लेस्बियन करवाचौथ पर भी भावनाएं आहत, QUEER बोले- खजुराहो और कोणार्क घूमें धर्म के ठेकेदार
डाबर ने लेस्बियन कपल पर आधारित करवाचौथ का विज्ञापन बनाया था, भाजपाइयों ने भावनाएं आहत हुई कहकर खड़ा किया बवाल, डाबर को मांगनी पड़ी माफी, QUEER बोले- हिंदू धर्म समलैंगिकता को लेकर संकीर्ण नहीं, खजुराहों और कोणार्क इसका प्रमाण

नई दिल्ली। भारत में कल धूमधाम से करवाचौथ का व्रत मनाया गया। लेकिन इसके अगले ही दिन करवाचौथ के एक विज्ञापन ने हंगामा मचा दिया। यह विज्ञापन डाबर कंपनी ने LGBTQIA+ कम्युनिटी को प्रोमोट करते हुए जारी किया था। इस विज्ञापन को लेकर धर्म के कथित ठेकेदारों ने न केवल बवाल मचाया बल्कि सत्ता में बैठे लोगों ने तो कार्रवाई तक की धमकी दे डाली। मजबूरन डाबर को माफी मांगनी पड़ी।
दरअसल, डाबर फेम ब्लीच ने 22 अक्टूबर को एक कमर्शियल विज्ञापन जारी किया था। इस वीडियो ऐड में दो महिलाएं करवाचौथ के लिए सज-धज रही होती हैं। महिलाएं एक दूसरे को ब्लीच लगाती हैं और त्यौहार को लेकर बातचीत करती हैं वे उपवास क्यों रख रही हैं। वीडियो के अंत में पता चलता है कि दोनों महिलाओं ने एक दूसरे के लिए ही उपवास रखा है। वे छलनी से पहले चंद्रमा को देखती हैं और फिर एक दूसरे को देखकर अपना उपवास तोड़ती हैं।
Well done, Fem/Dabur!
— Abhishek Baxi (@baxiabhishek) October 22, 2021
A nice film for a traditional, often-criticized festival by an otherwise conservative brand. pic.twitter.com/gHBTca6jP8
वीडियो के अंत में आवाज आती है जब ऐसा हो निखार आपका तो दुनिया की सोच कैसे न बदले। इसके साथ ही इंद्रधनुषी रंगों पर फेम ग्लो विथ प्राइड हैशटैग के साथ दर्शाया गया है। बता दें कि इंद्रधनुष का झंडा LGBTQIA+ कम्युनिटी के सामाजिक आंदोलन का प्रतीक है। इस वीडियो की समलैंगिक लोग जमकर सराहना कर रहे हैं। हालांकि, धार्मिक ठेकेदारों के यह गले नहीं उतरी। फिर क्या था देशभर में बवाल शुरू हो गया।
सोशल मीडिया पर कट्टर लोग इसे हिंदू धर्म का मजाक बताने लगे और डाबर को भला बुरा कहने लगे। इतना ही नहीं हद तो तब हो गई जब मध्य प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कार्रवाई के भी निर्देश दे दिए। मिश्रा ने कहा कि यह विज्ञापन आपत्तिजनक है। आज लेस्बियन को व्रत करते हुए दिखा रहे है और कल फिर लड़कों को फेरे लेते हुए दिखाएंगे। मामले की गंभीरता को देखते हुए मैने डीजीपी को कार्रवाई के निर्देश दे दिए हैं।
डाबर कंपनी का लेस्बियन वाला विज्ञापन आपत्तिजनक है।
— Dr Narottam Mishra (@drnarottammisra) October 25, 2021
मामले की गंभीरता को देखते हुए मैंने डीजीपी को यथोचित कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। pic.twitter.com/izd3M8MlLW
विवाद बढ़ता देख डाबर कंपनी को न सिर्फ माफी मांगनी पड़ी बल्कि ऐड भी वापस लेना पड़ा। डाबर ने कहा है कि, 'हम एक ब्रांड के तौर पर विविधता, सबको साथ लेकर चलने और बराबरी में विश्वास रखते हैं। इन मूल्यों के समर्थन पर हमें गर्व है। हम समझ सकते हैं कि हमारी चीजों से हर कोई सहमत नहीं हो सकता है। हमारी नीयत किसी भी धर्म, परंपरा आदि को आहत करने की नहीं हैं। अगर इस ऐड फिल्म ने किसी को आहत किया है तो हम बिना किसी शर्त के माफी मांगते हैं। इस कैंपेन को समर्थन देने वाले लोगों के भी हम आभारी हैं।'
Fem's Karwachauth campaign has been withdrawn from all social media handles and we unconditionally apologise for unintentionally hurting people’s sentiments. pic.twitter.com/hDEfbvkm45
— Dabur India Ltd (@DaburIndia) October 25, 2021
— Dabur India Ltd (@DaburIndia) October 24, 2021
प्रगतिशील दृष्टिकोण रखने वाले लोग इस पूरे विवाद को अनुचित बता रहे है। एक वरिष्ठ पत्रकार ने नाम न छापने की इच्छा जताते हुए कहा कि समलैंगिक लोगों को भी धार्मिक आजादी होनी चाहिए। आज ऐसी दकियानूसी सोच को बहिष्कृत करने की जरूरत है ना कि समलैंगिकता को प्रोमोट कर रहे ब्रांड डाबर को। मामले पर कम्युनिस्ट पार्टी ने भी बयान जारी कर बीजेपी नेताओं की निंदा की है। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की नेता जसविंदर सिंह ने कहा है कि समलैंगिकता को सर्वोच्च न्यायालय भी मान्यता दे चुकी है। ऐसे में इसका विरोध करना निंदनीय ही नहीं संविधान और न्यायालय को भी चुनौती है।
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LGBTQIA+ राइट्स एक्टिविस्ट आदर्श सिंह ने इस विवाद को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। आदर्श के मुताबिक हिंदू धर्म सेक्सुअलिटी की अभिव्यक्ति को लेकर कभी कुंठित नहीं रहा है। आदर्श के मुताबिक खजुराहों और कोणार्क के मंदिर इस बात को प्रमाणित करते हैं कि आदिकाल में भी समलैंगिक संबंध आम हुआ करते थे। जो लोग इसका विरोध कर रहे हैं उन्हें खजुराहों और कोणार्क का मंदिर घूमना चाहिए। आदर्श ने भगवान शिव का अर्धनारीश्वर रूप और भगवान विष्णु के मोहिनी रूप को भी व्यक्तिगत स्वतंत्रता का संदेश बताया है। उन्होंने कहा कि मौजूदा धर्म के ठेकेदारों से पूछना चाहिए कि क्या उन्हें विष्णु का मोहिनी रूप धारण कर भगवान शिव को रिझाना भी गलत लगता है? और क्या वे महाभारत के शिखंडी को भी गलत मानते हैं? आदर्श के मुताबिक समलैंगिकता या LQBTQIA+ लोगों को सहज स्वीकृति देने की आवश्यकता है।