राम मंदिर पर फैसला सुनाने वाले तीसरे जज हैं अब्दुल नजीर, जिन्हें रिटायरमेंट के बाद मोदी सरकार से मिला तोहफा

अयोध्या केस के अलावा भी जस्टिस एस अब्दुल नजीर कई ऐसे केस के फैसले में शामिल थे जो वर्तमान केंद्र सरकार के लिए महत्वपूर्ण थे, जिसमें इसी साल नोटबंदी पर आया फैसला शामिल है।

Updated: Feb 12, 2023, 01:56 PM IST

नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने रविवार को छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, बिहार और आध्र प्रदेश समेत देश के 13 राज्यों में नए राज्यपालों की नियुक्ति का आदेश जारी किया है। इस लिस्ट में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस एस अब्दुल नज़ीर का भी नाम शामिल है, जिन्हें आंध्र प्रदेश का राज्यपाल नियुक्त किया गया है। वह एक महीने पहले ही 4 जनवरी को शीर्ष अदालत से सेवानिवृत्त हुए थे। अब्दुल नज़ीर अयोध्या केस में फैसला देने वाली पीठ में शामिल तीसरे ऐसे जज हैं, जिन्हें रिटायरमेंट के बाद केंद्र सरकार ने बड़ा तोहफा दिया है।

अब्दुल नजीर रिटायर होने से ठीक पहले उस बेंच का भी हिस्सा थे, जिसने नोटबंदी पर सुनवाई की थी और मोदी सरकार के नोटबंदी के फैसले को सही ठहराया था। जस्टिस नजीर तीन तलाक के खिलाफ फैसला देने वाली सुप्रीम कोर्ट बेंच के भी सदस्य थे। लेकिन आज की नियुक्ति में सबसे खास बात यह है कि आंध्र प्रदेश के राज्यपाल बनाए गए सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ट जस्टिस अब्दुल एस नजीर अयोध्या विवाद में फैसला देने वाली पीठ में शामिल तीसरे ऐसे जज हैं, जिन्हें मोदी सरकार ने सेवानिवृत्ति के बाद किसी बड़े पद से नवाजा है। 

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अब्दुल नज़ीर से पहले अयोध्या केस में पीठ की अध्यक्षता करने वाले न्यायमूर्ति रंजन गोगोई को सेवानिवृत्ति के तुरंत बाद राज्यसभा का सदस्य बनाया गया था। वहीं, जुलाई 2021 में सेवानिवृत्त हुए न्यायमूर्ति अशोक भूषण को उसी वर्ष बाद में राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण का प्रमुख बनाया गया था। राम मंदिर पर फैसला सुनाने वाली पीठ के बाकी दो सदस्यों में एसए बोबडे और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ शामिल हैं। जस्टिस चंद्रचूड़ अभी रिटायर नहीं हुए हैं और वे सुप्रीम कोर्ट में बतौर चीफ जस्टिस पदस्थ हैं। वहीं जस्टिस बोबड़े चीफ जस्टिस के पद से रिटायर हो चुके हैं।

जस्टिस नजीर अयोध्या राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद की सुनवाई करने वाले पांच जजों की पीठ में एकलौते मुस्लिम जज थे। सुप्रीम कोर्ट की इस पीठ ने 9 नवंबर, 2019 को राम मंदिर के हक में फैसला दिया था। जस्टिस एस अब्दुल नजीर ने रिटायरमेंट के मौके पर कहा था कि वह चाहते तो अयोध्या विवाद में बाकी चार जजों के उलट अपनी राय रखकर अपने समुदाय का हीरो बन जाते, लेकिन उन्होंने देशहित को सर्वोपरि समझा। सुप्रीम कोर्ट की पीठ में शामिल सभी पांचों जजों ने एकमत से अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के पक्ष में फैसला दिया था।