की मौत हुई। कर्नाटक और उत्तराखंड में दो मौत दर्ज हुईं। वहीं असम और केरल में एक-एक बाघ की मौत हुई है। देश में बाघों की आबादी के मामले में कर्नाटक दूसरे स्थान पर है और वहां की सरकार बाघों के संरक्षण पर विशेष ध्यान दे रही है। 

यह भी पढ़ें: चुनावी मिशन पर निकले दिग्विजय सिंह का कार्यकर्ताओं को एकता का पाठ, गिले-शिकवे भुलाकर साथ आने का दिया संदेश

कर्नाटक 'टाइगर स्टेट' टैग के लिए मजबूत दावेदार है। दोनों ही राज्यों में 2018 की गणना के अनुसार बाघों की संख्या लगभग समान थी। 2018 की गिनती के अनुसार, कर्नाटक में 524 बाघ हैं। वहीं, मध्य प्रदेश में इसी अवधि में हुई बाघों की गणना के मुताबिक, 526 टाइगर हैं। राष्ट्रीय बाघ गणना हर चार साल में एक बार आयोजित की जाती है। साल 2022 में बाघों की गणना की गई थी और इसकी रिपोर्ट इस साल जारी होने वाली है।

साल 2022 में मध्य प्रदेश में 34 बाघों की मौत हुई। जबकि में महज 15 बाघों की मौत हुई। ऐसे में टाइगर स्टेट टैग के लिए कर्नाटक की दावेदारी मजबूत मानी जा रही है। मध्य प्रदेश सरकार एक तरह चीतों की आबादी बढ़ाने की कोशिश कर रही है वहीं राज्य से टाइगर स्टेट का तमगा फिसलता नजर आ रहा है।

यह भी पढ़ें: कुबेरेश्वर धाम में हालात बेकाबू, तीन व्यक्तियों की मौत के बाद रुद्राक्ष वितरण स्थगित

प्रदेश में छह बाघ अभ्यारण्य हैं, इनमें कान्हा, बांधवगढ़, पेंच, सतपुड़ा, पन्ना और संजय डुबरी शामिल है। छः अभ्यारण्य होने के बाद भी प्रदेश में बाघों की कितनी सुरक्षा होती है, NTCA के आंकड़े इसकी पोल खोलते हुए नजर आ रहे हैं। मध्यप्रदेश में पिछले 10 साल में जुलाई 2022 से अब तक 270 टाइगरों की मौत हो चुकी है। इनमें भी सबसे ज्यादा 66 टाइगरों की मौत बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में दर्ज की गई है। ऐसे में बाघों की सुरक्षा पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

देश के अन्य राज्यों की तुलना में मध्य प्रदेश में बाघों की मौत अन्य अधिक दर्ज क्यों हो रही है यह एक रहस्य है। जानकारों का कहना है कि मध्य प्रदेश सरकार पोचर्स को ठिकाने लगाने में असफल है। पेंच, कूनो, बांधवगढ़, पन्ना और कान्हा इलाके में अब भी कई खतरनाक शिकारी बेखौफ घूम रहे हैं। कई इनामी शिकारी जो वांटेड हैं, वह इन क्षेत्रों में आसानी से भ्रमण करते मिल जाएंगे। लेकिन वन विभाग को उसकी कोई जानकारी तक नहीं होती।