हम नर्क में जी रहे हैं, हम बेबस हैं, एंटी फंगल इंजेक्शन की किल्लत पर हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी

ब्लैक फंगस मामले पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने अपनी बेबसी जाहिर की है, उच्च न्यायालय ने कहा है कि हम नरक जैसे माहौल में जीने को मजबूर हैं

Updated: May 29, 2021, 09:36 AM IST

Photo Courtesy: HT
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नई दिल्ली। देश में एक ओर म्यूकरमायकोसिस यानी ब्लैक फंगल इंफेक्शन के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं दूसरी ओर इसके इलाज में उपयोगी एंटी फंगल इंजेक्शन की घोर किल्लत है। इंजेक्शन की किल्लत को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है। उच्च न्यायालय ने अपनी बेबसी जाहिर करते हुए कहा है कि हम नर्क जैसे माहौल में जीने को मजबूर हैं।

दरअसल, ब्लैक फंगस से पीड़ित दो मरीजों के वकीलों ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर इंजेक्शन उपलब्ध कराने के निर्देश देने का अनुरोध किया था। इन याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान कोर्ट की बेबसी साफ नजर आई। न्यायालय ने कहा कि, 'हम इस नर्क में जीने को मजबूर हैं। हर कोई इस नर्क में जी रहा है। आज स्थिति ऐसी है, की हम चाहकर भी किसी की मदद नहीं कर सकते। हम मदद करना चाहते हैं, लेकिन हम असहाय हैं।'

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जस्टिस विपिन सांघी और जस्टिस जसमीत सिंह की बेंच ने कहा, 'हम किसी खास मरीज के लिए कोई आदेश जारी नहीं कर सकते, की दूसरों को छोड़कर उन्हें इलाज में प्राथमिकता दी जाए। इंजेक्शन की किल्लत सिर्फ दो मरीजों या सिर्फ दिल्ली के लिए नहीं है बल्कि पूरा देश इस संकट से जूझ रहा है। आपके पास जीवन जीने का मौलिक अधिकार है, लेकिन फिर भी हम किसी से यह नहीं कह सकते कि वह दूसरे का हक छीन कर आपको आपका अधिकार दे।'

सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार के वकील ने कोर्ट को बताया की राजधानी में ब्लैक फंगस के 411 मरीज मौजूद हैं, जबकि केंद्र सरकार से इस बीमारी के महज 1020 इंजेक्शन ही मिले हैं। इस हिसाब से हर मरीज को कुछ ना कुछ मिल जाएगा। हम कुछ मरीजों को इंजेक्शन उपलब्ध करवाएं और कुछ को नहीं, यह भी उचित नहीं है। ऐसे में हमने ये तय किया है कि सारे इंजेक्शन हम अस्पतालों को दे देंगे और वह मरीजों को जरूरत के हिसाब से इंजेक्शन देंगे।

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उधर केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए वकील ने कोर्ट को बताया कि सरकार ने एंटी फंगल इंजेक्शन के 2 लाख 30 हज़ार वायल 6 देशों से आयात किए हैं जो आने वाले कुछ हफ्तों में भारत पहुंच जाएंगे। साथ ही चीन से इंजेक्शन के लिए जरूरी रॉ मैटेरियल भी आयात करने को लेकर बात चल रही ताकि देश में भी इंजेक्शन प्रोडक्शन बढ़ सके। इसपर न्यायालय ने कहा कि आखिर 2 लाख 30 हजार इंजेक्शन वयल ही क्यों आयात किया गया? क्या इतनी ही उपलब्धता थी या होने के बावजूद भी इतने ही इंजेक्शन खरीदे गए।