Farmers Protest: सुप्रीम कोर्ट फिर से बनाए निष्पक्ष सदस्यों वाली समिति, किसान संगठन की मांग

बीकेयू (लोक शक्ति) ने कहा, सुप्रीम कोर्ट अपनी बनाई समिति का पुनर्गठन करे, पूर्व जज और अन्य निष्पक्ष लोग सदस्य बनाए जाएँ, मौजूदा सदस्य सरकार के समर्थक

Updated: Jan 17, 2021, 06:19 AM IST

नई दिल्ली। मोदी सरकार के नए कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ किसानों के आंदोलन के मसले को सुलझाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने जो समिति बनाई है, उसका पुनर्गठन होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट से यह माँग किसानों के एक संगठन ने की है। भारतीय किसान यूनियन (लोक शक्ति) ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट को ऐसी समिति बनानी चाहिए जिसके सदस्य निष्पक्ष हों। इन सदस्यों का किसी पार्टी से जुड़ाव नहीं होना चाहिए। संगठन के मुताबिक़ समिति में सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज और किसान संगठनों के प्रतिनिधियों को भी रखा जाना चाहिए। किसान संगठन का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट की बनाई समिति किसानों और सरकार, दोनों के प्रतिनिधियों से बात करके कोई सही समाधान तभी निकाल पाएगी जब उसके सदस्य निष्पक्ष होंगे।

बीकेयू (लोक शक्ति) ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने चार लोगों की जो समिति बनाई थी, उसके एक सदस्य भूपिंदर सिंह मान उससे अलग होने का एलान कर चुके हैं। जबकि बाक़ी तीनों सदस्य अशोक गुलाटी,  प्रमोद कुमार जोशी और अनिल घनवट पहले ही कृषि क़ानूनों का समर्थन करके सरकार के पाले में खड़े हैं। किसान संगठन ने हैरानी ज़ाहिर की है कि इन हालात में यह समिति कोई निष्पक्ष रिपोर्ट कैसे तैयार कर सकती है? बीकेयू (लोक शक्ति) का कहना है कि समिति के तीनों बाक़ी बचे सदस्य किसानों से पर्याप्त चर्चा किए बिना ही सरकार के बनाए तीनों नए क़ानूनों का समर्थन करके अपना पक्ष ज़ाहिर कर चुके हैं, ऐसे में उनसे तटस्थ मूल्यांकन की उम्मीद नहीं की जा सकती।

किसान संगठन ने वकील ए पी सिंह के माध्यम से पेश की गई अपनी याचिका में सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार की तरफ़ से दायर उस एप्लीकेशन का ज़िक्र भी किया गया है, जिसमें गणतंत्र दिवस पर राजधानी में किसानों की तरफ़ से ट्रैक्टर रैली निकाले जाने के एलान का हवाला देते हुए उस पर रोक लगाने की माँग की गई है। बीकेयू (लोक शक्ति) ने कहा है कि केंद्र सरकार का यह आवेदन कोर्ट के समय की बर्बादी है, क्योंकि दिल्ली पुलिस ने सेंट्रल दिल्ली में पहले ही धारा 144 लागू कर दी है, जिसके तहत पाँच या उससे ज़्यादा लोगों के एक साथ जमा होने पर पाबंदी है। याचिका में कहा गया है कि 26 जनवरी को मनाये जाने वाले गणतंत्र दिवस समारोह का संवैधानिक और ऐतिहासिक महत्व है, जिसका किसान संगठन बेहद सम्मान करते हैं।