आंध्र प्रदेश सीएम के आरोपों पर जस्टिस रमन्ना का बयान, जज के लिए निडर होकर न्याय करना ज़रूरी

Justice N V Ramana: जस्टिस एनवी रमन्ना ने कहा स्वतंत्र और जीवंत न्यायपालिका वक्त की जरूरत, एक जज को निडर होकर फैसले सुनाने चाहिए

Updated: Oct 18, 2020, 07:07 PM IST

Photo Courtesy: Indian Express
Photo Courtesy: Indian Express

नई दिल्ली। अदालती गलियारों में आंध्र के मुख्यमंत्री की चिट्ठी पर जस्टिस रमन्ना ने अपनी चुप्पी तोड़ी है। जगन मोहन रेड्डी द्वारा सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को लिखे पत्र पर सुप्रीम कोर्ट के दूसरे नंबर के जस्टिस एनवी रमन्ना ने कहा है कि एक जज के लिए न्याय में निडरता सबसे जरूरी है। जस्टिस रमन्ना ने कहा है कि यह जरूरी है कि जज सभी प्रकार के दबाव का सामना करे और सभी चुनौतियों के सामने बहादुरी से खड़ा हो। उन्होंने आगे कहा कि आज के समय में स्वतंत्र और जीवंत न्यायपालिका की जरूरत है। आंद्र के सीएम जगन मोहन रेड्डी ने अपने पत्र में जस्टिस एनवी रमन्ना पर प्रदेश की न्याय व्यवस्था में दखल देने और पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के साथ मिलकर उनकी सरकार गिराने की साजिश रचने के आरोप लगाए थे। 

जस्टिनस एनवी रमन्ना ने यह प्रतिक्रिया सुप्रीम कोर्ट के एक पूर्व जस्टिस एआर लक्ष्मणन की मृत्यु को लेकर आयोजित कार्यक्रम में दी। उन्होंने कहा कि एक अच्छा जीवन जीने के लिए व्यक्ति के अंदर बहुत सारे गुण होने चाहिए। ये गुण विनम्रता, धैर्य, करुणा, दया, काम के प्रति नैतिकता और हमेशा कुछ सीखने और खुद में सुधार करना है। उन्होंने कहा कि एक जज के लिए सबसे जरूरी यह है कि वह अपने सिद्धातों पर बना रहे और निडर होकर फैसले दे। 

रेड्डी का यह पत्र ऐसे समय में सामने आया जब वे खुद कानूनी चुनौती का सामना कर रहे हैं। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में आपराधिक मामलों वाले जनप्रतिनिधियों पर कार्यवाही तेज करने को लेकर सुनवाई चल रही है। इस संबंध में डाली गई याचिका की सुनवाई जस्टिस एनवी रमन्ना की अध्क्षता वाली बेंच कर रही है। जब इस बेंच ने एक मामले में जगन मोहन रेड्डी के खिलाफ कार्यवाही तेज करने का आदेश दिया तब ही रेड्डी ने अपने मुख्य सलाहकार के जरिए इस पत्र को सार्वजनिक कराया। दूसरी तरफ दिल्ली हाई कोर्ट बार ने इस पत्र को गलत इरादों से न्यायपालिका में दिया गया दखल बताया है। 

जस्टिस एनवी रमन्ना ने कहा, "लोग राम की पूजा उनकी सफलता के लिए नहीं करते हैं, बल्कि राम ने सबसे कठिन समय में जो जीवटता दिखाई, इसलिए उनकी पूजा की जाती है। किसी व्यक्ति के जीवन में यही सबसे बड़ा गुण है।"

उन्होंने एक संत के बयान के उद्धृत करते हुए कहा, "इससे फर्क नहीं पड़ता कि आपके पास क्या है, आपने क्या किया और क्या हुआ। जरूरी बस यह है कि आप कैसे जिए, आपने खुद को कैसे पेश किया।"

और पढ़ेंDelhi HC Bar: न्यायपालिका में गलत इरादे से दखल दे रहे हैं आंध्र के सीएम जगन मोहन रेड्डी

इस बीच दिल्ली हाई कोर्ट बार के अलावा सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएसन ने भी जगन मोहन रेड्डी की निंदा की है। बार ने सर्वसम्मति से पत्र को सार्वजनिक करने के लिए आंध्र प्रदेश के सीएम से नाराजगी जताई है।