पन्ना में भाजपाइयों पर आदिवासियों की जमीन क़ब्ज़ाने का आरोप, दिग्विजय सिंह ने लिखा सीएम को पत्र

दिग्विजय सिंह ने कहा है कि बीजेपी से जुड़े एक भू-माफिया ने आदिवासी परिवारों की जमीनें फर्जी नामांतरण से अपने नाम करवा ली हैं, एडीएम ने दिया एफआईआर का निर्देश

Updated: Mar 15, 2021, 10:22 AM IST

पन्ना। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने बीजेपी नेताओं पर गंभीर आरोप लगाया है। उन्होंने कहा है कि बीजेपी से जुड़े लोग पन्ना जिले में आदिवासियों की जमीन हथिया रहे हैं। दिग्विजय सिंह ने इस बारे में सीएम शिवराज सिंह को पत्र लिखकर पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच कराने की मांग की है। पत्र में उन्होंने लिखा है कि 'बीजेपी से जुड़े एक भू-माफिया ने आदिवासी परिवारों की जमीनें फर्जी नामांतरण से अपने नाम करवा ली हैं। पन्ना के एडीएम ने जांच के बाद करोड़ों की जमीन कौड़ियों में खरीदने की धोखाधड़ी करने वाले भू-माफिया पर तत्काल एफआईआर के निर्देश दिए हैं। लेकिन सत्तापक्ष से जुड़े होने की वजह से अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

दिग्गज कांग्रेस नेता ने इसे मध्य प्रदेश के लाखों गरीब आदिवासी परिवारों की जमीन खरीदने, बेचने के लिये वर्षों से चल रहे षड्यंत्र का एक छोटा सा नमूना बताया है। सीएम के नाम पत्र में उन्होंने लिखा है, 'इस मामले में कर्तव्यनिष्ठ IAS अधिकारी व पन्ना एसडीएम शेर सिंह मीना ने अपने विस्तृत निर्णय में घोटाले की सारी परतें उधेड़ दी हैं। यह कहानी हीरे जैसी कीमती जमीन को हड़पने में माध्यम बनाये गये हीरालाल गोंड की नहीं है, बल्कि हीरे के लिए विश्व प्रसिद्ध पन्ना जिले की खदानों में काम करने वाले अन्य आदिवासी परिवारों की भी है। खनिज की खदानों के आस- पास कई दशकों से रहने वाले आदिवासी परिवार दसिया गोंड, कल्ली बाई गोंड, बाला गोंड गिल्ली दशस्थ गोंड, किशन तनय गोंड, गेंदाबाई गोंड, सुरेश, स्वरूप रामसिलावन, शारदा, कल्लू बाई, राजाबाई, गीताबाई, शारदा गोड़ और नंदुआ कोदर की भी यही कहानी है।'

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पत्र में उन्होंने आगे लिखा है, 'बुंदेलखंड के आदिवासी बाहुल्य वाले तथा हीरे की खदानों के लिए विख्यात पन्ना जिले के गरीब आदिवासी परिवारों को जमीन से बेदखल करने की कोशिशें जब भू-माफिया ने शुरू कीं, तो मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने जनजाति वर्ग के वरिष्ठ नेता पूर्व विधायक नन्हेलाल धुर्वे के नेतृत्व में एक जांच दल भेजकर मामले की जांच कराई थी। इसमें खुलासा हुआ कि हीरालाल गोंड से अंकुर त्रिवेदी ने करीब 90 लाख रुपये में जमीन खरीदी थी, लेकिन गरीब आदिवासी को फूटी कौड़ी नहीं मिली और वह आज भी झोपड़ी में गुजर-बसर कर रहा है।'

भू-माफिया को जिंदा गाड़ने वाले बयान की उड़ाई धज्जियां : दिग्विजय

वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने लिखा है कि 'IAS शेर सिंह मीना ने पीड़ित परिवारों पर आ रहे भारी राजनैतिक दबावों के बीच उनके घर जाकर बयान लिये और 70 वर्ष पुराने राजस्व रिकार्ड को खंगालकर करोड़ों रुपये मूल्य के इस जमीन घोटाले को उजागर किया। राजनीतिक दबाव के बावजूद बैखौफ होकर निष्ठापूर्वक काम करने वाले आई.ए.एस. अधिकारी मीना का स्थानांतरण करके सरकार ने आपके इस लोकप्रियता अर्जित करने वाले बयान की धज्जियां उड़ा दी हैं, जिसमें आप भू-माफियाओं को जिंदा गड़ा देने की बातें करते हैं। इस तबादले ने अनुसूचित जाति, जनजाति के प्रति आपकी सरकार की असंवेदनशीलता जाहिर की है। इस जमीन घोटाले में तहसील से लेकर राजस्व मंडल तक की भूमिका संदिग्ध है।'

इंदिरा गांधी के जमाने में मिले थे पट्टे

दिग्विजय सिंह ने आरोप लगाया कि जिस हीरालाल गोंड के नाम पर करोड़ो रुपये कीमत की जमीन की बेनामी खरीदी-बिक्री की गई, उसे भी राजस्व न्यायालय में जाने से रोकने की कोशिश की गई। कांग्रेस नेता ने एक आदिवासी गवाह गौरी शंकर द्वारा एसडीएम को दिये बयान के हवाले से बताया कि इन गरीब आदिवासियों को रहने के लिये पट्टे पूर्व प्रधानमंत्री दिवंगत इंदिरा गांधी के जमाने में मिले थे।

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कांग्रेस नेता ने मांग की है कि, 'जिस तत्परता से आईएएस अधिकारी शेर सिंह मीना ने अपने फैसले से आदिवासी परिवारों की जमीन पुनः उनके नाम करने का आदेश पारित किया, उसी तत्परता से आदेश के अनुरूप राज्य सरकार गरीब और मजदूर वर्ग के अनुसूचित जनजाति के परिवारों को उनकी पुश्तैनी और पट्टे वाली जमीन पर कब्जा दिलाये।' सिंह ने यह भी कहा है कि भू-माफिया अंकुर त्रिवेदी के खिलाफ आदिवासियों के साथ छल-कपट, जोर जबरदस्ती और कूट रचित दस्तावेजों को तैयार कर करोड़ों रुपये की जमीन हड़पने जैसे आपराधिक कृत्य करने पर एफआईआर दर्ज कराई जाए।'