खोखले थे महाकाल लोक के सप्तऋषि, 40 लाख रुपए प्रति मूर्ति गुजरात की कंपनी को किया गया था भुगतान: रिपोर्ट्स

सात महीने में ही जब महाकाल लोक मेें सप्तऋषि की मूर्तियां उड़कर टूट गई तब निर्माण में गुणवत्ता को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं, कांग्रेस ने महाकाल लोक निर्माण में बड़े स्तर पर कमीशनखोरी की आशंका जताई है।

Updated: May 29, 2023, 05:03 PM IST

उज्जैन। उज्जैन मेें 30 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चली हवा ने महाकाल लोक के घटिया निर्माण की पोल खोल कर रख दी है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि यदि हवा का वेग 50 किमी प्रति घंटा होता तो महाकाल लोक पूरी तरह से ध्वस्त हो गया होता। विपक्षी दल कांग्रेस ने महाकाल लोक निर्माण कार्य में बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी के आरोप लगाए हैं। इसी बीच जानकारी मिली है कि जो मूर्तियां मामूली हवा से उड़कर टूट गई उसके लिए प्रति मूर्ति 40 लाख रुपए तक भुगतान किए गए थे।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक महाकाल लोक प्रोजेक्ट की कुल लागत 856 करोड़ रुपये है। जिसमें पहले चरण का कार्य 351 करोड़ रुपये में पूरा हुआ। महाकाल लोक में 10 से 25 फीट तक की 136 मूर्तियां लगाई गई हैं। इनकी लागत 15 करोड़ रुपए है। सप्तऋषि की सात में से जो छह मूर्तियां मामूली हवा से उड़कर टूट गई उसके लिए प्रति मूर्ति 40 लाख रुपए तक भुगतान किए गए थे। इन मूर्तियों को बनाने का ठेका गुजरात की एक कंपनी को दिया गया था, ऐसे में सीएम शिवराज के अलावा प्रधानमंत्री मोदी भी संदेह के घेरे में हैं।

यह भी पढ़ें: नहीं थम रहा महाकाल लोक में मूर्तियां खंडित होने का मुद्दा, कांग्रेस ने कहा शिव ने खोल दिया है त्रिनेत्र

एक्सपर्ट्स के मुताबिक गुजरात की जिस कंपनी को मूर्तियां बनाने के लिए सरकार ने महंगी कीमत चुकाई उसने गुणवत्ता को ताक पर रख मूर्तियां बनाने में भ्रष्टाचार किए। कंपनी ने न मजबूती का ध्यान रखा, न हवा के प्रेशर की चिंता की। जिसका परिणाम सबके सामने है। पांच फीट से ऊंचाई पर मूर्तियां स्थापित करने पर उसे हवा के प्रेशर के हिसाब से डिजाइन किया जाता है। फायबर की मूर्तियों के भीतर भी मार्बल की टुकडि़यां व अन्य धातु भरकर उसे मजबूत किया जाता है, ताकि वे हवा का प्रेशर झेेल सकें, लेकिन महाकाल लोक में सप्तऋषि की मूर्तियां खोखली रखी गई थी। यह बात भी मूर्तियां टूटने पर ही उजागर हुई।

मूर्तियों के इस्तेमाल में जो फाइबर की लेयर थी उसकी मोटाई भी कमजोर थी। यदि मजबूत होती तो मूर्तियां गिरने पर टूटती नहीं, बल्कि उसमें मामूली खरोचें आती। लेकिन महाकाल लोक की अधिकांश मूर्तियां गिरते ही टूट गई, जो बता रही है कि किस कदर गुणवत्ता से समझौता किया गया था। मूर्तिकार सुंदर गुर्जर मूर्ति के बेस से सिर तक स्टील की मजबूती दी जाती है और फिर भीतर मार्बल की टूकडियां से मूर्तियों को भरा जाता है, ताकि मजबूती बने रहे और वे हवा का प्रेशर झेेल सके, लेकिन महाकाल लोक की मूर्तियां खोखली रखी गई, इसी वजह से वे हवा का प्रेशर नहीं झेल पाई।

मूर्तिकार किशोर कोडवानी बताते हैं कि फाइबर की मूूर्तियां खुले में सार्वजनिक स्थानों पर नहीं लगाई जाती। महाकाल लोक मेें इसका ध्यान नहीं रखा गया। खुले में रखी गई फायबर की मूर्तियां आसमान की बिजली गिरने से जल जाती है। फायबर कुछ समय बाद कमजोर हो जाता है और दरारें भी आ जाती है। महाकाल लोक मेें फायबर की मूर्तियां लगवाने वाले अफसरों की सोच पर तरस आता है। अभी तो महाकाल लोक का पहला साल है, उसमे ही ये हाल है। हवा की गति यदि 50 किलोमीटर प्रति घंटा होती फिर महाकाल लोक को हवा महल बनते देर नहीं लगेगी।

यह भी पढ़ें: कर्नाटक में जो किया उसे दोहराने जा रहे हैं, मध्य प्रदेश में जीतेंगे 150 सीटें, राहुल गांधी का बड़ा बयान

बता दें कि बीते 11 अक्टूबर 2022 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महाकाल लोक का उद्घाटन किया था, उस समय भी मूर्तियों की मजबूती को लेकर सवाल खड़े किए गए थे। महाकाल लोक के निर्माण में हुए भ्रष्टाचार को लेकर तराना से कांग्रेस विधायक महेश परमार ने लोकायुक्त में शिकायत भी दर्ज कराई थी। विधायक ने शिकायत में ठेकेदार मनोज भाई पुरुषोत्तम भाई बाबरिया को करोड़ों रुपए का लाभ पहुंचाने के लिए SOR (शेड्यूल ऑफ रेट) की दरें और आइटम को बदलने का आरोप लगाया गया था। बावजूद इन शिकायतों को सरकार ने गंभीरता से नहीं लिया।

महाकाल लोक में मूर्तियों को हुए नुकसान के संबंध में PCC चीफ कमलनाथ ने कांग्रेस नेताओं की 7 सदस्यीय समिति बनाई है। इसमें सज्जन सिंह वर्मा, रामलाल मालवीय, दिलीप गुर्जर, शोभा ओझा, महेश परमार, मुरली मोरवाल और केके मिश्रा शामिल हैं। ये नेता मौके पर जाकर स्थिति का जायजा लेंगे साथ ही अपनी रिपोर्ट प्रदेश कांग्रेस कमेटी को भेजकर प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से मीडिया के सामने भी रखेंगे।