भोपाल में महिलाओं ने शुरू किया चिपको आंदोलन, 29 हजार पेड़ों को कटने से बचाने की कवायद

शिवाजी नगर इलाके में गुरुवार को लगातार दूसरे दिन पेड़ों को बचाने रहवासी सड़कों पर उतरे। महिलाएं पेड़ों से चिपकी रहीं और कहा कि चाहे जान चली जाए, पेड़ों को नहीं कटने देंगे।

Updated: Jun 13, 2024, 04:48 PM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में पेड़ों को बचाने के लिए महिलाओं ने चिपको आंदोलन शुरू कर दिया है। महिलाएं भोपाल के शिवाजी नगर इलाके में गुरुवार को लगातार दूसरे दिन पेड़ों को बचाने सड़क पर उतरीं। इस दौरान वह पेड़ों से लिपटकर खड़ी नजर आईं। उन्होंने कहा कि चाहे जान चली जाए, पेड़ों को नहीं कटने देंगे।

दरअसल, भोपाल में मंत्री-विधायकों के बंगलों के लिए 29 हजार से ज्यादा पेड़ काटने के तैयारी है। शिवाजी नगर और तुलसी नगर इलाके में ये पेड़ लगे हैं। तुलसी नगर और शिवाजी नगर की 297 एकड़ जमीन पर 2378 करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट है। इसके तहत यहां मंत्रियों के लिए 30 बंगले, 16 फ्लैट व 230 विधायकों के लिए फ्लैट बनाए बनाए जाने हैं। साथ ही अधिकारियों के बंगले भी बनने हैं। इसके लिए दोनों जगहों पर 29 हजार पेड़ों को काटा जाना है। 

इस प्लान के विरोध में चिपको आंदोलन शुरू हो गया है। गुरुवार को लगातार दूसरे दिन कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ इलाके के रहवासियों ने घरों से बाहर निकलकर विरोध दर्ज कराया। इस दौरान बड़ी संख्या में लोग पांच नंबर स्टाप स्थित श्रीराम मंदिर प्रांगण में जुटे और पेड़ों को बचाने के लिए चिपको आंदोलन चलाने का निर्णय लिया। साथ ही पेड़ों को काटकर बंगले बनाने सम्बंधी शासन-प्रशासन के निर्णय का विरोध किया।

महिलाओं ने कहा कि जिन आम, पीपल, नीम, जामुन, बरगद के पेड़ों को हमारे बुजुर्गों ने लगाया, उन्हें हम नहीं कटने देंगे। महिलाएं काफी देर तक पेड़ों से चिपकी रहीं। उन्हें दुलार करती रहीं। सभी ने कहा कि हरियाली है तो जीवन है। चाहे जो भी हो जाए, चाहे जान ही चली जाए, लेकिन पेड़ों को किसी भी कीमत पर नहीं कटने देंगे।

बता दें कि चिपको एक अहिंसक आंदोलन था जो साल 1973 में उत्तर प्रदेश के चमोली ज़िले (अब उत्तराखंड) में शुरू हुआ था। इस आंदोलन का नाम 'चिपको' 'वृक्षों के आलिंगन' के कारण पड़ा, क्योंकि आंदोलन के दौरान ग्रामीणों द्वारा पेड़ों को गले लगाया गया तथा वृक्षों को कटने से बचाने के लिये उनके चारों ओर मानवीय घेरा बनाया गया। जंगलों को संरक्षित करने हेतु महिलाओं के सामूहिक एकत्रीकरण के लिये इस आंदोलन को सबसे ज्यादा याद किया जाता है।