वोकल पर लोकल की मुहिम हुई तेज, रतलामी सेव, इंदौर के चमड़े के खिलौने और कड़कनाथ मुर्गों की ब्रांडिंग करने की तैयारी
GI टैग प्राप्त तीन आइटम्स की ब्रांडिंग करेगी प्रदेश सरकार, विश्व स्तर पर प्रमोशन के लिए डाक विभाग ने प्रदेश के उत्पादों पर जारी किया स्पेशल कवर, 2017 में मिल चुका है Geographical Indication Tag

भोपाल। जुलाई 2019 में तत्कालीन कमलनाथ सरकार ने प्रदेश की जिन वस्तुओं की ब्रांडिंग के लिए बजट में प्रस्ताव किया था, अब उस काम को बीजेपी सरकार भी आगे बढ़ा रही है। प्रदेश सरकार ने प्रसिद्ध रतलामी सेव, इंदौर के लेदर के खिलौनों और झाबुआ के कड़कनाथ मुर्गे की प्रजाति की ब्रांडिंग का काम शुरू किया है। दरअसल इन तीनों चीजों को GI टैग मिल चुका है। इन तीनों उत्पादों के साथ कई अन्य उत्पादों को तीन साल पहले GI टैग दिया गया था। अब प्रदेश सरकार उनकी विश्व स्तर पर ब्रांडिंग करने की तैयारी कर रही है।
इसकी शुरूआत के तौर पर प्रदेश के राज्यपाल मंगूभाई पटेल ने हाल ही में इन GI टैग प्राप्त उत्पादों पर डाक विभाग का विशेष कवर जारी किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि लोकल स्तर पर बनी वस्तुओं की ब्रांडिंग से प्रदेश की जनता आत्मनिर्भर होगी। छोटे-छोटे प्रयासों से भी बड़े रिजल्ट हासिल किए जा सकते हैं। राज्यपाल ने कहा कि रोजाना का काम करते हुए भी राष्ट्र का निर्माण किया जा सकता है। हम लोकल के लिए वोकल होकर, देश के स्थानीय उत्पादों का उपयोग करके, मज़बूत आत्म-निर्भर राष्ट्र का निर्माण कर सकते हैं।
Today, 3 special covers on GI tagged products of Madhya Pradesh, 1-Ratlami Sev, 2- Leather toys of Indore, 3- Jhabua Kadaknath Black Chicken Meat were released by Hon'ble Governor of Madhya Pradesh, Respected Chief Postmaster General & Res. Director Postal Services, M.P. Circle. pic.twitter.com/Sc2aUU9V8V
— India Post MP Circle (@MP_Circle) August 17, 2021
दरअसल जब किसी वस्तु को भौगोलिक आधार पर GI टैग मिल जाता है तो उसका निर्माण स्थानीय स्तर पर ही होता है। इसी कड़ी में GI टैग प्राप्त रतलामी सेव मालवा अंचल में बनाई जा सकेगी। भौगोलिक संकेत याने Geographical Indication Tag लोकल स्तर पर बनने वाली वस्तुओं को पहचान प्रदान करता है। इस टैग के जरिए किसी भी सामान को उसकी जगह के नाम से जाना और पहचाना जाता है, जैसे बंगाली रसगुल्ले, रतलामी सेव, महेश्वर की साडियां जैसी कई चीजें इस लिस्ट में शुमार है। दरअसल संसद में रजिस्ट्रेशन एंड प्रोटेक्शन एक्ट-1999 के तहत जियोग्राफिकल इंडिकेशंस ऑफ गुड्स लागू किया गया था। जो कि राज्य के किसी खास भौगोलिक परिस्थितियों में पाई जाने वाली चीजों को विशिष्ट वस्तु का कानूनी अधिकार देता है।
GI टैग प्राप्त रतलामी सेव, इंदौर के लेदर के खिलौनों, झाबुआ के कड़कनाथ मुर्गे का उपयोग इन जगहों पर ही ट्रेड मार्क के तौर पर ही होगा। इनकी ब्रांडिंग से व्यापार में बढ़ोतरी होगी। देश और दुनिया में मालवा की सेव रतलामी सेंव के नाम से फेमस है। इसका उत्पादन स्टैंडर्ड और रेग्यूलेशन के तहत रजिस्टर्ड नमकीन कारोबारियों द्वारा ही किया जा सकेगा।
मध्यप्रदेश में तैयार होने वाली कई खास वस्तुओं को GI टैग मिल चुका है। जिनमें टीकमगढ़ और दतिया में खास तौर पर तैयार किए जाने वाले मेटल शिल्प, चंदेरी, बाघ प्रिंट, महेश्वरी साड़ियां भी शामिल हैं। तीन साल पहले वर्ल्ड ट्रेड आर्गेनाइजेशन से संबंधित जियोग्राफिकल इंडिकेशन ऑफ गुड्स (रजिस्ट्रेशन एंड प्रोटेक्शन) एक्ट 1999 के तहत इन सभी को GI टैग दिया गया था।
2019 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने अपने कार्यकाल में मालवा के लड्डू-चूरमा, दाल बाफले, बुंदेलखंड की मावा जलेबी, मुरैना की गजक, भोपाल के बटुए, चंदेरी और महेश्वरी साड़ी की ब्रांडिंग के लिए भी अपने बजट में प्रावधान किया था। लेकिन सरकार के गिर जाने की वजह से वह काम पूरा नहीं हो सका। अब एक बार फिर उम्मीद जागी है। इन पर तीनों पर पोस्टल विभाग का तरह विशेष कवर जारी किया है।
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डाक विभाग ने तीन खास लिफाफे जारी किए हैं, हाल ही में बंगाल की दो मिठाइयों को GI टैग मिलने का रास्ता साफ हुआ था। ये मिठाइयां थी सरभजा और सरपुरिया। इन्हें बंगाल के कृष्णनगर और नादिया जिलों में ज्यादा बनाया और उपयोग किया जाता है।