निजीकरण को लेकर बैंककर्मियों में रोष, MP में दो दिवसीय बैंक हड़ताल, छुट्टी पर जाएंगे 40 हजार कर्मचारी

मध्य प्रदेश में 16 और 17 दिसंबर को बाधित रहेंगी बैंक सेवाएं, प्रदेश भर के 7 हजार ब्रांचों में जड़ेगा ताला, बैंकों के बेचने की तैयारी में मोदी सरकार, शीतकालीन सत्र में लाया जाएगा बिल

Updated: Dec 02, 2021, 05:54 AM IST

Photo Courtesy: Business Today
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भोपाल। बैंक बचाओ, देश बचाओ अभियान के तहत बैंक कर्मियों का विरोध प्रदर्शन तेज होने लगा है। जंतर मंतर मार्च के बाद अब बैंककर्मियों ने देशव्यापी हड़ताल का ऐलान किया है। इसके तहत 16 और 17 दिसंबर को बैंककर्मी हड़ताल पर रहेंगे। मध्य प्रदेश में इस हड़ताल का व्यापक असर देखने को मिलेगा। प्रदेश के 40 हजार बैंककर्मियों के हड़ताल पर जाने के कारण करीब 7 हजार ब्रांचों पर ताले लटके मिलेंगे।

राजधानी भोपाल में अकेले 300 बैंक ब्रांच हैं, जिनमें कार्यरत 5 हजार से ज्यादा कर्मचारी हड़ताल पर रहेंगे। यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन के आह्वान पर यह हड़ताल रहेगी। यूनियन के को-ऑर्डिनेटर वीके शर्मा ने बताया की देशव्यापी हड़ताल के दौरान मध्यप्रदेश के सभी बैंकों के अधिकारी-कर्मचारी हिस्सा लेंगे। इस दौरान वे मोदी सरकार द्वारा बैंकों के निजीकरण को लेकर उठाए जा रहे कदमों का विरोध जताएंगे।

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बैंककर्मियों के यूनियन ने केंद्र सरकार को चेतावनी देते हुए कहा है कि वह बैंकों को बेचने का मंशा छोड़ दे वरना बैंककर्मी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाएंगे। दो दिवसीय बैंक हड़ताल के बाद शनिवार 18 दिसंबर को बैंक खुलेंगे और अगले दिन रविवार होने के कारण बैंक बंद रहेंगे। ऐसे में हड़ताल से पहले आप अपना जरूरी काम निपटा सकते हैं।

बता दें कि सरकारी बैंकों को निजीकरण के खतरे से बचाने की इस लड़ाई में ट्रेड यूनियन, किसान संगठन और कई राजनीतिक दलों ने भी बैंक यूनियन के साथ एकजुटता जाहिर किया है। बीते मंगलवार को राजधानी दिल्ली स्थित जंतर मंतर पर देशभर के बैंक कर्मचारियों ने बड़ा विरोध प्रदर्शन किया था। दरअसल, मोदी सरकार दो सरकारी बैंकों का निजीकरण करने की तैयारी कर रही है। सरकार की मंशा इस शीतकालीन सत्र में बैंकिंग कानून संशोधन विधेयक लाने है। इस विधेयक के पारित होते ही केंद्र सरकार को बैंकिंग नियमों में बदलाव करने का अधिकार मिल जाएगा। 

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विशेषज्ञ इस बात को लेकर चिंतित हैं कि निजीकरण के बाद आम नागरिकों का जमा पूंजी सुरक्षित नहीं रहेगा। जानकारों के मुताबिक निजीकरण के बाद न सिर्फ रोजगार के अवसर कम होंगे, बल्कि किसानों, छोटे कारोबारी समेत कमजोर वर्ग के लोगों को लोन मिलना भी लगभग खत्म हो जाएगा। निजीकरण के बाद बैंकों का कंट्रोल बड़े उद्योगपतियों के हाथों में चला जाएगा और वे देश के आम लोगों की मेहनत की कमाई का अपने सहूलियत के हिसाब से उपयोग करेंगे।