39 दिन, 35 जिले और 66 विधानसभा क्षेत्रों का दौरा, MP फतह के लिए दिग्विजय सिंह की व्यूह रचना तैयार

दिग्विजय सिंह बीते 17 फरवरी से मध्य प्रदेश के 66 ऐसी सीटों के दौरे कर रहे थे, जहां लंबे समय से बीजेपी का कब्जा है। बुधवार 7 जून को इंदौर में पहले चरण की यात्रा का समापन हुआ।

Updated: Jun 07, 2023, 07:22 PM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश में इसी साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा-कांग्रेस एक्टिव मोड में हैं। नवंबर-दिसंबर में होने वाले चुनावों के लिए कांग्रेस अभी से गणित बिठाने में जुट गई है। कांग्रेस राज्य की एक-एक सीट पर फोकस कर रही है। दिल्ली आलाकमान ने एक बार फिर दिग्विजय सिंह पर भरोसा जताया है। उन्होंने भाजपा का गढ़ कहे जाने वाली 66 सीटों का जिम्मा दिग्विजय सिंह को सौंपा है। बता दें, यह ऐसी सीटें हैं, जहां कांग्रेस 15 सालों से सत्ता में नहीं आ पाई है। इन्हें भाजपा और संघ का गढ़ माना जाता है। इन्हीं महत्वपूर्ण किलों को भेदने के लिए दिग्विजय एक बार फिर कांग्रेस के ब्रह्मास्त्र साबित हो रहे हैं। सिंह ने 35 जिलों की 66 सीटों पर कांग्रेस के लिए सियासी व्यूह की रचना की है।

दरअसल, कन्याकुमारी से कश्मीर की साढ़े तीन हजार किलोमीटर से ज्यादा की भारत जोड़ो यात्रा से लौटते ही दिग्विजय सिंह बिना वक्त गंवाए मिशन मध्य प्रदेश में जुटे गए थे। कांग्रेस हाईकमान ने सिंह को मुख्य रूप से उन सीटों पर विजय पताका फहराने की जिम्मेदारी सौंपी है, जहां कांग्रेस कमजोर है। प्रदेश में ऐसी 66 विधानसभाओं का चयन किया गया है, जहां कांग्रेस 15 साल या उससे अधिक समय से चुनाव हार रही है। सिंह ने अपने पहले चरण के चुनावी अभियान में इन सीटों के दौरे पूरे कर लिए हैं।

सिंह का दौरा 17 फरवरी 2023 को भोपाल के बैरसिया विधानसभा से शुरू हुआ था, जिसका समापन 7 जून 2023 को इंदौर में हुआ। सिंह ने 35 जिलों की 66 विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस कार्यकर्ताओं से वन टू वन चर्चा कर व्यूह रचना की है। जल्द ही पीसीसी चीफ कमलनाथ को वे इसकी रिपोर्ट सौंपेंगे। इन विधानसभा सीटों पर पहुंचकर दिग्विजय सिंह मीडिया से चर्चा और कांग्रेस के मंडलम, सेक्टर, ब्लॉक लेवल के कार्यकर्ताओं की बैठक करते दिखे। बैठकों में सिंह मंच पर बैठने के बजाय नीचे कार्यकर्ताओं के साथ ही बैठकर उनकी बातों को सुनकर उन्हें डायरी में नोट करते नजर आए। हर कार्यकर्ता को वे अपने मन की पीड़ा और कांग्रेस की हार के कारणों को खुलकर बताने को कहते रहे। सिंह का फोकस स्थानीय स्तर पर नेताओं और कार्यकर्ताओं के बीच मनमुटाव और गिले-शिकवे दूर करने पर रहा।

दिग्विजय सिंह ने पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं को शपथ भी दिलवाई कि विधानसभा चुनाव में पार्टी जिसे भी टिकट देगी, सभी दावेदार और कार्यकर्ता एकजुट होकर उसके पक्ष में खड़े होंगे। हाल ही में एक वीडियो सामने आया था, जिसमें दिग्विजय सिंह कार्यकर्ताओं से कहते हैं कि सारंगपुर सीट पर 20 दावेदार हैं, लेकिन पार्टी जिसे भी टिकट देगी सभी दावेदार के पक्ष में होंगे और जो बगावत कर चुनाव लड़ेगा उसका सामाजिक बहिष्कार होगा। दिग्विजय सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि प्रदेश में अब कांग्रेस सत्ता में लौटने वाली है। विधानसभा क्षेत्रों में दिग्विजय सिंह की इस तरह की अपील असरदार रही और टिकट के दावेदारों के साथ कार्यकर्ताओं ने भी दिग्विजय सिंह के समक्ष इस तरह का संकल्प लिया।

कांग्रेस मान कर चल रही है कि हारी हुई इन सीटों में से कम से कम 60 फीसदी से अधिक सीटों पर पार्टी विजय पताका फहराने में कामयाब रहेगी। पार्टी कम से कम 35 सीट जीतने की उम्मीद कर रही है। इन 66 सीटों की रणनीति के आधार पर ही कांग्रेस 150 प्लस जितने का दावा कर रही है। खास बात ये है कि ये सीट सीएम शिवराज से लेकर भाजपा मंत्रियों और आरएसएस के प्रभाव वाले हैं।

