MP में तीन लाख मरीजों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़, शासकीय अस्पतालों में बांट दी गईं अमानक दवाएं

स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदारों की लापरवाही ऐसी थी कि जो दवाएं सप्लाई हुई थीं, नियमत: उनकी जांच कराने से पहले ही इन्हें अस्पतालों में भेज दिया गया।

Updated: Jan 06, 2024, 04:39 PM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश में स्वास्थ्य विभाग से संबंधित अव्यवस्थाएं लोगों के लिए नुकसानदेह साबित हो सकती है। राज्य में तीन लाख मरीजों को अमानक दवाएं दिए जाने का मामला सामने आया है। बताया जा रहा है कि दवाएं बंटने के बाद पता चला कि वे अमानक हैं। खबर सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया है।

स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदारों की लापरवाही ऐसी थी कि जो दवाएं सप्लाई हुई थीं, नियमत: उनकी जांच कराने से पहले ही इन्हें अस्पतालों में भेज दिया गया। इनमें ब्लड प्रेशर की दवा, उल्टी रोकने की टैबलेट, इन्फेक्शन रोकने की दवा और आई ड्रॉप के अलावा कॉटन तक शामिल हैं। इतना ही नहीं जिन कंपनियों ने इनकी सप्लाई की है, उन्होंने इनकी रिपोर्ट में सभी को मानक के अनुरूप बताया गया था।

हालांकि, खरीदी के बाद मध्य प्रदेश पब्लिक हेल्थ सर्विसेस कॉपोरेशन लिमिटेड से अनुबंधित लैब से जांच कराई गई तो इनमें से कई बैच अमानक निकले। लेकिन हैरानी की बात ये है कि जब तक जांच रिपोर्ट आते तीन लाख मरीजों को ये दवाएं दी जा चुकी थी। अब कार्रवाई के नाम पर स्टॉक को रोका गया है। हालांकि, मरीजों पर इसका क्या दुष्प्रभाव हुआ, इसकी चिंता किसी को नहीं है।

बता दें कि मध्य प्रदेश में ये पहली बार नहीं हुआ है जब मरीजों को अमानक दवाएं दी गई हों। बीते साल फरवरी में भी यह खबर सामने आई थी। तब बताया गया था कि मध्य प्रदेश हेल्थ कॉर्पोरेशन द्वारा की गई जांच में जनवरी 2022 से जनवरी 2023 तक 10 दवाएं मापदंडों के मुताबिक नहीं पाई गईं। नतीजतन स्वास्थ्य विभाग ने दो दर्जन से ज्यादा दवा कंपनियों को दो से तीन साल तक के लए ब्लैक लिस्ट कर दिया था।

चार स्तर पर जांच
1. दवा खरीदी उन्हीं कंपनियों से की जाती है, जिसके पास डब्ल्यूएचओ-जीएमसी मानक सर्टीफिकेट होता है।
2. कंपनी हर बैच के साथ खुद की लैब में जांच कर ओके रिपोर्ट लगाती है।
3. कंपनी दूसरे राज्य में स्थित एनएबीएल मान्यता प्राप्त लैब की ओके रिपोर्ट लगाती है।
4. अस्पतालों में दवाएं भेजे जाने के बाद रेंडम सैंपल लिए जाते हैं। इन्हें अन्य प्रदेशों में स्थित एनएबीएल मानक वाली लैब में जांच के लिए भेजा जाता है। यहां रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद पूरे बैच को हटा दिया जाता है।