किसान आंदोलन के 100 दिन बाद वेस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेवे ब्लॉक, टिकैत बोले, आखिरी सांस तक संघर्ष करेंगे

केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली बॉर्डर पर चल रहे प्रदर्शन का आज 100वां दिन है, किसानों ने प्रदर्शन को तेज करते हुए वेस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेवे पर नाकाबंदी कर दी है

Updated: Mar 06, 2021, 08:00 AM IST

Photo Courtesy: Twitter
Photo Courtesy: Twitter

नई दिल्ली। विवादास्पद कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन के आज 100 दिन पूरे हो गए। लेकिन किसानों की मांग मानकर विवादित कानून वापस लेना तो दूर, अब तो सरकार ने किसानों के साथ बातचीत का सिलसिला भी बंद कर दिया है। ऐसे में किसानों ने आंदोलन को और तेज करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।किसानों ने अपनी योजना के अनुसार आज वेस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेवे पर पांच घंटे के लिए नाकेबंदी कर दी है। एक्सप्रेसवे ब्लॉक होने की वजह से आवाजाही पूरी तरह से ठप हो गई है।

सिंघु बॉर्डर से किसानों ने कुंडली पहुंचकर मानेसर पलवल पेरिफेरल एक्सप्रेसवे का रास्ता ब्लॉक कर दिया है। साथ ही इस मार्ग पर पड़ने वाले टोल प्लाजा को भी फ्री कर दिया है। गाजीपुर बॉर्डर पर डटे किसानों ने डासना टोल को ब्लॉक किया है। टिकरी बॉर्डर के पास बहादुरगढ़ बॉर्डर भी ब्लॉक कर दिया गया है। इसके साथ ही दुहाई, बागपत, दादरी, ग्रेटर नोएडा में भी किसानों ने जाम लगाए हैं। किसान संगठनों पहले से ही एलान किया था 6 मार्च को सुबह 11 बजे से शाम 4 बजे तक नाकेबंदी की जाएगी।  

आंदोलन के 100वें दिन आज किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि जब तक  किसानों की समस्या का समाधान नहीं निकल जाता, किसान पीछे नहीं हटेंगे। उन्होंने ट्विटर पर लिखा है कि किसान समाधान के लिए आखिरी सांस तक संघर्ष करेंगे। उन्होंने यह भी कहा है कि लड़ेंगे और जीतेंगे।  

आंदोलन के 100वें दिन आज देशभर में किसानों और उनकी मांगों का समर्थन करने वाले दूसरे लोगों ने घरों की छतों पर विवादास्पद कानूनों के विरोध में काले झंडे लगाए हैं। कई संस्थानों के कार्यालयों में भी किसानों ने काले झंडे लगाए हैं। इसके साथ ही किसान संगठन से जुड़े सभी लोग अपने बाजुओं पर काली पट्टियां लगाकर विरोध कर रहे हैं। किसान संगठनों ने बताया है कि आज भी विरोध प्रदर्शन पूरी तरह शांतिपूर्ण रहेगा।

राहगीरों के लिए पानी की व्यवस्था

किसान नेता राजवीर सिंह ने बताया कि, 'किसी भी इमरजेंसी वाहनों को नहीं रोका जाएगा। चाहे वह एम्बुलेंस हो, फायर ब्रिगेड की गाड़ी या कोई अन्य वाहन। विदेशी पर्यटकों को भी नहीं रोका जाएगा। इसके अलावा सेना के वाहनों को भी नहीं रोका जाएगा। बच्चों और बीमार लोगों को जाने दिया जाएगा। राहगीरों को परेशान नहीं किया जाएगा।'  इतना ही नहीं प्रदर्शनकारी किसानों ने राहगीरों के लिए बाकायदा पानी की व्यवस्था भी की है। किसान इस दौरान राहगीरों को यह भी बताएंगे कि कृषि कानूनों की वजह से उनको क्या नुकसान होने की आशंका है।

महिला किसानों का उमड़ा हुजूम

रिपोर्ट्स के मुताबिक आंदोलन स्थलों पर महिला किसानों का हुजूम भी उमड़ने लगा है। दरअसल 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर सभी प्रदर्शनस्थलों की कमान पूरी तरह से महिलाओं के हाथ में होगी। इस दौरान महिलाएं ही प्रदर्शन का नेतृत्व करेंगी और आंदोलनकारियों को संबोधित करेंगी। किसान संगठनों ने विभिन्न महिला संगठनों को भी समर्थन के लिए न्योता भेजा है। जानकारी के मुताबिक महिला दिवस के बाद किसान मोर्चा ने 15 मार्च को एंटी प्राइवेटाइजेशन डे के तौर पर मनाने का निर्णय किया है।