शिप्रा में सत्याग्रह के लिए उतरीं नूरी ख़ान बाल बाल बचीं, नदी के शुद्धिकरण की मांग पर डटीं

नूरी खान शिप्रा नदी के शुद्धिकरण की मांग लेकर शिप्रा नदी में जल सत्याग्रह करने उतर गयीं, लेकिन इसी दौरान नदी का तेज़ बहाव उन्हें अपने साथ कुछ दूर बहा ले गया.. मौके पर मुस्तैद लोगों ने एक बड़ी दुर्घटना होने से बचा लिया

Updated: Jan 20, 2022, 04:35 PM IST

उज्जैन। शिप्रा नदी के शुद्धिकरण की मांग को लेकर प्रदेश महिला कांग्रेस की उपाध्यक्ष नूरी खान मुहिम चला रही हैं। अपने जुझारू अंदाज़ के लिए मशहूर नूरी जब चार फीट पानी में उतरीं तो उनको भरोसा था कि सरकार और प्रशासन उनकी मांग सुनने के लिए जरूर आएगा। लेकिन उससे पहले ही  नूरी का पैर फिसला और अचानक वो पानी के साथ बहने लगीं। यह खबर मीडिया में बहाव से भी ज्यादा तेज़ फैली लेकिन उन्हें बचा लिया गया। मौके पर मुस्तैद लोगों ने तत्परता दिखायी और वो बच गईं। हालांकि कुछ देर के लिए वो बेहोश हो गयी थीं और उन्हें अस्पताल ले जाना पड़ा। 

नूरी खान ने शिप्रा नदी के शुद्धिकरण की मांग को लेकर जल सत्याग्रह करने का एलान किया था। गुरुवार सुबह करीब दस बजे वो अपने समर्थकों के साथ दत्त अखाड़ा क्षेत्र पहुँचीं। जल सत्याग्रह करने के इरादे से नूरी खान करीब चार फीट गहरे पानी में उतर गयीं। जबकि कुछ महिलाएं घाट पर बैठकर उनके आंदोलन को समर्थन दे रही थीं। तभी उनका पैर फिसला और वो बहने लगीं।

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नूरी खान का आरोप है कि सरकार शिप्रा में आस्था रखनेवाले भक्तों के साथ विश्वासघात कर रही है। इस नदी के शुद्धिकरण के नाम पर सरकार ने दो दशकों में 650 करोड़ से ज्यादा खर्च कर दिए। नर्मदा शिप्रा लिंक परियोजना पर भी सैकड़ों करोड़ का बजट रखा। सिंहस्थ में भी लगभग सौ करोड़ के बजट से डायवर्जन किया गया, लेकिन यह सारा पैसा पानी में बह गया और शिप्रा आज भी मैली रह गयीं। उनकी मांग है कि इस भ्रष्टाचर के खेल में शामिल लोगों के नाम उजागर किए जाएं। इसी मांग को लेकर वो शिप्रा में सत्याग्रह करने उतरी थीं।

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शिप्रा नदी के शुद्धिकरण का मुद्दा हाल ही में साधु संतों द्वारा भी उठाया गया था, जिसे प्रशासन ने मना लिया था। लेकिन विपक्षी पार्टी की नेता नूरी खान के संघर्ष को प्रशासन ने ज्यादा तवज्जो नहीं दी। हालांकि वे इस संबंध में कई बार धरना प्रदर्शन कर चुकी हैं। नूरी खान ने आज जल सत्याग्रह शुरु करने से पहले कहा भी था कि जब तक सरकार यह नहीं बताती है कि शिप्रा नदी के शुद्धिकरण के लिये उसने क्या कदम उठाये, तब तक उनका यह संघर्ष जारी रहेगा। जल सत्याग्रह के लिये नदी में उतरने से पहले नूरी खान ने यह भी कहा था कि अगर उन्हें कुछ होता है तो इसकी ज़िम्मेदारी राज्य सरकार और ज़िला प्रशासन की होगी।