दिल्ली विधानसभा में मिली सीक्रेट सुरंग, इसी रास्ते से आजादी के परवानों को लाल किले से फांसी के लिए लाते थे अंग्रेज

दिल्ली विधानसभा में लगती थी अंग्रेजों की कोर्ट, स्वतंत्रता सेनानियों पर चलाया जाता था केस, जनता के आक्रोश से बचने के लिए किया जाता था सुरंग का उपयोग

Updated: Sep 03, 2021, 08:31 AM IST

Photo Courtesy: twitter
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दिल्ली। दिल्ली विधानसभा में एक रहस्यमयी सुंरग मिली है, जिसका रास्ता लाल किले तक जाता है। दावा किया जा रहा है इस टनल का उपयोग अंग्रेजों द्वारा किया जाता था। जब भी किसी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी को फांसी देनी होती थी तो उन्हें इसी रास्ते लाल किला स्थित फांसी के तख्त तक ले जाया जाता था। ताकि सड़क पर जनता के आक्रोश से बचा जा सके। वहीं इस बारे में दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष राम निवास गोयल का कहना है कि अगले साल इस ऐतिहासिक धरोहर को जनता के लिए खोले जाने की तैयारी है। आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है। इसी कड़ी में 26 जनवरी 2022 या फिर 15 अगस्त 2022 से पहले इस स्थान को नया स्वरूप देकर आम जनता के लिए खोला जाएगा।

राम निवास गोयल ने बताया कि पहले विधानसभा में सुरंग होने की अफवाह उड़ती रही हैं। जब वे पहली बार विधायक बने थे तब भी उन्होंने इसके बारे में पता लगाने की कोशिश की थी। लेकिन तब उन्हें सफलता हाथ नहीं लगी। दिल्ली विधानसभा में मिली सुरंग की आगे खुदाई से उन्होंने इनकार किया है। उनका कहना है कि दिल्ली में जगह- जगह मेट्रो प्रोजेक्ट और अन्य कारणों से सुरंग का मार्ग नष्ट हो गया है।

दिल्ली विधानसभा के स्पीकर का कहना है सन 1912 में देश की राजधानी को कोलकाता से दिल्ली स्थानांतरित करने के बाद केंद्रीय विधानसभा के रूप में दिल्ली विधानसभा का उपयोग होता था। आगे चलकर 1926 में इसे कोर्ट में तब्दील कर दिया। तब स्वतंत्रता सेनानियों को कोर्ट से लाल किले तक ले जाने के लिए सुरंग का उपयोग होता था।

गोयल ने बताया कि यहां पर फांसी का कमरा मौजूद है, इसके बारे में लोगों को पता था। लेकिन कभी भी उसे खोलने का प्रयास नहीं किया गया। अब आजादी के अमृत महोत्सव में श्रद्धांजलि स्वरूप स्वतंत्रता सेनानियों के मंदिर के रूप में उस कमरे को बदलने की तैयारी की जा रही है। दिल्ली विधानसभा में भगत सिंह, राजगुरू और सुखदेव की मूर्तियां भी लगाने की तैयारी है।

इस सीक्रेट टनल की लंबाई 7 किलोमीटर है। दिल्ली विधानसभा में अंग्रेजों की कोर्ट लगती थी। जबकि स्वतंत्रता से‌नानियों को लाल किले में कैद करके रखा जाता था। कोर्ट में पेशी के लिए आजादी के परवानों को गोपनीय सुरंग से कोर्ट याने आज की दिल्ली विधानसभा लाया जाता था। इसी विधानसभा भवन के पीछे एक फांसी लगाने वाला कमरा था जहां उन्हें फांसी दी जाती थी।

वहीं आजादी की लड़ाई में बेहद महत्वपूर्ण माना जाने वाला दिल्ली का लाल किया सैकड़ों साल पुराना है। इसकी आधारशिला 29 अप्रैल 1639 को रखी गई। इस भव्य इमारत को बनाने में 10 साल का समय लगा था। इसके निर्माण में तब एक करोड़ रुपये की लागत आई थी। इस इमारत के ज्यादातर पत्थर लाल रंग के हैं, इसलिए इसे लाल किले के नाम से पुकारा जाने