कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर का फुलपेज गुणगान, हिंदी अखबार ने मित्र, सपूत और देवदूत बता डाला

हिंदी अखबार दैनिक भास्कर ने नरेंद्र सिंह तोमर को दिया बर्थड़े गिफ्ट, गुणगान से चौथे पृष्ठ को पाट दिया, इसमें आठ स्टोरी हैं, सब के सब तोमर के गुणगान में

Updated: Jun 12, 2021, 08:14 AM IST

Photo Courtesy: Deccan Herald
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भोपाल। देश के कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का आज यानी 12 जून को जन्मदिन है। तोमर के जन्मदिन को खास बनाने के लिए उनके समर्थक तो जुटे हुए हैं हीं, मीडिया घराने भी उन्हें प्रफ्फुलित रखने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती। देश के एक बड़े हिंदी अखबार ने तोमर को विशिष्ट बर्थड़े गिफ्ट दिया है। अखबार ने अपने चौथे पेज को तोमर के गुणगान के नाम समर्पित कर दिया है। इसमें कहीं उन्हें सपूत बताया गया है तो कहीं मित्र। इतना ही नहीं उनकी तुलना देवदूत तक से की गई है।

दैनिक भास्कर ने अपने भोपाल एडिशन के चौथे पृष्ठ पर लिखा है 'सशक्त पंचायत, समृद्ध किसान'। इस पन्ने पर भास्कर ने कुल आठ स्टोरी छापी है, और विज्ञापन एक भी नहीं है। इन आठो स्टोरी में बीजेपी नेता तोमर की भर-भर के तारीफें लिखी हुई है। मीडिया जानकारों का मानना है कि ये कंटेंट स्टोरी नहीं बल्कि विज्ञापन है। हालांकि, अखबार ने कहीं भी इस बात का उल्लेख नहीं किया है।

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अख़बार में सबसे ऊपर बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा हुआ है कि तोमर देश के कृषि मंत्री नहीं बल्कि कृषि मित्र हैं। लीड स्टोरी में बताया गया है कि कृषि विकास का स्वर्णिम युग चल रहा है। तोमर के नेतृत्व में कृषि विभाग ने विकास की गाथा रच डाली है। नीचे के स्टोरी के हेडिंग में लिखा है कि तोमर सर्वमान्य नेता हैं। एक अन्य हेडिंग में लिखा है की सच्चा सपूत जिसने दिलाई चंबल को नई पहचान। 

इतना ही नहीं कुछ हेडिंग्स तो बेहद अजीबोगरीब हैं। मसलन 'विरोधी भी कह उठे सिद्धान्तों को लेकर ऐसी पारदर्शिता सराहनीय।' एक हेडिंग है कि कोरोना काल में बने देवदूत। एक स्टोरी में लिखा है कि जो भी दायित्व मिला उसे ऐतिहासिक बना दिया। इन सब में जो सबसे विचित्र हेडिंग माना जा रहा है वह ये है कि, 'कृषि मंत्री के रूप में उपलब्धियां इतिहास में किसी के कार्यकाल में नहीं हुई।' इसे तारीफ के रूप में लिया जाए या तंज के रूप में देखा जाए यह स्पष्ट नहीं है।

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चूंकि, जमीनी हकीकत भी यह है कि कृषि मंत्री के रूप में जो कारनामें तोमर ने किए हैं, शायद ही आजाद भारत के इतिहास में किसी ने किया हो। चाहे वह 6 महीनों से दिल्ली बॉर्डर पर बैठे किसानों की मांग को न मानने पर अड़े रहना हो या फिर 500 किसानों की मौत पर भी तनिक भी व्याकुल न होना हो, तोमर ने कृषि मंत्री रहकर वह सब किया जो अबतक किसी और मंत्री ने नहीं किया। इसे उपलब्धि माना जाए या कुछ और इसपर विभिन्न मत हो सकते हैं।

बहरहाल, कृषि मित्र (मंत्री) के कार्यशैली को देशभर में चल रहे किसान आंदोलन, अन्नदाताओं की दिशा और दशा बखूबी दर्शाती है। तोमर के कृषि मंत्री रहते साल 2019 में देश के 42 हजार 480 किसानों और कृषि मजदूरों ने आत्महत्या की है। यह खुद एनसीआरबी का डेटा कहता है। खुशहाल किसानों के बैनर्स असल में किसानों की जिंदगी नहीं बदलती। इसी महीने 26 जून को जब किसान आंदोलन के सात महीने पूरे होंगे तो सभी राज्यों के राजभवन पर किसानों का धरना होगा। यही है देश के किसानों की हकीकत। खेत छोड़ वे सड़कों पर आ गए हैं।