दिल्ली पुलिस का दावा, दिशा रवि ने ही ग्रेटा थनबर्ग को भेजा था ट्वीट किया गया डॉक्युमेंट

दिल्ली पुलिस ने कहा है कि दिशा रवि ने व्हाट्सएप ग्रुप बनाकर वो डॉक्युमेंट शेयर किया था जिसे टूलकिट कहा जा रहा है, पुलिस के मुताबिक़ इस डॉक्युमेंट के ज़रिए बड़ी साज़िश रची गई थी

Updated: Feb 15, 2021, 02:13 PM IST

Photo Courtesy : NDTV
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नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस ने दावा किया है कि उसने बेंगलुरू से इक्कीस साल की जिस पर्यावरण कार्यकर्ता दिशा रवि को गिरफ्तार किया है, वो एक बड़ी देश विरोधी साजिश में शामिल रही है। पुलिस का दावा है कि अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग ने टूलकिट के नाम से जिस डॉक्युमेंट को ट्विटर पर शेयर करने के बाद हटा दिया था, वो उन्हें दिशा रवि ने ही मुहैया कराया था। दिल्ली पुलिस के मुताबिक उसे इस सिलसिले में दिशा रवि के दो और सहयोगियों निकिता जैकब और शांतनु की भी तलाश है। जल्द ही उन्हें भी गिरफ्तार किया जाएगा।

दिल्‍ली पुलिस साइबर सेल के जॉइंट कमिश्नर प्रेमनाथ ने आज प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा, 'जैसा कि हम जानते हैं कि 26 जनवरी को बड़े पैमाने हिसा हुई। 27 नवंबर से किसान आंदोलन चल रहा था। 4 फरवरी को हमें टूलकिट के बारे में जानकारी मिली जिसे खालिस्तानी संगठनों की मदद से बनाया गया था। हिंसा फैलाने के लिए सोशल मीडिया पर अफवाह फैलाने की कोशिश की गई। यह भारत को नुकसान पहुंचाने की साजिश थी। 26 जनवरी को डिजिटल स्ट्राइक की साजिश थी।'

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पुलिस के मुताबिक, दिशा ने टेलिग्राम के जरिए ग्रेटा थनबर्ग से बातचीत की थी। जबकि वह निकिता और शांतनु से जूम मीट पर बातचीत करती थी। सीपी प्रेमनाथ ने कहा, 'टूलकिट के कई स्क्रीनशॉट्स मौजूद हैं। उनकी जांच की जा रही है। जांच पड़ताल के दौरान ही निकिता के खिलाफ नौ फरवरी को सर्च वारंट लिया गया था, जो टूलकिट नाम के गूगल डॉक्युमेंट के एडिटर्स में से एक हैं।'

दिल्ली पुलिस ने बताया कि एक टीम मुंबई पहुंची, जिसने निकिता के घर पर 11 फरवरी को तलाशी ली। पुलिस के मुताबिक निकिता, शांतनु और दिशा ने यह दस्तावेज तैयार किया था, जबकि ईमेल एकाउंट शांतनु ने बनाया था, जो इस डॉक्युमेंट का ओनर भी है। बाकी लोग इसके एडिटर्स थे। पुलिस का दावा है कि 'कनाडाई मूल की पुनीत नामक महिला ने इनका संपर्क खालिस्तान समर्थक Poetic Justice Foundation से कराया था। इसके बाद 1 जनवरी को फॉउंडेशन द्वारा जूम मीटिंग कराई गई थी।'

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दिल्‍ली पुलिस का दावा है कि दिशा के मोबाइल से उसे काफी सबूत मिले हैं। हालांकि इसके साथ ही पुलिस यह दावा भी कर रही है कि उसके मोबाइल का काफी डेटा डिलीट हो चुका है। पुलिस ने इस सिलसिले में पीटर फेडरिक नाम के एक शख्स का नाम भी आज लिया, जो पुलिस के मुताबिक खालिस्तान समर्थक है। पुलिस ने यह भी कहा कि गूगल ने टूलकिट के बारे में कई सवालों के जवाब दे दिए हैं, जबकि बाकी सवालों के जवाब भी जल्द ही मिल जाने की उम्मीद है। 

हालांकि दिल्ली पुलिस ने यह नहीं बताया है कि जिस डॉक्युमेंट को एडिट करने और मुहैया कराने के आरोप में दिशा को गिरफ्तार किया गया है और उनके दो कथित साथियों की तलाश की जा रही है, उसे ट्विटर पर शेयर करने वाली ग्रेटा थनबर्ग के खिलाफ भी क्या कोई कार्रवाई की जा रही है? और अगर नहीं की जा रही, तो क्यों? आपको याद दिला दें कि शुरुआत में खबर आई थी कि दिल्ली पुलिस ने ग्रेटा थनबर्ग के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। इस पर दिल्ली पुलिस की तरफ से स्पष्टीकरण दिया गया कि एफआईआर में ग्रेटा का नाम नहीं है। लेकिन अब दिल्ली पुलिस के आला अधिकारी बार-बार इस केस के सिलसिले में ग्रेटा का नाम ले रहे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि अगर वाकई ये मसला उतना ही गंभीर है, जितना दिल्ली पुलिस दावा कर रही है, तो ग्रेटा थनबर्ग के खिलाफ एफआईआर नहीं करने की क्या कोई खास वजह है?