एक ही आधार नंबर पर 2, 3 और 16 बार लगे टीके, 13 साल के बच्चे को भेजा सर्टिफिकेट, एमपी में ऐसे बना टीकाकरण का फ़र्ज़ी रिकॉर्ड

मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार ने दावा किया कि 21 जून को राज्य में रिकॉर्ड 17.42 लाख लोगों का टीकाकरण किया गया, लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स में धोखे और फर्जीवाड़े के अनेक केस सामने आ गए हैं

Updated: Jun 29, 2021, 05:18 AM IST

Photo Courtesy: Republic World
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भोपाल। 21 जून को टीकाकरण अभियान में सबसे आगे रहे मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार पर एक बार फिर गंभीर आरोप लगने शुरू हो गए हैं। मीडिया रिपोर्टस में खुलासा हुआ है कि सरकार ने टीकाकरण महा-अभियान का महा-रिकॉर्ड बनाने के चक्कर में 21 जून को बहुतेरे ऐसे लोगों को सर्टिफिकेट भेज दिया जिन्होंने टीका या तो लगवाया ही नहीं या फिर कई बार सर्टिफिकेट प्राप्त किए या फिर एक आधार नंबर मगर अनेक फोन पर टीके लगाए गए। दावा है कि भोपाल में ऐसे लोगों को टीका लगाया गया जो भोपाल कभी आए ही नहीं। यह भी देखने को मिला कि कोई व्यक्ति तमिलनाडु, महाराष्ट्र और झारखंड में है, मगर उसे एक किसी आधार नंबर से जोड़ दिया गया और उस पर अनेक टीके लगा दिए गए।

हिन्दी अखबार दैनिक भास्कर ने भोपाल के 10000 लोगों के डेटा की पड़ताल की तो हैरान करनेवाली जानकारी सामने आयी। पता चला कि 661 लोगों के आधार नंबर पर करीब दोगुना यानी 1459 लोगों को टीका लगाया गया। इसी पड़ताल में अखबार के रिपोर्टर ने पाया कि 555 आधार नंबरों पर दो-दो टीके लगाए गए। 90 पर तीन-तीन और एक आधार नंबर तो ऐसा निकला जिसपर भोपाल में 16 टीके लगाए गए। बैरागढ़ के वैक्सीनेशन सेंटर पर सुलेमान नाम के व्यक्ति जिनका आधार नंबर ...9999 बताया गया है, इस पर सोलह बार वैक्सीनेशन हुआ। लेकिन इस आधार के साथ जो मोबाइल जुड़ा है, वह सतना के रहनेवाले राज चांदवानी का बताया गया है।

ऐसी ही कहानी भोपाल के विभिन्न फोन नंबरों को सर्च करने पर सामने आयी है। एडीटीवी ने बताया कि एक तेरह साल के बच्चे को भी टीका लगाने का सर्टिफिकेट मिला है। जबकि देश में 18 साल से कम उम्रवालों को अभी टीका लगवाने की शुरूआत ही नहीं हुई है। बच्चे के पिता कहते हैं कि उन्होंने विकलांग बच्चे के पेंशन के लिए रिकॉर्ड्स जमा किए थे। शायद उसी से ये घोटाला हुआ है।

कहानी कुछ यूं है कि - पिछले सोमवार यानी 21 जून को भोपाल के टीला जमालपुरा के रहने वाले रजत डांगरे अपने फोन पर आया मेसेज देखकर चौंक उठे। रजत डांगरे के फोन पर उनके 13 वर्षीय बच्चे वेदांत डांगरे को टीका लगाए जान का मेसेज आया था। रजत डांगरे ने अंग्रेजी वेब पोर्टल को बताया कि मेसेज में उनके बेटे की उम्र 56 वर्ष बताई गई थी। रजत डांगरे ने बताया कि उनके पास वैक्सीनेशन का यह मेसेज 21 जून की शाम सात बजे आया था। मेसेज आने के बाद जब उन्होंने वैक्सीनेशन फॉर्म डाउनलोड किया, तब फॉर्म में वही डॉक्यूमेंट था, जो उन्होंने कुछ दिन पहले अपने विकलांग बच्चे की पेंशन के लिए जमा किया था। 

एनडीटीवी की रिपोर्ट बताती है कि भोपाल निवासी नुजहत सलीम को भी 21 जून की रात में वैक्सीन लगवाने का मेसेज आया। 46 वर्षीय नुजहत सलीम (महिला) ने अंग्रेजी वेब पोर्टल को बताया कि वे पेंशनधारी नहीं हैं, लेकिन बावजूद इसके उनकी पहचान के तौर पर पेंशन के डॉक्यूमेंट का इस्तेमाल किया गया है। नुजहत सलीम फोन पर मेसेज आने से चिंतित हैं। उनका कहना है कि उन्होंने अब तक वैक्सीन की एक भी डोज नहीं ली है, इसलिए अब उन्हें इस बात की चिंता सता रही है कि अब वे वैक्सीन किस आधार पर लेंगी। क्योंकि उन्हें तो टीकाकरण का मेसेज आ गया है। 

ऐसी अजीबो गरीब कहानियां भोपाल के अनेक गली मोहल्लों में सुनने को मिल रही है। सरकारी व्यवस्था के मुताबिक एक आधार नंबर सिर्फ एक व्यक्ति को दिया जा सकता है, यही उसकी पहचान के तौर पर सभी सरकारी संस्थाओं और बैंक आदि से जुड़ा होता है। एक आधार नंबर पर अगर सोलह अलग अलग मोबाइल नंबरों वाले लोग जुड़े हैं तो यह अपने आप में एक बड़े फ्रॉड का संकेत है। जानकार कह रहे हैं कि एक आधार नंबर को दोबारा फीड करना संभव नहीं है। क्योंकि अगर पोर्टल के जरिए वैक्सीन लगाई जा रही है तो पोर्टल ेक आधार नंबर को दोबारा फीड करने पर स्वीकार नहीं करेगा।

असल में मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार ने दावा किया था कि 21 जून को मध्यप्रदेश में रिकॉर्ड 17.42 लाख लोगों का टीकाकरण किया गया। इन खबरों के सामने आने के बाद मुख्यमंत्री शिवराज चौहान के इस दावे पर सवालिया निशान खड़े हुए हैं। शिवराज सरकार पर अभियान की सफलता के लिए कई दिन पहले से वैक्सीन की जमाखोरी का आरोप भी लगा। लेकिन अब इस प्रकरण ने तो वैक्सीनेशन के महा- अभियान में फर्जीवाड़े की पोल खोलकर रख दी है।