अखबार वितरण पर रोक : महाराष्‍ट्र सरकार को नोटिस

महाराष्ट्र में समाचार पत्रों के डोर-टू-डोर वितरण पर प्रतिबंध लगाने वाले राज्य सरकार के सर्कुलर पर बॉम्बे हाइकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने सरकार को नोटिस जारी किया है। सर्कुलर के चलते 20 अप्रैल को अखबारों का वितरण नहीं हुआ। 

Publish: Apr 21, 2020, 10:53 AM IST

महाराष्ट्र में समाचार पत्रों के डोर-टू-डोर वितरण पर प्रतिबंध लगाने वाले राज्य सरकार के सर्कुलर पर बॉम्बे हाइकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है। नागपुर खंडपीठ में राज्य सरकार के इस अनुचित प्रतिबंध की वैधता को चुनौती दी गई है। सरकार के सर्कुलर के चलते 20 अप्रैल को राज्य में अखबारों का डोर टू डोर वितरण नहीं हुआ। 

सोमवार को न्यायमूर्ति नितिन सम्बरे ने इस संबंध में दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य सचिव, डीजीआईपीआर, जिला क्लेक्टर नागपुर, नागपुर महानगरपालिका को नोटिस जारी कर अपना जवाब दो दिन में दाखिल करने को कहा है। इस मामले पर अगली सुनवाई 23 अप्रैल को होगी।

महाराष्ट्र यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स और वर्किंग जर्नलिस्ट्स ऑफ नागपुर यूनियन की ओर से दायर याचिका में राज्य सरकार के 18 अप्रैल के जारी सर्कुलर का कड़ा विरोध किया गया है और इसे अवैध, अतार्किक और असवैधानिक करार दिया गया है। याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि  समाचार पत्रों के वितरण पर प्रतिबंध बोलने और अभिव्यक्ति के मौलिक अधिकार का हनन है और सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों के खिलाफ है। केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा जारी एक एडवाइजरी का हवाला देते हुए याचिका में कहा गया है कि केंद्र ने सभी राज्यों और केन्द्रशसित प्रदेशों को निर्देश दिया था कि  वे अपने यहां मुद्रण और वितरण सहित प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के निर्बाध कामकाज को सुनिश्चित करें। राज्य सरकार की ओर से भी जारी की गई सलाह में प्रिंट मीडिया को आवश्यक सेवा के रूप में मान्यता दी गई थी। लेकिन 18 अप्रैल को एकाएक समाचार पत्रों के वितरण पर बिना किसी प्रमाण के अतार्किक तरीके से प्रतिबंध लगा दिया गया। याचिकाकर्ता की ओर से वकील देवेंद्र चव्हाण ने ये बातें कोर्ट के समक्ष रखी गईं। याचिका कर्ताओं ने कहा कि कंटेन्मेंट जोन मे कुछ प्रतिबंध या साफ सफाई को लेकर अगर कोई निर्देश दिये जाते तो उनका स्वागत किया जाता। पर गलत तरीक़े से मीडिया की आवाज को दबाने को स्वीकार नहीं किया जा सकता।

याचिका में कहा गया है कि अनाजों और सब्जियों की होम डिलीवरी की तुलना में अखबार के वितरण में किसी के संपर्क में आने की संभावना कम होती है।  अनाजों और सब्जियों के होम डिलीवरी की अनुमति है पर अखबार के वितरण को प्रतिबंधित किया जा रहा है।याचिकाकर्ता ने समाचार पत्रों के वितरण पर प्रतिबंध लगाने को नागरिकों के विश्वसनीय समाचार प्राप्त करने के मौलिक अधिकार को कम करना बताया है।

वहीं, सरकारी वकील सुमंत देवपुजारी ने याचिका का विरोध करते हुए दावा किया कि कोविड 19 महामारी के प्रसार के कारण समाचार पत्रों के वितरण ओर प्रतिबन्ध लगाना उचित निर्णय है। उन्होंने कहा कि पाठकों को ई पेपर मिल रहा है, इस पर कोई रोक नहीं है। उन्होंने याचिका खारिज करने की मांग की।

लोकमत समाचार ने प्रकाशित नहीं किया अखबार

महाराष्‍ट्र के प्रतिष्ठित अखबार ने सरकार के निर्णय का पालन करते हुए अखबार का प्रकाशन नहीं किया। अखबार ने सूचना प्रकाशित की कि अखबारों का वितरण नहीं करने की महाराष्ट्र सरकार की सूचना का आदर करते हुए लोकमत ने अपनी जिम्मेदारियो का निर्वाह करते हुए आज अपने समाचार पत्रों की प्रिंटिंग नहीं की है। लेकिन पाठकों तक जरूरी और विश्वसनीय खबरें पहुचाने के लिए ई पेपर की सेवा दी जा रही है।