मध्य प्रदेश की राजनीति में दिग्विजय सिंह की ऐसी सक्रियता के बाद कांग्रेस कार्यकर्ताओं का उत्साह भी दोगुना हो गया है। दरअसल, दिग्विजय सिंह की कार्यकर्ताओं पर पकड़ और क्षेत्र में जीवंत संपर्क अन्य नेताओं की तुलना में काफी बेहतर है। वे भारत जोड़ो यात्रा से पूर्व महंगाई के विरुद्ध जनजागरण अभियान के तहत कई जिलों का दौरा भी कर चुके हैं। दिग्विजय सिंह का राज्य के सभी जिलों में कार्यकर्ताओं और समर्थकों का जबरदस्त नेटवर्क है। कांग्रेस पार्टी को एक ऐसे चेहरे की जरूरत थी जो जमीन पर एक्टिव होकर संगठन में नई जान फूंक सके। सिंह के मजबूत जनाधार का भरपूर उपयोग करने के लिए ही कांग्रेस दिग्विजय सिंह को मध्य प्रदेश फतह के लिए ब्रह्मास्त्र के तौर पर उपयोग कर रही है और सिंह की सक्रियता को इसी संदर्भ में देखा जा रहा है।

मध्य प्रदेश राजनीतिनामा के लेखक और वरिष्ठ पत्रकार दीपक तिवारी कहते है कि दिग्विजय सिंह कार्यकर्ताओं की नब्ज को बहुत अच्छे से समझते हैं। पार्टी के लिए वह जो भी व्यूह रचना तैयार करते है, वह बहुत ही बेजोड़ होती है। जिसका फायदा हमेशा संगठन को मिलता रहा है। जमीनी पकड़ के मामले में दिग्विजय सिंह की कोई तुलना नहीं है। इसलिए राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के आयोजन समिति के अध्यक्ष की जिम्मेदारी बखूबी निभाने के बाद अब दिग्विजय सिंह को मध्य प्रदेश फतह की जिम्मेदारी दी गई है।

तिवारी कहते हैं कि, 'साल 2018 के चुनाव में दिग्विजय सिंह नर्मदा परिक्रमा यात्रा कर मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सत्ता में वापसी करवा चुके हैं। नर्मदा परिक्रमा यात्रा के अलावा दिग्विजय सिंह ने एक और बड़ी भूमिका निभाई थी। उन्होंने चुनाव से ठीक पहले राज्य में एक समन्वय यात्रा निकाली थी, जिसका मुख्य उद्देश्य ही नाराज कांग्रेस नेताओं को मनाना था। समन्वय यात्रा के तहत दिग्विजय सिंह ने आम कार्यकर्ताओं को जोड़कर पार्टी के पक्ष में माहौल बनाने में बड़ा रोल निभाया था। जिसका असर यह हुआ कि कांग्रेस कार्यकर्ता, जो पहले बूथ तक जाने में भी लापरवाही दिखाता था। वह मतदान केंद्रों पर डटा रहा और राज्य में 15 साल बाद कांग्रेस की वापसी हुई।'

दीपक तिवारी बताते हैं कि, 'समन्वय यात्रा के दौरान दिग्विजय नाराज लोगों के साथ बैठकर खाना खाते थे, जिसे 'पंगत में संगत' का नाम दिया गया था। भोजन के दौरान दिग्विजय एक इलाके के दस टिकट दावेदारों को एक साथ बैठाकर वचन दिलाते थे कि टिकट भले ही किसी एक को मिले, लेकिन बाकी नौ उसकी मदद करेंगे। दिग्विजय सिंह की इन कोशिशों के चलते कांग्रेस पार्टी राज्य में दर्जनों सीटों पर भीतरघात से मुक्त रही थी और यही बाद में निर्णायक साबित हुआ था।'

इन 66 सीटों पर दिग्विजय सिंह ने तैयार की व्यूह रचना

पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह अबतक जिन 66 सीटों पर रणनीति तैयार की है उनमें बैरसिया, गोविंदपुरा, बुधनी, सीहोर, आष्टा, टिमरनी, रामपुर बघेलान, रीवा, मनगवां, त्योंथर, दतिया, शिवपुरी, गुना, बमोरी, ग्वालियर 15, शमशाबाद, कुरवाई, बीना, खुरई, सुरखी, सागर, नरयावली, रहली, हटा, पथरिया, शुजालपुर, सुसनेर, उज्जैन उत्तर, उज्जैन दक्षिण, बदनावर, रतलाम, सुवासरा, मंदसौर, नीमच, जावद, सिरमौर देवतालाब, सिंगरौली, देवसर, धौहानी, जयसिंहनगर, अनूपपुर मुड़वारा, सिहोरा, जबलपुर कैंट पनागर, सिवनी, पिपरिया, होशंगाबाद, सांची, सारंगपुर देवास, इंदौर 2, इंदौर 4, इंदौर 5 सांवेर, खातेगांव, बागली, हरसूद, बुरहानपुर, खंडवा, पंधाना, अशोकनगर, मुंगावली, चंदला और बिजावर शामिल हैं।