BJP का सुपड़ा साफ करने की तैयारी में सीएम नीतीश, बाहुबली नेता आनंद मोहन की रिहाई का आदेश जारी

बिहार सरकार ने तत्कालीन गोपालगंज डीएम जी कृष्णैया की हत्या के लिए उकसाने के जुर्म में आजीवन कारावास की सजा काट रहे बाहुबली और पूर्व सांसद आनंद मोहन की रिहाई के आदेश दिए हैं।

Updated: Apr 25, 2023, 05:39 PM IST

पटना। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार केंद्र की मोदी सरकार के विरुद्ध आर-पार की लड़ाई के मूड में हैं। सीएम नीतीश ने केंद्र सरकार के विरुद्ध विपक्षी दलों को एकजुट करने का बीड़ा उठाया है। इसके तहत वे विपक्षी नेताओं से लगातार मुलाकात कर रहे हैं। इसी बीच बाहुबली नेता आनंद मोहन को जेल से रिहा करने के बिहार सरकार के फैसले ने सभी को चौंका दिया है।

दरअसल, नीतीश कुमार की अगुवाई वाली महागठबंधन सरकार ने पिछले 16 वर्षों से जेल में बंद पूर्व सांसद आनंद मोहन की रिहाई के आदेश जारी किए हैं। सरकार के इस आदेश के बाद आनंद मोहन समेत 27 कैदी स्थायी तौर पर जेल से रिहा होंगे। विधि विभाग ने सोमवार को इससे जुड़ा नोटिफिकेशन जारी कर दिया, जिसे संबंधित जेल प्रशासन को भेज दिया गया है।

यह भी पढ़ें: कांग्रेस की सरकार बनते ही पंचायतों को सारे अधिकार दिए जाएंगे, प्रदर्शनकारी जनपद सदस्यों से बोले दिग्विजय सिंह

नोटिफिकेशन जारी होने के बाद सियासी गलियारे में हलचल तेज है। सोमवार को उनके बेटे चेतन आनंद की सगाई थी और इसी दिन रिहाई की भी खुशखबरी मिल गई। सगाई के लिए आनंद मोहन पैरोल पर बाहर थे। आनंद मोहन गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी जी कृष्णैया की हत्या के मामले में उम्र कैद की सजा भुगत रहे थे। हालांकि, निचली अदालत ने उन्हें फांसी की सजा दी थी। पूर्व सांसद आनंद मोहन ने हाईकोर्ट में अपील की तो उनकी फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया गया, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने भी बरकरार रखा।

आनंद मोहन की रिहाई के लिए बिहार सरकार ने नियमों में मामूली बदलाव भी किया है। नीतीश सरकार ने जेल मैनुअल 2012' के नियम 481(i)(क ) में संशोधन किया है। पहले बिहार के जेल मैनुअल में लिखा था, कि सरकारी अफसर की ऑन ड्यूटी हत्या करने पर उम्र कैद की सजा खत्म होने पर रिहाई नहीं होगी, लेकिन अब इस पंक्ति को ही हटा दिया गया है और अब आनंद मोहन कभी भी बाहर आ सकते हैं।

यह भी पढ़ें: 40 फीसदी कमीशन वाली सरकार ने कर्नाटक को बेशर्मी से लूटा, प्रियंका गांधी का बोम्मई सरकार पर हमला

आनंद मोहन ने 15 साल से थोड़ा अधिक जेल में बिताया और औपचारिक रूप से एक दिन में रिहा हो जाएंगे। आनंद मोहन ने 1994 में बिहार के चुनावों से पहले अपनी पार्टी के एक उम्मीदवार की हत्या के बाद भयंकर हंगामा खड़ा कर दिया था। गोपालगंज के जिला मजिस्ट्रेट जी कृष्णैय्या उनके निशाने पर आ गए, क्योंकि वे राज्य प्रशासन के प्रतिनिधि थे। कृष्णैय्या एक दलित अधिकारी थे, जिन्हें आनंद मोहन की मौजूदगी में एक शख्स भुटकुन शुक्ला ने गोली मार दी थी। सुप्रीम कोर्ट के फैसले का कहना है कि यह हत्या आनंद मोहन के आदेश पर की गई थी। सुप्रीम कोर्ट के फैसले में कहा गया है कि ’14 में से दस गवाह जो जुलूस के साथ थे और घटना स्थल के पास थे, उन्होंने कहा कि आनंद मोहन ने भुटकुन शुक्ला को गोली मारने के लिए कहा था।

आनंंद मोहन की रिहाई की मांग राजपूत समाज लंबे समय से करता आ रहा है। वह भले ही बाहुबली और माफिया थे, लेकिन राजपूत समाज में उनकी छवि नायक वाली है। सियासी जानकारों का कहना है कि यह रिहाई न्यायिक प्रक्रिया से अधिक राजनीतिक प्रक्रिया का हिस्सा है। क्योंकि लोकसभा चुनाव में अब एक साल से भी कम का समय बचा है। बिहार में राजपूतों का वोट प्रतिशत 7 से 8 फीसदी है। इसी वोटबैंक को साधने के लिए आनंद मोहन की रिहाई का रास्ता साफ किया गया है। देशभर में भाजपा के खिलाफ मोर्चा गठित करने में जुटे सीएम नीतीश चाहते हैं कि बिहार ने अगड़ा, पिछड़ा और अल्पसंख्यक सभी वर्ग के मतदाता महागंठबंधन के साथ रहें, ताकि राज्य में भाजपा का सुपड़ा साफ किया जा सके।