उज्जैन में शुरू हुआ संतों का आंदोलन, धरने पर बैठे 13 अखाड़ों के साधु-संत, कांग्रेस ने किया का समर्थन

मध्य प्रदेश के उज्जैन में शुरू हुआ संतों का आंदोलन, शिप्रा शुद्धिकरण के लिए संत समाज ने अपनाया सत्याग्रह का रास्ता, धरने पर बैठे 13 अखाड़े के संत

Updated: Dec 10, 2021, 08:42 AM IST

उज्जैन। भारतीय किसानों ने पूरी दुनिया को सत्याग्रह की ताकत बता दी है। किसान आंदोलन थमते ही अब देश में संत आंदोलन की शुरुआत हो गई है। साधु-संत समाज का यह आंदोलन बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन में शुरू हुआ है। संतों की मांग है कि सरकार शिप्रा नदी के शुद्धिकरण के लिए ठोस कदम उठाए।

रिपोर्ट्स के मुताबिक शिप्रा शुद्धिकरण के लिए 13 अखाड़ों के संत गुरुवार से उज्जैन में धरने पर बैठ गए हैं। साधु-संतों की मांग है कि शिप्रा नदी से मिलने वाले तमाम नालों को तत्काल रोका जाए। दरअसल, उज्जैन में उत्तरवाहिनी शिप्रा नदी के शुद्धीकरण को बीजेपी वर्षों से चुनावी मुद्दा बनाती रही है। प्रदेश में लगातार बीजेपी की सरकार भी है बावजूद धरातल पर कोई काम नहीं हो पाया है। जल प्रदूषण बोर्ड की रिपोर्ट में क्षिप्रा के राम घाट का पानी D ग्रेड बताया है।

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बताया जा रहा है कि बुधवार को जूना अखाड़ा के नेतृत्व में एक बैठक आयोजित की गई थी। जूना अखाड़े के महंत आनंद गिरी ने बताया कि 13 अखाड़ों के साधू संतों ने बैठक के दौरान यह तय किया है कि शिप्रा शुद्धिकरण के लिए गुरुवार से धरना प्रदर्शन शुरू किया जाएगा। संत समाज के लोग प्रतिदिन दत्त अखाड़ा घाट पर धरना देंगे। आजाद भारत के इतिहास में भी यह पहली बार है जब 13 अखाड़ों के संत एक साथ चरणबद्ध तरीके से आंदोलन कर रहे हैं।

संतों के मुताबिक इंदौर की खान नदी का प्रदूषित पानी और देवास की फैक्ट्री का प्रदूषित पानी शिप्रा नदी में मिल रहा है। इसके अलावा होटलों का गंदा पानी भी शिप्रा में बहाया जा रहा है। संतों ने कहा है कि खान नदी पर नहर बनाकर उसका प्रदूषित पानी कालियादेह महल से बाहर किया जाए साथ ही उद्योग और होटलों का पानी तत्काल रोका जाए। संतों ने सरकार को अल्टीमेटम देते हुए कहा है कि तत्काल उनकी मांगें पूरी नहीं होती है तो वे चरणबद्ध तरीके से विरोध प्रदर्शन को और तेज करेंगे। 

साधु-संतों के इस आंदोलन को कांग्रेस ने भी समर्थन दिया है। मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने कहा कि, 'यह लोगों की आस्था का प्रश्न है। सभी चाहते है कि मोक्षदायिनी शिप्रा नदी का जल निर्मल, स्वच्छ व सदा प्रवाहमान रहे। सरकार साधु-संत समाज की इस माँग पर त्वरित निर्णय लेते हुए शिप्रा नदी शुद्धिकरण की विस्तृत ठोस कार्ययोजना बनाए।'