Bollywood Case: रिपब्लिक टीवी, टाइम्स नाउ न दिखाएं मानहानि वाला कंटेंट, दिल्ली हाईकोर्ट का निर्देश

Delhi High Court: चार उद्योग संघों और 34 बॉलीवुड निर्माताओं ने दिल्ली हाई कोर्ट में दायर की है याचिका, मीडिया घरानों के वकील ने आश्वासन दिया कि वह ‘प्रोग्राम कोड’ का पालन करेंगे

Updated: Nov 09, 2020, 10:49 PM IST

Photo Courtesy: Amar Ujala
Photo Courtesy: Amar Ujala

दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने बॉलीवुड के 34 फिल्म निर्माताओं और चार उद्योग संघों की याचिका पर रिपब्लिक टीवी और टाइम्स नाउ को नोटिस जारी किया है। हाई कोर्ट ने सोमवार को मामले की सुनवाई के बाद दोनों टीवी चैनलों को यह निर्देश भी दिया है कि वे पूरे बॉलीवुड को आरोपों के कठघरे में खड़े करने वाले कंटेट से दूर रहें। चैनल्स  को गैर जिम्मेदाराना, अपमानजनक या मानहानि करने वाले कंटेंट प्रसारित नहीं करने को भी कहा गया है। कोर्ट ने यह भी है कि ये चैनल किसी भी तरह का मीडिया ट्रायल न करें।

बॉलीवुड के 34 निर्माताओं, यूनियन और प्रोडक्शन हाउस ने पिछले महीने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर कर गैर जिम्मेदाराना रिपोर्टिंग और मीडिया ट्रायल के खिलाफ अर्जी लगाई थी। याचिका में कहा गया था कि रिपब्लिक टीवी और टाइम्स नाउ पूरे बॉलीवुड के लिए अपमानजनक शब्दों का उपयोग कर रहे हैं। बॉलीवुड के लिए गंदा और ड्रगी जैसे संबोधन का उपयोग करने का आरोप भी लगाया।

याचिकाकर्ताओं के वकील राजीव नैयर ने मांग की थी कि यूट्यूब ,सोशल मीडिया और ट्विटर से बॉलीवुड के बारे में अपमानजनक सामग्री तुरंत हटाई जाए। उनका कहना था कि टीवी चैनल्स में दिखाए जाने वाले कंटेंटे से जनता में एक धारणा बन जाती है, जिससे पूरे फिल्म उद्योग की मानहानि हो रही है।

हाईकोर्ट ने रिपब्लिक टीवी और टाइम्स नाउ को कथित तौर पर गैर जिम्मेदाराना और अपमानजनक टिप्पणी करने से रोकने के अनुरोध वाली याचिका पर मीडिया हाउस से जवाब तलब भी किया है। दिल्ली हाई कोर्ट ने चैनलों और सोशल मीडिया पर किसी भी तरह के मानहानि करने वाला कंटेंट के प्रसारण पर रोक लगाने को कहा है।

कोर्ट में जज ने कहा कि रिपोर्टिंग करना मीडिया का संवैधानिक अधिकार है। लेकिन निष्पक्ष तरीके से रिपोर्टिंग होनी चाहिए। हाई कोर्ट के जज ने टाइम्स नाउ के वकील से कहा कि प्रसारण के दौरान टोन डाउन करने की जरूरत है। आप जांच कर सकते हैं, लेकिन जिम्मेदारी के साथ। कोर्ट में टाइम्स नाउ के बारे में कहा गया कि चीजों पर पहले से ही धारणा बनाई जा रही है। प्रसारण में न्यूज़ कम और ओपिनियन ज्यादा होती है। हाई कोर्ट के जज ने कड़े शब्दों में चैनलों से कहा कि वे बार-बार सेल्फ रेगुलेशन की बात करते हैं, लेकिन करते कुछ नहीं हैं। कोई नहीं चाहता कि उसकी निजी जिंदगी की चर्चा सार्वजनिक तौर पर की जाए। 

कोर्ट ने चैनल्स को प्रोग्राम कोड फॉलो करने के निर्देश दिए हैं। रिपब्लिक और टाइम्स नाउ समेत सभी चैनलों को हिदायत दी है कि  कोई अपमानजनक वीडियो और मेटेरियल चैनल पर या सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर प्रसारित नहीं किया जाए। इस मामले की अगली सुनवाई अब 14 दिसम्बर को होगी।