ममता बनर्जी पर हमले के बारे में चुनाव आयोग का जवाब, बंगाल की कानून व्यवस्था हमारे हाथ में नहीं

नंदीग्राम में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को चोट लगने के बाद तृणमूल कांग्रेस ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर साज़िश के तहत हमला किए जाने का आरोप लगाया है, डीजीपी के तबादले के बाद हमले की बात भी लिखी है

Updated: Mar 12, 2021, 03:59 AM IST

कोलकाता। केंद्रीय चुनाव आयोग ने कहा है कि पश्चिम बंगाल की कानून व्यवस्था उसके हाथ में नहीं है। आयोग ने यह बात मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस की शिकायती चिट्ठी के जवाब में कही है।
तृणमूल कांग्रेस ने नंदीग्राम में ममता बनर्जी के घायल होने के बाद चुनाव आयोग को पत्र लिखकर मुख्यमंत्री की सुरक्षा में लापरवाही बरते जाने की शिकायत की थी। पार्टी ने यह भी लिखा है कि ममता बनर्जी के साथ नंदीग्राम की घटना चुनाव आयोग द्वारा राज्य के डीजीपी का तबादला किए जाने के अगले ही दिन हुई। टीएमसी ने आयोग पर बीजेपी के इशारे पर काम करने का आरोप भी लगाया है। 

चुनाव आयोग ने टीएमसी के पत्र का जवाब देते हुए कहा है कि यह कहना गलत है कि आयोग ने चुनाव कराने के नाम पर राज्य की कानून व्यवस्था अपने हाथ में ले ली है। आयोग ने डीजीपी के तबादले के अगले ही दिन नंदीग्राम की घटना होने पर भी स्पष्टीकरण दिया है। आयोग ने टीएमसी के इस आरोप पर जवाब देते हुए कहा है कि डीजीपी को आयोग ने मनमाने तरीके से नहीं हटाया, बल्कि यह कार्रवाई पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट्स के आधार पर की गई है। डीजीपी को बदले जाने का नंदीग्राम की घटना से कोई लेना देना नहीं है। 

चुनाव आयोग ने कहा है कि डीजीपी को चुनावी पर्यवेक्षकों अजय नायक और विवेक दुबे की सिफारिश के बाद हटाया गया है। उनसे पहले एडीजी लॉ एंड ऑर्डर को भी पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट के आधार पर ही हटाया था। चुनाव आयोग ने यह भी कहा है कि ममता पर हुए हमले की जानकारी मिलने के बाद ही आयोग ने राज्य के मुख्य सचिव और पर्यवेक्षकों को 48 घंटे में रिपोर्ट देने के लिए कहा है। आयोग के मुताबिक जांच रिपोर्ट मिले बिना किसी नतीजे पर पहुंचना जल्दबाजी होगी। चुनाव आयोग का कहना है कि घटना की जांच के लिए संबंधित अधिकारियों ने मुकदमा भी दर्ज कर लिया है। ऐसे में टीएमसी का आरोप पूरी तरह से निराधार है। 

बुधवार की शाम को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर नंदीग्राम में घायल हो गई थीं। ममता फिलहाल अस्पताल में भर्ती हैं और उनका इलाज चल रहा है। ममता और उनकी पार्टी का कहना है कि उन पर एक साजिश के तहत जानबूझकर हमला किया गया। टीएमसी ने आयोग को लिखी चिट्ठी में तो यहां तक कहा है कि यह हमला उनकी पार्टी अध्यक्ष को जान मारने की साजिश के तहत कराया गया था। 

टीएमसी का कहना है कि राज्य में आचार संहिता लागू होने के बाद कानून व्यवस्था चुनाव आयोग के नियंत्रण में है। टीएमसी ने न सिर्फ राज्य के डीजीपी वीरेंद्र को हटाए जाने के अगले ही दिन नंदीग्राम की घटना होने पर सवाल उठाए हैं, बल्कि चुनाव आयोग पर राज्य की कानून व्यवस्था पर कब्ज़ा करके बीजेपी के इशारों पर काम करने का आरोप भी लगाया है। टीएमसी का एक प्रतिनिधिमंडल आज दिल्ली में भी चुनाव आयोग के सामने अपनी बात रखने वाला है। टीएमसी को दिया गया चुनाव आयोग जवाब पहली नज़र में काफी हैरान करने वाला है। आयोग की यह जवाब तो समझ आता है कि उस पर किसी पार्टी के इशारे पर काम करने का आरोप निराधार है। लेकिन अगर आयोग यह कह रहा है कि पश्चिम बंगाल की कानून व्यवस्था उसके हाथ में नहीं है, तो यह बात परेशान करने वाली है।

आयोग के जवाब से सवाल यह उठ रहा है कि चुनाव वाले राज्यों की कानून व्यवस्था अगर चुनाव आयोग के हाथ में नहीं है तो किसके हाथों में है? अब तक तो आम तौर पर यही माना जाता रहा है कि चुनाव का एलान होने के बाद से राज्य की प्रशासनिक मशीनरी चुनाव आयोग के आदेश पर ही काम करती है। मंगलवार को ही आयोग पश्चिम बंगाल के पुलिस महानिदेशक को बदल चुका है। उसके पहले पश्चिम बंगाल के एडीजी लॉ एंड ऑर्डर को भी आयोग ने ही हटाया। आयोग राज्य के मुख्य सचिव सीधे आदेश दे रहा है, जिन पर अमल करना जरूरी है। अगर यह सब कुछ करना आयोग के हाथ में है, तो फिर राज्य की कानून व्यवस्था चुनाव किसके हाथ में है?