हाथरस गैंगरेप केस में चारों आरोपी बरी, कोर्ट ने इनमें से एक को गैर इरादतन हत्या का दोषी माना

हाथरस गैंगरेप कांड में कोर्ट में चली ढाई साल की सुनवाई के दौरान किसी भी आरोपी पर रेप का आरोप सिद्ध नहीं हो सका है। सबूतों के अभाव में कोर्ट ने रेप केस में चारों को बरी कर दिया।

Updated: Mar 02, 2023, 06:04 PM IST

हाथरस। हाथरस गैंगरेप कांड में गुरुवार को ढाई साल बाद SC-ST कोर्ट ने फैसला सुनाया। कोर्ट ने गैंगरेप केस में सभी चार आरोपियों को बरी कर दिया है। हालांकि, इनमें से एक को कोर्ट ने गैर इरादतन हत्या का दोषी माना है। कोर्ट ने मुख्य आरोपी संदीप ठाकुर को उम्रकैद की सजा सुनाई है।

दरअसल, ढाई साल बाद भी 4 आरोपियों में से किसी पर भी गैंगरेप का आरोप सिद्ध नहीं हो सका था। ऐसे में सबूत के अभाव में सभी को गैंगरेप केस में बरी कर दिया गया। इनमें संदीप के अलावा लवकुश सिंह, रामू सिंह और रवि सिंह शामिल हैं। अदालत ने संदीप को गैर इरादतन हत्या (धारा-304) और SC/ST एक्ट में दोषी मानते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई है।

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बता दें कि यूपी के हाथरस जिले में 14 सितंबर 2020 को दलित लड़की का गैंगरेप किया गया। इसके बाद उसे दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया था। 29 सितंबर को लड़की की इलाज के दौरान मौत हो गई थी। पीड़िता ने इलाज के दौरान बयान में चार युवकों संदीप, रामू, लवकुश और रवि पर गैंगरेप का आरोप लगाया था।

बयान के आधार पर पुलिस ने चारों युवकों को गिरफ्तार कर लिया था। इस मामले में यूपी पुलिस की लापरवाही भी नजर आई। पुलिस पर आरोप लगे कि परिवार को बिना बताए लड़की का अंतिम संस्कार कर दिया गया। इतना ही नहीं यूपी पुलिस ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर दावा किया था कि पीड़िता के साथ गैंग रेप नहीं हुआ। यूपी पुलिस के इस बयान के बाद कोर्ट ने यूपी पुलिस को फटकार भी लगाई थी।

बाद में मामला सीबीआई को सौंप दिया गया।सीबीआई ने इस पूरे मामले में 29 दिसंबर 2020 को 2000 पन्नों की चार्जशीट दायर की थी। सीबीआई ने चारों आरोपियों के खिलाफ़ हत्या, गैंगरेप, एससी-एसटी एक्ट की धारा के तहत चार्जशीट दायर की थी।