केंद्र सरकार ने नहीं दिया GST कंपनसेशन, आर्थिक तंगी के बीच सुक्खू कैबिनेट वेतन-भत्ता त्यागा
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि जून 2022 के बाद जीएसटी मुआवजे के बंद किए जाने से राज्य को राजस्व में भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है। इस वजह से राज्य को सालाना 2500-3000 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ रहा है।
शिमला। बाढ़, बारिश और भूस्खलन जैसी आपदाओं के बीच हिमाचल प्रदेश सरकार वित्तीय संकट से जूझ रही है। संकट के इस स्थिति में केंद्र सरकार ने अतिरिक्त पैकेज देना तो दूर GST कंपनसेशन भी रोक दिया है। ऐसे में हिमाचल सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खु समेत सभी मंत्रियों को दो महीनों तक वेतन न देने का फैसला किया है।
राज्य की आर्थिक स्थिति के चलते मुख्यमंत्री और मंत्रियों ने सर्वसम्मति से यह फैसला किया है। इसके साथ ही मुख्य संसदीय सचिव भी अगले दो महीनों तक अपना वेतन नहीं लेंगे। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बताया कि जून 2022 के बाद जीएसटी मुआवजे के बंद किए जाने से राज्य को राजस्व में भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है।
इस वजह से राज्य को सालाना 2500-3000 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ रहा है। वहीं, पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने के कारण भी राज्य की उधार लेने की क्षमता में लगभग 2000 करोड़ रुपये की कमी आ गई है। इन चुनौतियों के बारे में बताते हुए सीएम सुक्खू ने कहा कि मौजूदा आर्थिक संकट से बाहर निकल पाना आसान नहीं होगा।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बताया कि उन्हें केंद्र सरकार की ओर से कोई सहायता नहीं मिल रही है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2023-24 में राजस्व घाटा अनुदान 8,058 करोड़ था, जिसे घटाकर इस साल 6,258 करोड़ रुपये कर दिया गया है। इसका मतलब है कि 1800 करोड़ रुपये की कमी आई है। अगले साल इस अनुदान में 3,000 करोड़ रुपये की कमी आने की आशंका है और इस वजह से यह घटकर 3,257 करोड़ रुपये ही रह जाएगा।
हिमाचल में आई आपदा के बाद की जरूरतों का आकलन का भी सीएम सुक्खू ने जिक्र किया। उन्होंने बताया कि इसके लिए राज्य को 9,042 करोड़ रुपये की जरूरत है लेकिन केंद्र सरकार की ओर से अबतक कोई धनराशि नहीं मिली है।