विदिशा: श्मशान पर मरीज़ के शव का इतंजार कर रहे थे परिजन, अस्पताल से फोन आया आपका पेशेंट तो ज़िन्दा है

विदिशा के अटल बिहार वाजपेई मेडिकल कॉलेज के प्रबन्धन ने एक ही मरीज़ को दो दो बार मृत घोषित कर दिया है, जबकि मरीज़ का इलाज अभी चल रहा है और वो अभी वेंटिलेटर पर है

Publish: Apr 16, 2021, 12:23 PM IST

विदिशा। विदिशा के अटल बिहारी वाजपेई मेडिकल कॉलेज की तरफ से बड़ी लापरवाही का मामला सामने आया है। अस्पताल ने एक ही मरीज़ को दो दो मर्तबा मृत घोषित कर दिया। इतना ही नहीं परिजन मरीज़ के शव का इंतज़ार करने और उसके दाह संस्कार के लिए श्मशान घाट तक पहुंच गए। तभी अस्पताल की ओर से फोन आया और प्रबंधन ने कहा कि आपका पेशेंट अभी ज़िंदा है। 

13 अप्रैल को विदिशा के सुल्तानिया गांव के रहने वाले 58 वर्षीय गोरेलाल कोरी की तबीयत बिगड़ने के बाद उनके परिजनों ने उन्हें विदिशा के अटल बिहारी वाजपेई मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया। मरीज़ को सांस लेने में तकलीफ़ थी। कोरोना से संदिग्ध मानकर अस्पताल प्रबंधन ने वेंटिलेटर पर रख दिया। तीन दिन तक इलाज करने के बाद मरीज़ के परिजनों को बताया गया कि मरीज़ की मौत हो गई है। 

यह भी पढ़ें : दमोह उपचुनाव: भूपेंद्र सिंह की गाड़ी में मिले करोड़ों के कैश, कांग्रेस का आरोप, लोकतंत्र के दुष्कर्म की मूकदर्शक बनी पुलिस

सूचना मिलने पर मरीज़ का बेटा आनन फानन में अस्पताल पहुंचा। मरीज़ के बेटे ने आपबीती सुनाते हुए कहा कि जब वे अपने पिता के मृत होने की खबर सुनकर अस्पताल पहुंचे तब अस्पताल प्रबंधन ने कहा कि हम आपके पिता को बचा नहीं पाए। लेकिन तुरंत ही एक नर्स वहां आई तो उसने कहा कि पेशेंट की सांसे अभी भी चल रही हैं। यह सुनने के बाद मरीज़ के बेटे ने राहत की सांस की ली। बेटे ने अस्पताल प्रबन्धन से अपने पिता के बेहतर इलाज का आश्वासन लिया और घर लौट आया। 

घर लौटने के तुरंत बाद ही शाम करीब चार बजे अस्पताल से फोन आया कि मरीज़ की हालत बहुत गंभीर है, इसलिए ऑपरेशन करना पड़ेगा। शाम को अस्पताल से एक बार फिर फोन आया और कहा कि ऑपरेशन करने के दौरान मरीज़ कोरोना से संक्रमित हो गए और इसी दौरान उनकी मौत हो गई। अस्पताल ने कहा कि मरीज़ का शव अब सीधे श्मशान पहुंचाया जाएगा। बेटे ने बताया कि अस्पताल प्रबंधन ने उसके पिता का मृत्यु प्रमाण पत्र भी सौंप दिया।

मौत की खबर सुनकर परिजन श्मशान घाट पर शव का इंतज़ार करने लगे। शव की अंत्येष्टि करने के लिए लकड़ियां एकत्रित करने लगे। तभी अचानक अस्पताल से एक बार फिर फोन आया और बताया गया कि आपका पेशेंट अभी भी ज़िंदा है। 

हालांकि अस्पताल की इस तरह की लापरवाही का यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी खंडवा के एक अस्पताल ने एक युवक को मृत बता कर बुज़ुर्ग व्यक्ति का शव परिजनों को सौंप दिया था।