लॉकडाउन : घर में बाल शोषण, 92 हजार शिकायतें

लॉकडाउन में जब सब लोग घरों में कैद है तब महिलाओं और बच्‍चों का उत्‍पीड़न बढ़ गया है। बच्‍चे स्‍वयं को ‘अपनों’ से बचाने की गुहार लगा रहे हैं।

Publish: Apr 09, 2020, 11:12 PM IST

child abuse in india                              pic. courtesy
child abuse in india pic. courtesy

हमारे समाज का यह शर्मनाक पहलू हैं कि बच्‍चे और महिलाएं अपने ही घरों में सुरक्षित नहीं है। बाहरी से ज्‍यादा अपने लोग ही इनका उत्‍पीड़न करते हैं। लॉकडाउन में यह बात एक बार सिद्ध हुई है। कोरोना संक्रमण का प्रसार रोकने के लिए देश भर में लॉकडाउन किया गया है। सभी लोग अपने घरों में हैं और उम्‍मीद की जा रही थी कि अपराध कम होंगे। मगर बच्‍चों और महिलाओं का शोषण बढ़ गया है। चाइल्डलाइन इंडिया हेल्पलाइन की रिपोर्ट के मुताबिक 20 से 31 मार्च के बीच ‘चाइल्डलाइन 1098’ पर कुल 3.07 लाख कॉल्स आए। इनमें से 30 फीसदी यानी 92 हजार कॉल बच्चों के उत्पीड़न और हिंसा से जुड़ी थीं। कॉल करने वालों ने बच्चों को हिंसा और उत्पीड़न से सुरक्षा दिलाने की गुहार लगाई। चाइल्डलाइन इंडिया की उपनिदेशक हरलीन वालिया ने एक बैठक में कहा कि यह रिपोर्ट चिंताजनक है।

महिलाओं के खिलाफ हिंसा में 50% की बढ़ोतरी

लॉकडाउन के दौरान महिलाओं के खिलाफ भी हिंसा में 40 से 50 % की बढ़ोतरी दर्ज हुई है। राष्ट्रीय महिला आयोग को मिलने वाली शिकायतें इस बीच बढ़कर दोगुनी हो गई हैं। हरलीन वालिया बताती हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 मार्च को राष्ट्र को संबोधन दिया। अगले दिन से लॉकडाउन हो गया। इसके बाद से फोन कॉल 50% तक बढ़ गए। आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने हाल ही में कहा था कि घरेलू हिंसा काफी चिंताजनक है। इसके लिए सामाजिक सुधार की जरूरत है। 

बच्चों के गायब होने की शिकायत भी दर्ज हुईं

वालिया ने कि बच्चों के शारीरिक स्वास्थ्य के संबंध में 11 फीसदी कॉल आईं। बाल श्रम के संबंध में आठ फीसदी, लापता और घर से भागे बच्चों के संबंध में आठ फीसदी और बेघर बच्चों के बारे में 5 फीसदी कॉल आईं। इसके अलावा हेल्पलाइन को 1,677 कॉल ऐसी मिलीं जिनमें कोरोना वायरस के संबंध में सवाल किए गए और 237 कॉल में बीमार लोगों के लिए सहायता मांगी गई।

रोज 109 बच्‍चों का शोषण

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) द्वारा जारी किए गए 2018 के आंकड़ों के मुताबिक भारत में वर्ष 2018 में प्रत्येक दिन औसतन 109 बच्चों का बाल शोषण हुआ है। एनसीआरबी के हालिया जारी आंकड़ों के अनुसार बाल यौन शोषण संरक्षण कानून (पॉक्सो) के तहत वर्ष 2017 में 32,608 मामले दर्ज किए गए वहीं 2018 में इस कानून के तहत 39,827 मामले दर्ज किए गए। आंकडों के अनुसार 2018 में बच्चों के साथ दुष्कर्म के 21,605 मामले दर्ज हुए जिनमें लड़कियों से जुड़े 21,401 मामले तथा लड़कों से जुड़े 204 मामले थे। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि दुष्कर्म के सर्वाधिक 2,832 मामले महाराष्ट्र में, उत्तर प्रदेश में 2023 और तमिलनाडु में 1457 मामले दर्ज किए गए।

5 से 12 वर्ष के बच्‍चे अधिक खतरे में

महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा कराये गये अध्ययन से पता चला कि विभिन्न प्रकार के शोषण में पांच से 12 वर्ष तक की उम्र के छोटे बच्चे शोषण और दुर्व्यवहार के सबसे अधिक शिकार होते हैं तथा इन पर खतरा भी सबसे अधिक होता है। इन शोषणों में शारीरिक, यौन और भावनात्मक शोषण शामिल होता है। अध्‍ययन में पाया गया कि शारीरिक रूप से शोषित 69 प्रतिशत बच्चों में 54.68 प्रतिशत लड़के थे। 50 प्रतिशत से अधिक बच्चे किसी न किसी प्रकार के शारीरिक शोषण के शिकार थे। पारिवारिक स्थिति में शारीरिक रूप से शोषित बच्चों में 88.6 प्रतिशत का शारीरिक शोषण माता-पिता ने किया।