शिवराज सरकार के लिए आदिवासियों के घर-द्वार बिगड़े वन क्षेत्र, कांग्रेस का गंभीर आरोप

कांग्रेस ने कहा, बीजेपी की सोच ही बिगड़ी हुई है, जो आदिवासियों से उनके अधिकार और जल-जंगल-जमीन छीनने पर तुली है

Updated: Nov 20, 2020, 07:39 PM IST

Photo Courtesy : News Laundry
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भोपाल। कांग्रेस ने मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार पर आदिवासियों का हक़ छीनने का आरोप लगाया है। कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि बीजेपी किसी न किसी बहाने आदिवासियों से उनके अधिकार और जल-जंगल-ज़मीन को छीनना चाहती है। 

कांग्रेस ने इस मुद्दे को ट्विटर के जरिये भी उठाया है। कांग्रेस ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट करके कहा है, "मध्य प्रदेश भाजपा सरकार के अधिकारियों की माने तो जहाँ आदिवासियों के घर-द्वार, खेत और चारागाह हैं, वो सरकार के अनुसार 'बिगड़ा वन क्षेत्र' है। दरअसल, बिगड़ी हुई तो भाजपा की सोच है, जो आदिवासियों से उनके अधिकार और जल-जंगल-जमीन छीनने पर तुली हुई है।"


दरअसल, मध्य प्रदेश में जलवायु परिवर्तन से होने वाले दुष्प्रभावों को कम करने के लिए और राज्य के जंगलों की परिस्थिति में सुधार करने और आदिवासियों की आजीविका को सुदृढ़ करने के नाम पर प्रदेश के कुल 94,689 लाख हेक्टेयर वन क्षेत्र में से 37,420 लाख हेक्टेयर वन क्षेत्र को निजी कंपनियों को देने का निर्णय लिया गया है। इस बाबत प्रदेश सरकार की तरफ से एक अधिसूचना भी जारी की गई है।

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इस मसले पर प्रदेश के जानेमाने पर्यावरणविद डॉ सुभाष पांडेय का कहना है कि, 'राज्य के आधे से अधिक बिगड़े वन क्षेत्रों को सुधारने के लिए जंगलों के जिस क्षेत्र को अधिसूचित किया गया है, वास्तव में वहां आदिवासियों के घर-द्वार, खेत और चारागाह हैं। इसे राज्य सरकार बिगड़े वन क्षेत्र की संज्ञा दे कर निजी क्षेत्रों को सौंपने जा रही है।' यही वजह है कि कांग्रेस ने शिवराज सरकार के इस कदम को आदिवासियों को उनके अधिकारों से वंचित करने की कोशिश बताया है।