अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठे हरदा पटाखा फैक्ट्री ब्लास्ट के पीड़ित, तीन महिलाओं की तबियत बिगड़ी

धरने में शामिल कांग्रेस नेत्री अवनी बंसल का कहना है कि एसडीएम पीड़ितों पर हड़ताल समाप्त करने का दबाव बना रहे हैं। लिखित में कुछ भी नहीं दिया जा रहा है, केवल मौखिक वादे किए जा रहे हैं।

Updated: Feb 25, 2024, 01:10 PM IST

हरदा। मध्य प्रदेश के हरदा में पटाखा फैक्ट्री ब्लास्ट के पीड़ित परिवार शुक्रवार से भूख हड़ताल पर बैठे हुए हैं। रविवार को हड़ताल का तीसरा दिन है और पीड़ितों ने स्पष्ट कहा है कि मांगें पूरी किए बगैर वे नहीं उठेंगे। धरने पर बैठी तीन महिलाओं की तबियत बिगड़ने के बाद उन्हें जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है। 

हरदा ब्लास्ट के पीड़ित शुक्रवार से शहर के घंटाघर चौक पर अनिश्चितकालीन धरना दे रहे हैं। पीड़ितों का आरोप है कि प्रशासन ने उन्हें सही मुआवजा नहीं दिया। इनका कहना है कि ब्लास्ट में उनके आशियाने उजड़ गए, जीवनभर की पूंजी खत्म हो गई, प्रशासन ने उन्हें महज सवा लाख रुपए दिए हैं। इतने पैसे में वे अपना घर कैसे बनवाएं। 

एसडीएम केसी परते का कहना है कि शनिवार को पीड़ित परिवारों का एक प्रतिनिधिमंडल कलेक्टर से मिला। जहां उनकी बातें सुनने के बाद उन्हें नियमानुसार राहत राशि दिलाने का भरोसा दिलाया गया। बताया जा रहा है कि कलेक्टर ने मांगें पूरी करने संबंधी मौखिक आश्वासन दिया है। हालांकि, धरने पर बैठी महिलाएं लिखित आश्वासन की मांग कर रही हैं। 

धरने में शामिल कांग्रेस नेत्री अवनी बंसल का कहना है कि एसडीएम पीड़ितों पर हड़ताल समाप्त करने का दबाव बना रहे हैं। लिखित में कुछ भी नहीं दिया जा रहा है, केवल मौखिक वादे किए जा रहे हैं। बैतूल से कुछ साथी धरना देने के लिए आए थे, लेकिन प्रशासन ने उन्हें वापस लौटा दिया। आरोपी राजेश अग्रवाल का ड्राइवर अमित प्रजापति को जमानत दे दी गई है। वह पीड़ितों पर दबाव बना रहा है। कलेक्टर-एसपी अलग-अलग ग्रुप में ले जाकर पीड़ितों से बात कर रहे थे।

ये हैं मुख्य मांगें

* मृतकों के परिजनों को 15 लाख और घायलों को 5 लाख मुआवजा दिया जाए।
* जिनके घर क्षतिग्रस्त हुए हैं, उनके निर्माण की बाज़ार भाव से लागत मिले।
* किराएदारों के लिए ढाई लाख रुपए राहत दें।
* विकलांगों एवं मृतकों के परिजन-आश्रित को रोज़गार मिले।
* मृतकों के सही आंकड़े जानने के लिए विशेष टीम गठित करें।
* पूछताछ, शिनाख़्त, सर्वे, फॉरेंसिक जांच, डिटेल स्टडी के ज़रिए मृतकों की सही संख्या पता लगाया जाए।