MP: आसमान को चीरती निकली रहस्यमयी रौशनी, लोगों ने कहा UFO, एक्सपर्ट्स मान रहे उल्कापिंड

मध्य प्रदेश के दर्जनों जिलों में दिखा अनोखा खगोलीय नजारा, तेज गति से आकाश को चीरते निकली रौशनी, राजस्थान, महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में भी देखे गए

Updated: Apr 03, 2022, 06:35 AM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश के दर्जनों जिलों में शनिवार रात करीब आठ बजे आसमान को चीरते हुए रहस्यमयी रौशनी निकली। सोशल मीडिया पर इसका वीडियो वायरल होते ही तरह-तरह की चर्चाएं शुरू हो गई है। एक्सपर्ट्स इसे उल्कापिंड और धूमकेतु बता रहे हैं। लेकिन सोशल मीडिया यूजर्स इसे यूएफओ की तरह प्रचारित कर रहे हैं। हालांकि, अबतक स्पष्ट रूप से कुछ कहा नहीं जा सकता है।

दरअसल, शनिवार देर शाम करीब 8 बजे मध्य प्रदेश के इंदौर, उज्जैन, बड़वाह, बड़वानी, झाबुआ, धार समेत अन्य कई जिलों में एक अजीबोगरीब खगोलीय नजारा देखने को मिला। आसमान में बेहद चमकदार वस्तु तेजी से आगे बढ़ता दिखाई दिया। लोगों ने अपने मोबाइल कैमरों से इसका वीडियो बनाया और यूएफओ बताकर शेयर करने लगे। थोड़ी देर में जानकारी मिली कि महाराष्ट्र के नागपुर सहित अन्य हिस्सों में भी इसे देखा गया है। रात के अंधेरे में इसे देखना काफी शानदार था, ऐसा लग रहा था जैसे कोई लकीर अंधेरे को चीरकर तेजी से आगे बढ़ रही हो।

माना जा रहा है यह धधकता प्रकाश दरअसल उल्का की बारिश अथवा बौछार है। उल्काएं आंखों को चौंधियाने वाली रोशनी की चमकदार धारियां हैं जो रात के आकाश में दिखाई देती हैं। मौसम विभाग के भोपाल केंद्र में रडार इंचार्ज वेदप्रकाश के अनुसार, यह घटना उल्का पिंड का गिरना ही है। पिछले सप्ताह राजस्थान में ऐसी तीन घटनाएं दर्ज हुई हैं। यह पिंड पूर्व से पश्चिम की ओर आता देखा गया है, जिसके इंदौर और खंडवा के बीच कहीं गिरने का अनुमान है। हालांकि, इंदौर और खंडवा के बीच गिरने के दावों पर संशय है, क्योंकि यह रौशनी महाराष्ट्र के कई हिस्सों में भी देखने को मिली।

उधर रीजनल साइंस सेंटर भोपाल में काम कर चुके विट्ठल बाबुराव रायगांवकर इसे सेटेलाइट मान रहे हैं। उन्होंने कहा कि, 'साल 2005 में जब रूस का सेटेलाइट गिरा था, तब भी बिल्कुल ऐसा ही दृश्य दिखा था। कई बार सैटेलाइट किसी खराबी की वजह से बंद हो जाते हैं और अपना कंट्रोल खो देते हैं। ऐसे में वे पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण की वजह से खिंचे आते हैं। ये 70 किलोमीटर प्रति सेकंड की गति से पृथ्वी के वातावरण में प्रवेश करते हैं, जिससे वातावरण में मौजूद कणों में घर्षण होता है और तापमान बढ़ने के बाद वह आग के गोले की तरह दिखाई देने लगते हैं, जिसे लोग उल्का पिंड समझ लेते हैं।'

शासकीय जीवाजी वेधशाला उज्जैन के अधीक्षक डॉ राजेन्द्र गुप्त ने मीडिया को बताया कि उनके पास भी वीडियो आये हैं। इन्हें देखने से ऐसा प्रतीत होता है कि यह उल्कापिंड ही है। ये सामान्य तौर पर पृथ्वी पर गिरते रहते हैं। एक अन्य एक्सपर्ट ने बताया कि यह एक सामान्य घटना है। बृहस्पति एवं मंगल ग्रह के बीच बड़ी संख्या में धूमकेतु चक्कर लगाते हैं। कभी कभी ये पृथ्वी की तरफ आने पर वायुमंडल के घर्षण से आग जैसे दिखाई देते हैं। फिलहाल यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि यह आकृति धरती पर गिरी या नहीं।