पिता का हार्ट का ऑपरेशन होना है...पूजा बंद अब क्‍या होगा?

Coronavirus India: लॉकडाउन में पुजारियों का जीवन यापन हुआ दुश्वार, सरकार से है मदद की दरकार

Publish: May 27, 2020, 10:03 PM IST

‘’मेरे पिता जी का हार्ट का ऑपरेशन होना था सोचा था शादियों का मुहूर्त आते ही घर की माली हालत में सुधार होगा, चार पैसे जोड़कर पिता जी का इलाज करवा सकूंगा’’...ये कहना है भोपाल के एक मंदिर के पुजारी गोविंद मिश्रा का ...गोविंद पिछले करीब बीस साल से मंदिर में पुजारी हैं। बागसेवनिया इलाके में मंदिर और उसी के आसपास उनकी यजमानी से घर चलता है। घर में बुजुर्ग माता पिता, एक बेटा और दो बेटियां हैं। पूरे परिवार के पालन पोषण का जिम्मा पंडित  लोगों के यहां पूजा अनुष्ठान से मिली कमाई से ही करते हैं। लेकिन इस कोरोना लॉकडाउन की वजह से ना मंदिर में भक्त हैं, और ना ही शादी के मंडप में शहनाई बज रही है। जिससे अब घर चलाना मुश्किल हो रहा है। किसी एक पुजारी की दास्तान नहीं है बल्की भोपाल के करीब 19-20 हजार पुजारियों की कहानी है

सामान्य वर्ग से हैं किसी योजना का नहीं मिला लाभ

घर में जब भी कोई शुभ काम होता है तो लोग पूजा-पाठ, यज्ञ अनुष्ठान करवाते हैं। पुजारियों को बुलाकर हवन पूजन का दौर चलता है। इससे परिवार को आध्यात्मिक संतोष मिलता है और पूजा करवाने आए पंडित पुजारियों की रोजी-रोटी चलती है। लेकिन घरों और मंदिरों में पूजा करवाने वाले पुजारी लॉकडाउन में दयनीय स्थिति में जीवन बिताने को मजबूर हैं। इसी पूजा-पाठ से उनका जीवन यापान होता था। लेकिन जब से लॉकडाउन है, तब से मंदिरों में श्रद्धालुओं के आने पर रोक लगी है। केवल पुजारी मंदिर में जाते हैं, भगवान की पूजा पाठ करके लौट जाते हैं। मंदिरों में भक्तों के नहीं आने से यहां ना तो चढ़ोत्री चढ़ रही है, और ना ही किसी तरह की दान दक्षिणा का इंतजाम हो रहा है। पुजारियों की मानें तो सामान्य वर्ग से होने के कारण किसी भी सरकारी योजना का लाभ नहीं मिल रहा है। ऐसे में कई पुजारी परिवारों के सामने बड़ा आर्थिक संकट आ गया था। भोपाल के विभिन्न मंदिरों में पुजारी बदहाली का जीवन जीने को मजबूर हो गए हैं। 

घर-घर जाकर पूजा कर गुजारा करते हैं पुजारी

शिवाजी नगर स्थित दुर्गा मंदिर के पुजारी पंडित अशोक मिश्रा का कहना है कि ‘’सामान्य दिनों में औसतन पूजा-पाठ करके 8-9 हजार रुपए की आमदनी हो जाती थी। जिससे किसी तरह परिवार का जीवन यापन हो जाता था। लेकिन अब मंदिर बंद हैं, शादियों का मुहूर्त भी बीते जा रहे हैं। नवरात्रि जैसा महापर्व भी लॉकडाउन की भेंट चढ़ गया। जो जमा पूंजी थी उसी से दो महीने से काम चला रहे हैं।‘’

