महाशिवरात्रि पर मध्य प्रदेश के सीहोर में उमड़ती है भक्तों की भीड़, जानिए यहाँ क्या है ख़ास

भोपाल से सटे सीहोर ज़िले में सहस्रलिंगम की विशेष मान्यता है, शिवना नदी के किनारे स्थापित 108 शिवालयों का भी विशेष महत्व है

Updated: Mar 11, 2021, 12:48 PM IST

Photo Courtesy: Social Media
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सीहोर। देशभर में महाशिवरात्रि का त्यौहार बड़े धूमधाम से मनाया जा रहा है। भक्त सुबह से ही मंदिरों में पहुँच रहे हैं। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से सटे सीहोर जिले में भी महाशिवरात्रि का पर्व बड़े उत्साह से मनाया जाता है। दूर-दूर से लोग यहां भगवान शिव की आराधना और दर्शन के लिए आते हैं। पौराणिक नगरी सिद्धपुरी के शिव मंदिरों की ख्याति देशभर में  है। सीहोर ज़िले से पार्वती नदी भी गुजरती है। पार्वती नदी का संबंध भी शिव महिमा से जुड़ा हुआ है।

राजधानी भोपाल से नजदीकी जिला सीहोर का प्राचीन नाम सिद्धपुर है। यहां आस्था और विश्वास के धार्मिक स्थानों की बहुतायत है। महाशिवरात्रि के मौके पर यहाँ धार्मिक आयोजन होते रहते हैं। 

एक हजार शिवलिंग का इतिहास

सीहोर जिले के अंतर्गत बड़ियाखेड़ी में सबसे पुराना शिवलिंग है। जिसे सहस्त्र लिंगम के नाम से जाना जाता है। लोगों का मानना है कि यहां एक शिवलिंग में एक हजार शिवलिंग समाहित हैं। जानकारों का कहना है कि इस प्रकार के शिवलिंग पूरे देश में तीन ही हैं।


पेशवाकालीन मंदिर

शहर में बाल विहार मैदान मार्ग पर स्थित है मनकामेश्वर मंदिर। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यहां जो भी मन्नत मांगी जाती है, वह पूरी होती है। शहर के अधिकांश लोग महाशिवरात्रि के दिन की शुरुआत इस मंदिर में  दर्शन और पूजा-अर्चना से करते हैं। मनकामेश्वर महादेव का मंदिर पेशवाकालीन माना जाता है। इस मंदिर में बड़ी बावड़ी भी है, जो हमेशा जीवित रहती है। मंदिर के शिल्प पर मराठा काल की स्थापत्य कला की छाप नजर आती है। श्रीगणेश मंदिर, कस्बा स्थित श्री हनुमान जी का मंदिर और मनकामेश्वर मंदिर, तीनों वास्तु के हिसाब से त्रिकोण में बने हुए हैं। इन सभी मंदिरों की ख्याति पूरे देश में हैं, जहां दूर दूर से श्रद्धालु आते हैं। ।

शहर में बहने वाली सीवन नदी का भी अपना इतिहास है, जो इलाके की अनेक धरोहरों को समेटे हुए है। सीवन नदी के किनारे 108 शिवालय रहे हैं, जिनका काफी महत्व रहा है। सीवन नदी को शिवना भी कहा जाता है। 

टपकेश्वर मंदिर

अति प्राचीन टपकेश्वर मंदिर पहाड़ों के बीच में है। जिससे यहां आने वाले श्रद्धालुओं का मन प्राकृतिक सुंदरता से आनंदित हो जाता है। नाम के अनुरूप यहां भगवान के ऊपर लगातार जल की बूंदें टपकती रहती हैं। महाशिवरात्रि के दिन लोग यहां बड़ी संख्या में आते हैं।