दिशा की गिरफ़्तारी और रिमांड में क़ानूनी प्रक्रियाओं की अनदेखी का आरोप, कई हस्तियों ने उठाए सवाल

वरिष्ठ वकील रेबेका जॉन ने दिशा को बैंगलुरु से दिल्ली लाने और रिमांड में भेजे जाने तक क़ानूनी प्रक्रिया का सही ढंग से पालन नहीं किए जाने का लगाया आरोप

Updated: Feb 15, 2021, 12:25 PM IST

Photo Courtesy : The Indian Express
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नई दिल्ली। बैंगलुरु की पर्यावरण एक्टिविस्ट दिशा रवि की गिरफ्तारी का पहले से ही बड़े पैमाने पर विरोध हो रहा है। अब इस मामले में कानूनी प्रक्रियाओं का सही ढंग से पालन नहीं किए जाने के आरोप भी लग रहे हैं। खास तौर पर वरिष्ठ वकील रेबेका जॉन ने इस सिलसिले में कई गंभीर सवाल उठाए हैं। दिशा को किसान आंदोलन के दौरान अंतरराष्ट्रीय एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग द्वारा ट्वीट किए गए एक डॉक्युमेंट को एडिट करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है।

वरिष्ठ वकील रेबेका जॉन की एक फ़ेसबुक पोस्ट इस सिलसिले में काफ़ी शेयर की जा रही है, जिसमें उन्होंने इस बारे में अपनी राय व्यक्त की है। उन्होंने लिखा है कि "पटियाला हाउस के ड्यूटी मजिस्ट्रेट ने उस लड़की को जिस तरह उनके वकील के पेश हुए बिना पाँच दिन की पुलिस कस्टडी में भेजा, उससे बेहद निराशा हुई है। मजिस्ट्रेट्स को रिमांड देने से जुड़ी अपनी ज़िम्मेदारियों का गंभीरता से पालन करना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि संविधान के अनुच्छेद 22 के निर्देशों का कड़ाई से पालन हो। अगर सुनवाई के समय आरोपी के वकील मौजूद नहीं थे, तो मजिस्ट्रेट को उनके आने का इंतज़ार करना चाहिए था। या फिर विकल्प के तौर पर उसे क़ानूनी मदद मुहैया कराई जानी चाहिए थी। क्या केस डायरी और गिरफ़्तारी के मेमो की ठीक से जाँच की गई थी? क्या मजिस्ट्रेट ने स्पेशल सेल से पूछा कि गिरफ्तार की गई युवती को बेंगलुरु से सीधे यहाँ लाकर पेश क्यों किया गया, बेंगलुरु की अदालत में पेश करके ट्रांज़िट रिमांड क्यों नहीं ली गई? कुल मिलाकर न्यायिक ज़िम्मेदारियों की अनदेखी चौंकाने वाली है।"

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रेबेका जॉन ने यह भी कहा है कि 'ड्यूटी मजिस्ट्रेट्स को केवल रेगुलर मजिस्ट्रेट के सामने पेश होने तक के लिए यानी एक दिन के लिए ही कस्टडी में भेजना चाहिए। अगर आप एक ड्यूटी मजिस्ट्रेट के तौर पर रविवार को बैठे हैं, तो आपको एक दिन के लिए रिमांड पर भेजना चाहिए, ताकि अगले दिन नियमित अदालत में इस मामले को उठाया जा सके। ड्यूटी मजिस्ट्रेट को कभी भी आरोपी को 5 दिनों के लिए पुलिस कस्टडी में नहीं भेजना चाहिए।' 

दिशा रवि की लीगल टीम के हवाले से मीडिया में आई खबरों के मुताबिक, उनके वकीलों को इस बात की जानकारी नहीं दी गई थी कि दिशा को किस कोर्ट में पेश किया जाएगा। ऐसी हालत में दिशा ने मजिस्ट्रेट के सामने खुद ही अपना केस रखा।  

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कई और बड़े वकीलों ने भी दिशा को पुलिस कस्टडी में भेजे जाने पर सवाल उठाए हैं। सुप्रीम कोर्ट के वकील दुष्यंत अरोड़ा ट्वीट किया है, 'पुलिस कस्टडी, यानी थाने के लॉकअप में, तिहाड़ में नहीं। जज कह सकते थे कि उन्हें कस्टडी में भेजने की ज़रूरत नहीं है, वो जांच में सहयोग करेंगी और दिल्ली छोड़ कर बाहर नहीं जाएंगी। लेकिन उसका नाम अर्णब गोस्वामी नहीं है।' 

नामी वकील और लेखक सौरभ कृपाल ने ट्वीट किया, 'ज़रा सी आहट पर लोगों को क्यों गिरफ्तार किया जाता है? अगर कोई गुनहगार है तो उस पर मुकदमा चलाएं उसे सज़ा दें। सज़ा के विकल्प के रूप में प्री-ट्रायल गिरफ्तारी जांच की तरफ से जांच की ज़िम्मेदारी से बचने का संकेत है। एक नागरिक के रूप में ये चिंता का विषय है।' 

दिशा रवि को किसान आंदोलन का समर्थन करने के दौरान पर्यावरण एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग द्वारा ट्वीट किए गए एक डॉक्युमेंट को एडिट करने के मामले में गिरफ्तार किया गया है। पुलिस का दावा है कि यह डॉक्युमेंट जिसे एक खालिस्तानी संगठन की मदद से तैयार किया गया है, जिसके मुख्य साजिशकर्ताओं में से दिशा रवि भी शामिल हैं। पुलिस का कहना है कि 21 वर्षीय दिशा देश में एक बार फिर से खालिस्तानी संगठन को शुरू करके देश को तोड़ने की साजिश कर रही थीं। पुलिस ने इस मामले में दो अन्य एक्टिविस्टों निकिता जैकब और शांतनु को भी आरोपी बनाया है। दिल्ली पुलिस के मुताबिक दोनों के खिलाफ गैर जमानती नोटिस भी जारी कर दिया है।