Galwan Valley : EX Army Officers ने चीन के पीछे हटने पर उठाए सवाल
चीन के पीछे हटने पर आधिकारिक बयान क्यों नहीं, क्या भारत ने चीन के गलवान घाटी पर अधिकार के दावे को मान लिया

भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में आठ हफ्तों से जारी गतिरोध के बीच चीनी सैनिकों के गलवान घाटी में पीछे जाने की खबरे आई हैं। भारतीय विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर यह जानकारी दी है कि भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीन के विदेश मंत्री वांग यी पांच जुलाई को हुई बातचीत में एलएसी से दोनों पक्षों के सैनिकों को पीछे हटाने पर राजी हुए हैं। दूसरी तरफ सेना के पूर्व अधिकारियों ने इस पूरी कवायद पर सवाल उठाए हैं और कहा है कि भारत ने चीन के 1959 के उस दावे को स्वीकार कर लिया है, जिसमें चीन ने पूरी गलवान घाटी को अपना क्षेत्र बताया है।
विभिन्न मीडिया संस्थानों ने सरकारी सूत्रों के हवाले से एलएसी से दोनों सेनाओं के पीछे हटने की खबरें दी हैं। हालांकि, इस संबंध में ना तो भारत की तरफ से और ना ही चीन के तरफ से कोई आधिकारिक बयान जारी किया गया है। चीन के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी करते हुए यह जरूर कहा है कि वह अग्रिम मोर्चे पर तैनात सैनिक भारत से लगती वास्तविक नियंत्रण रेखा पर गलवान घाटी में पीछे हटने और तनाव कम करने की दिशा में ‘‘प्रगति’’ के लिए ‘‘प्रभावी कदम’’ उठा रहा है।
इसी तरह भारतीय विदेश मंत्रालय ने बयान जारी करते हुए कहा, ‘डोभाल और वांग इस बात पर सहमत हुए कि दोनों पक्षों को एलएसी से सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया को ‘‘तेजी से’’ पूरा करना चाहिए।'
Two sides should ensure phased and stepwise de-escalation in India-China border areas: MEA on Doval-Wang telephonic talks
— Press Trust of India (@PTI_News) July 6, 2020
इस पूरी कवायद पर सवाल उठाते हुए पूर्व सेना अधिकारी और पत्रकार अजय शुक्ला ने ट्विटर पर कुछ सवाल पूछे हैं। उन्होंने पूछा है कि अगर चीनी सेना गलवान घाटी में पीछे जा रही है तो इस बारे में कोई आधिकारिक बयान कहां है? इसके साथ ही उन्होंने चीनी सेना उन्होंने चीनी सेना के पीछे जाने की सैटेलाइट तस्वीर के ना होने की भी बात कही है।
There are "govt official says" reports of Chinese "pull back" from PP14 clash site in Galwan. Great, if true, but am waiting to see:
— Ajai Shukla (@ajaishukla) July 6, 2020
(a) Official govt statement (why anonymous report?)
(b) Satellite photo verification of pullback
(c) Where have Indian troops pulled back to?
अजय शुक्ला ने अपने दूसरे ट्वीट में चीन की उस सैन्य रणनीति के बारे में भी चेताया है जो ‘दो कदम आगे और एक कदम पीछे’ की है। उन्होंने कहा कि हो सकता है कि चीन गलवान घाटी से इसलिए पीछे जा रहा हो ताकि वह एलएसी के दूसरे स्थानों जैसे पैंगोग सो पर ध्यान भटका सके और वहां भारत की जमीन कब्जाना चालू रखे। उन्होंने यह भी कहा कि हो सकता है कि इलाके में पानी का स्तर बढ़ने पर चीन अपने कैंपों को स्थानांतरित कर रहा हो।
2/2 Important to remember Chinese strategic practice of "two steps forward, one step back".
— Ajai Shukla (@ajaishukla) July 6, 2020
Could China be pulling back from Galwan in order to divert attention from other sectors where they continue to occupy Indian territory -- e.g. Pangong Tso?
Need to watch the big picture
वहीं भारतीय सेना के एक दूसरे पूर्व अधिकारी और फोर्स पत्रिका के संपादक प्रवीन साहनी ने ट्विटर पर दावा किया है कि भारत ने चीन का 1959 का वह दावा स्वीकार कर लिया है, जिसमें उसने पूरी गलवान घाटी को अपना क्षेत्र बताया है।
Real story: India accepted China 1959 claim as new LAC. Under this NOW whole Galwan valley belongs to China. Indian army to dismantle structures & move back to estuary. PLA too moving back places it crossed estuary during stand off. Process will be slow! https://t.co/rT8jd0vfEI
— Pravin Sawhney (@PravinSawhney) July 6, 2020
उन्होंने ट्वीट में आगे कहा कि अब पूरी गलवान घाटी चीन की है। भारतीय सेना अब अपने निर्माण ढांचोंं को तोड़कर वापस नदी के मुहाने पर लौट आएगी और चीन की सेना भी उन जगहों से वापस लौट आएगी जहां पर इसने नदी के मुहाने को पार किया।
उन्होंने अपने एक दूसरे ट्वीट में कहा कि कोई इस बारे में बात नहीं कर रहा है कि चीन ने 1993 की एलएसी को मानने से इनकार कर दिया है, जिसके बारे में भारत का कहना है कि दोनों पक्ष जमीन पर इससे पूरी तरह अवगत हैं। उन्होंने सवाल किया कि आखिर मनमाने ढंग से चीन ऐसा कैसे कर सकता है?
The main issue in the supposed disengagement that no one is talking is: China has reneged on 1993 LAC which India says is well known to both sides on ground. How can China do this arbitrary, is the question?
— Pravin Sawhney (@PravinSawhney) July 6, 2020
इससे पहले भारत और चीन के सैन्य अधिकारियों के बीच पिछले 30 जून को लेफ्टिनेंट जनरल स्तर की तीसरे दौर की वार्ता हुई थी जिसमें दोनों पक्ष गतिरोध को समाप्त करने के लिए ‘‘प्राथमिकता’’ के रूप में तेजी से और चरणबद्ध तरीके से कदम उठाने पर सहमत हुए थे। लेफ्टिनेंट जनरल स्तर की पहले दौर की वार्ता छह जून को हुई थी जिसमें दोनों पक्षों ने गतिरोध वाले सभी स्थानों से धीरे-धीरे पीछे हटने के लिए समझौते को अंतिम रूप दिया था, जिसकी शुरुआत गलवान घाटी से होनी थी।
हालांकि, स्थिति तब बिगड़ गई जब 15 जून को गलवान घाटी में दोनों देशों के सैनिकों के बीच हुई झड़प में भारत के 20 जवान वीरगति को प्राप्त हो गए। झड़प में चीनी सेना को भी नुकसान पहुंचने की खबरें हैं।