किसानों की सुध नहीं ले रही सरकार, बारिश और ओलावृष्टि से फसलों को हुए नुकसान का सर्वे करेगी कांग्रेस

मध्य प्रदेश में ओलावृष्टि और बारिश किसानों के लिए मुसीबत बनकर आई है। फसलों के नुकसान पर कांग्रेस ने किसानों को शिवराज सरकार से तत्काल मुआवजा देने की मांग की है।

Updated: Mar 24, 2023, 10:37 AM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश में पिछले दिनों हुई बारिश और ओलावृष्टि के कारण बड़े पैमानों पर किसानों को नुकसान हुआ है। खेतों में किसानों की खड़ी फसलें बर्बाद हो गईं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किसानों को मुआवजा देने का ऐलान तो कर दिया है, लेकिन अधिकांश जगहों पर अभी सर्वे तक शुरू नहीं हुए हैं। इसी बीच अब विपक्ष ने अपने स्तर पर सर्वे कराने का निर्णय लिया है।

कांग्रेस ने सरकार पर किसानों की सुध ना लेने का आरोप लगाते हुए अपने नेताओं को बारिश से बर्बाद फसलों का निरीक्षण करने के आदेश दिए हैं। पीसीसी मुख्यालय से इस संबंध में औपचारिक आदेश भी जारी किया गया है। इसमें कांग्रेस नेताओं को सभी जिले के समन्वय समिति और वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं के साथ फसलों के निरीक्षण करने के आदेश दिए हैं। साथ ही किसानों से मिलकर और नुकसान के संबंध में रिपोर्ट तैयार कर पीसीसी को भेजने के लिए कहा गया है।

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संगठन प्रभारी राजीव सिंह की ओर से सभी जिलाध्यक्षों और प्रभारियों को संबोधित पत्र में लिखा गया है कि, 'विगत दिनों बैमौसम बारिश और ओलावृष्टि से अन्नदाता किसान प्राकृतिक आपदा की गंभीर मार से पीड़ित हैं। किसान भाईयों की बड़े पैमाने पर रबी की गेहूं, जौ, चना, मटर, सरसो, अलसी और धनिया की फसल खराब हुई है। अन्नदाता किसान को इस विपदा के समय काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। सरकार उनकी सुध तक नहीं ले रही है।' 

पत्र में आगे लिखा गया है कि, 'प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के निर्देशानुसार आप शीघ्र ही अपने जिले के समन्वय समिति और वरिष्ठ नेताओं के साथ क्षतिग्रस्त फसलों का मौके पर जाकर निरीक्षण कर पीड़ित किसान भाइयों की हुई बर्बाद फसल एवं उनके नुकसान के संबंध में अपनी विस्तृत रिपोर्ट पीसीसी को प्रेषित करें।'

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बता दें कि बीते दिनों सीएम शिवराज भी विदिशा जिले में ओलावृष्टि से बर्बाद फसलों का जायजा लेने पहुंचे थे। यहां उन्होंने ऐलान किया कि 50% से अधिक नुकसान होने पर राज्य सरकार प्रति हेक्टेयर ₹32 हजार की राहत राशि देगी। हालांकि, किसानों का कहना है कि ये राहत राशि नुकसान के लिहाज से काफी कम है। इतना ही नहीं किसान इस बात को लेकर भी चिंतित हैं कि अबतक सर्वे शुरू नहीं हुआ है।