वहीं अशोका गार्डन स्थित राम मंदिर के पुजारी पंडित महेंद्र मिश्रा का कहना है कि लॉकडाउन के कारण इस साल चैत्र नवरात्रि पर भक्त मंदिर नहीं आ पाए, वहीं एकादशी, प्रदोष जैसे दिनों में भक्त मंदिर आकर दान दक्षिणा कर जाते थे। जिन मंदिरों में मंगलवार, शनिवार को पैर रखने की जगह नहीं होती थी, वहां सन्नाटा पसरा रहता है। जिससे गुजर बसर में परेशानी हो रही है।

किसी ने नहीं ली पुजारियों की सुध

पुजारियों की मानें तो इस संकट की घड़ी में कोई राजनीतिक दल उनकी सुध लेने नहीं आया। जब राजनीति चमकाने का वक्त आता है तब केवल वोट बैंक साधने के लिए मंदिरों की ओर रुख करते हैं। इस कोरोना संकटकाल में उन्हे किसी से कोई सहारा नहीं मिल पा रहा है। पुजारियों ने सरकार से मदद की अपील की है। इनकी मांग है कि सरकार भोपाल में गली मोहल्ले में रहने वाले पुजारियों की भी मदद करे। पंडितों की मांग है कि जिस तरह से दूसरे संस्थानों को खोलने की अनुमति दी गई है, उसी तरह से पुजारियों के हितों को भी ध्यान में रखकर सरकार मंदिर खोलने की अनुमति दे,ताकि छोटे और जरूरतमंद पुजारियों का जीवन यापन हो सके।

केवल रजिस्टर्ड मठ-मंदिरों को मिला है सरकार की मदद का लाभ

आपको बता दें कि मध्यप्रदेश सरकार की घोषणा का लाभ केवल रजिस्टर्ड मठ मंदिरों और बड़े-बड़े पुजारियों को ही मिला है। ऐसे में जरूरतमंद पुजारियों तक मदद नहीं पहुंच पा रही है, पुजारियों ने प्रदेश सरकार से रजिस्ट्रेशन कराने की मांग की है। भोपाल में छोटे मंदिरों के करीब 15 से 20,000 ऐसे पुजारी हैं जो रोज मंदिरों औऱ घरों में जाकर पूजा पाठ और कर्मकांड करवाते है और अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं। 

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कांग्रेस ने उठाई थी पुजारियों की मदद के लिए आवाज

कांग्रेस ने मध्यप्रदेश सरकार से कई बार गुहार लगाई गई लेकिन इन पुजारियों की अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई। प्रदेश के पूर्व मंत्री पीसी शर्मा ने अखिल भारतीय ब्राह्मण समाज मप्र के सहयोग से भोपाल में 151ब्राह्मण, पुजारियों को दाल,चावल, आटा, तेल, नमक, के पैकेट का वितरण किया था । और बीजेपी सरकार से पुजारियों एवं ब्राह्मणों के खाते में 10-10 हजार रुपये की आर्थिक सहायता देने की मांग के लिए आवाज उठाई थी । लेकिन अब तक पुजारियों को किसी प्रकार की कोई सहायता नहीं मिली। उनके हालात दिन-ब-दिन बदतर होते जा रहे हैं। अब पुजारियों को केवल ईश्वर से ही उम्मीद है कि उनकी रोजी-रोटी के लिए कुछ इंतजाम किया जा सके। प्रदेश सरकार ने पुजारियों की परेशानी को के मद्देनजर रजिस्टर्ड मठ मंदिरों और पुजारियों को 8 करोड़ सहायता राशि का एलान किया है। ताकि लॉकडाउन अवधि के दौरान मंदिरों के पुजारी अपनी गुजर-बसर कर सकें। लेकिन ये लाभ केवल मंदिर-मठों के पुजारियों तक ही सीमित है। ऐसे में उन पुजारियों की सुध लेने वाला कोई नहीं है जिनके पास रजिस्टेशन नहीं है, वो मदद की आस लिए बैठे हैं कि कोई उनकी भी सुध तो ले।