राजनीतिक दलों को चंदा देने वाली टॉप 5 कंपनियों में से 4 पर पड़ी थी रेड, इलेक्टोरल बॉन्ड के डेटा से खुलासा

इलेक्टोरल बॉन्ड के आंकड़ों से पता चलता है कि चंदा देने वाली टॉप 30 कंपनियों में से 14 से अधिक कंपनियों के खिलाफ केंद्रीय जांच एजेंसियों ED, CBI और IT ने कार्रवाई की थी।

Updated: Mar 15, 2024, 12:54 PM IST

नई दिल्ली। चुनाव आयोग ने इलेक्टोरल बॉन्ड यानी चुनावी चंदे से जुड़ी जानकारी सार्वजनिक कर दी है। चुनाव आयोग के वेबसाइट पर अपलोड किए गए डेटा से चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं। इलेक्टोरल बॉन्ड के आंकड़ों से पता चलता है कि चंदा देने वाली टॉप 5 कंपनियों में से 4 कंपनियों पर रेड पड़ी थी अथवा जांच के दायरे में थी।

फ्यूचर गेमिंग और होटल सर्विसेज: यह कंपनी चंदा देने के मामले में सबसे आगे है। कंपनी ने 27 अक्टूबर 2020 से लेकर 5 अक्टूबर 2023 के बीच 1 हजार 368 करोड़ रुपये का चंदा दिया। 2022 में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में कंपनी और उसके अलग-अलग उप-वितरकों की 409 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति कुर्क की थी। कंपनी के खिलाफ ईडी ने 23 सितंबर 2023 को चार्जशीट दायर की।

1,368 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड खरीदने वाली फ्यूचर गेमिंग और होटल सर्विसेज के मालिक दक्षिण भारत के लॉटरी किंग सैंटियागो मार्टिन हैं। फ्यूचर की वेबसाइट के अनुसार, मार्टिन ने 13 साल की उम्र में लॉटरी व्यवसाय शुरू किया था। इसके बाद उन्होंने पूरे देश में लॉटरी के खरीदारों और विक्रेताओं के एक विशाल नेटवर्क को विकसित करने में कामयाबी हासिल की। दक्षिण में यह फर्म मार्टिन कर्नाटक के तहत चलती है। वहीं, उत्तर-पूर्व में इसे मार्टिन सिक्किम लॉटरी के नाम से लोग जानते हैं।

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मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड: बांध और बिजली प्रोजेक्ट्स बनाने वाली कंपनी मेघा इंजीनियरिंग इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड चंदा देने के मामले में दुसरे नंबर पर है। अक्टूबर 2019 में, इनकम टैक्स विभाग ने हैदराबाद और दूसरे शहरों में के कई कार्यालयों पर छापेमारी की थी। तब से, कंपनी ने चुनावी बॉन्ड में 966 करोड़ रुपये का भारी भरकम दान दिया है।

तेलुगु टाइकून कृष्णा रेड्डी इस कंपनी के मालिक हैं और हैदराबाद में इसका मुख्यालय है। यह कंपनी सिंचाई, जल प्रबंधन, बिजली, हाइड्रोकार्बन, परिवहन, भवन और औद्योगिक बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में काम करती है। यह केंद्र और राज्य सरकारों के साथ पीपीपी (सार्वजनिक-निजी भागीदारी) में अग्रणी रही है। फिलहाल देशभर के 18 से ज्यादा प्रदेशों में कंपनी के प्रोजेक्ट्स चल रहे हैं।

वेदांता लिमिटेड: वेदांता ग्रुप चंदा देने मामले में चौथे स्थान पर है। ग्रुप ने चुनावी बॉन्ड में सामूहिक रूप से 400 करोड़ रुपये का चंदा दिया है। वेदांता ग्रुप की सब्सिडरी कंपनी तलवंडी साबो पावर लिमिटेड (टीएसपीएल) पर अगस्त 2022 में मनी लॉन्ड्रिंग जांच के सिलसिले में ईडी ने छापा मारा था। अनिल अग्रवाल वेदांता समूह के मालिक हैं।

हल्दिया एनर्जी लिमिटेड: यह कंपनी चुनावी दलों को सर्वाधिक चंदा देने के मामले में पांचवें नंबर पर है। इस कंपनी ने चुनावी बॉन्ड में 377 करोड़ रुपये का चंदा दिया है। मार्च 2020 में इसे केंद्रीय जांच ब्यूरो की कार्रवाई का सामना करना पड़ा था।

इसके अलावा यशोदा सुपर स्पेशलिटी अस्पताल (162 करोड़), डीएलएफ कमर्शियल डेवलपर्स लिमिटेड (130 करोड़), जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड (123 करोड़), चेन्नई ग्रीनवुड्स प्राइवेट लिमिटेड (105 करोड़), आईएफबी एग्रो लिमिटेड (92 करोड़), डॉक्टर रेड्डीज लैबोरेटरीज लिमिटेड (80 करोड़), एनसीसी लिमिटेड (60 करोड़), डिवि एस लेबोरेटरी लिमिटेड (55 करोड़), यूनाइटेड फॉस्फोरस इंडिया लिमिटेड (50 करोड़) जैसी कंपनियों ने बढ़-चढकर इलेक्टोरल बॉन्ड्स की खरीददारी की। खास बात ये है कि इन सभी कंपनियों के खिलाफ किसी न किसी मामले में जांच चल रही है। 

ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या जांच से बचने के लिए इन कंपनियों ने ये बॉन्ड खरीदे? विपक्ष का आरोप भी यही है। हालांकि, ये सवाल अनुत्तरित है। क्योंकि चुनाव आयोग द्वारा जारी डेटा में यह स्पष्ट नहीं है कि इन कंपनियों ने किस दल को कितने पैसे दिए। दोनों लिस्ट में बॉन्ड खरीदने वालों और इन्हें इनकैश कराने वालों के तो नाम हैं, लेकिन यह पता नहीं चलता कि किसने यह पैसा किस पार्टी को दिया?

इनकैश कराने वालों की लिस्ट देखा जाए तो भाजपा सबसे ज्यादा चंदा लेने वाली पार्टी है। 12 अप्रैल 2019 से 11 जनवरी 2024 तक पार्टी को सर्वाधिक 6 हजार 60 करोड़ रुपए मिले हैं। लिस्ट में दूसरे नंबर पर तृणमूल कांग्रेस (1,609 करोड़) और तीसरे पर कांग्रेस पार्टी (1,421 करोड़) है।