शिवराज सरकार ने रद्द किया पंचायतों का परिसीमन, कांग्रेस ने बताया पंचायती लोकतंत्र खत्म करने की साजिश

शिवराज सरकार ने कमलनाथ सरकार का एक और फैसला पलटा, चुनाव की तैयारियों के बीच ग्राम पंचायतों का परिसीमन निरस्त, फिर टल सकते है चुनाव

Updated: Nov 22, 2021, 07:05 AM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार ने कमलनाथ सरकार का एक और फैसला पलट दिया है। पंचायत चुनाव की तैयारियों के बीच राज्य सरकार ने ग्राम पंचायतों का परिसीमन निरस्त कर दिया है। राज्य सरकार ने गजट नोटिफिकेशन जारी कर मध्य प्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज (संशोधन) अध्यादेश-2021 लागू कर दिया है। ऐसे में आशंका है कि पंचायत चुनाव एक बार फिर से टल सकते हैं।

कांग्रेस ने प्रदेश सरकार के इस फैसले पर आपत्ति जताते हुए आरोप लगाया है कि भाजपा सरकार ग्राम पंचायत स्तर पर लोकतांत्रिक व्यवस्था को खत्म करने की साजिश रच रही है। कांग्रेस प्रवक्ता सैयद जफर ने आरोप लगाया कि पंचायत चुनाव को टालने के लिए परिसीमन निरस्त किया गया है। उन्होंने सरकार की नीयत पर सवाल उठाते हुए पूछा कि जब BLO स्तर पर ट्रेनिंग हो चुकी है, तब परिसीमन को निरस्त क्यों किया गया? निरस्त ही करना था तो सरकार इसे पहले ही निरस्त कर देती। साफ है कि चुनाव को टालने के लिए ऐसा किया गया है।

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दरअसल, कमलनाथ सरकार ने साल 2019 में पंचायतों का परिसीमन कराया था। इसमें 1200 नई पंचायतें बनाई गई थी जबकि 102 ग्राम पंचायतों को समाप्त किया गया था। यह परिसीमन 2011 की जनसंख्या के आधार पर किया गया था। परिसीमन के बाद पंचायतों की सीमा तय की जाती है और सरकार ने 1950 की सीमा में बदलाव किया था।

पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अधिकारियों का इस संबंध में तर्क है कि परिसीमन चुनाव से पूर्व कराए जाने का प्रावधान है। नियम के मुताबिक ऐसी पंचायतें, जहां परिसीमन होने के एक साल के भीतर चुनाव नहीं कराए गए हैं, वहां के परिसीमन को निरस्त माना जाएगा। ऐसे में पूर्व के अनुसार व्यवस्था लागू हो जाएगी। यानी परिसीमन के पहले की जो सीमा थी उसे ही वैध माना जाएगा साथ ही आरक्षण भी उसी तरह से लागू रहेगा, जैसा पूर्व में था। अब सवाल ये भी उठ रहे हैं कि सरकार ने परिसीमन के एक साल के भीतर चुनाव क्यों नहीं कराए? चूंकि, परिसीमन के बाद कमलनाथ सरकार बदल गई थी और चुनाव की जिम्मेदारी शिवराज सरकार पर थी।