नाकाबिल-ए-बर्दाश्त है साबरमती आश्रम के साथ छेड़छाड़, गांधीजनों की संदेश यात्रा शुरू

गांधीवादी विचारकों ने की सेवाग्राम से साबरमती तक संदेश यात्रा की शुरुआत, रिडेवलपमेंट प्रोजेक्ट को बताया आश्रम की पवित्रता पर आघात, केंद्र सरकार कर रही गांधी के स्मृतियों को मिटाने की साजिश

Updated: Oct 18, 2021, 01:54 PM IST

Photo Courtesy: SPSMedia
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अहमदाबाद। भारतीय स्वाधीनता संग्राम की चर्चा साबरमती आश्रम के जिक्र के बगैर अधूरी है। साबरमती आश्रम बापू की धरोहर है। लेकिन, गांधी के इस पवित्र आश्रम को केंद्र की मोदी सरकार और गुजरात सरकार बदलना चाहती है। बीजेपी सरकार के इस फैसले के खिलाफ गांधीवादियों ने मोर्चा खोल दिया है। विश्व प्रसिद्ध साबरमती आश्रम की रिडेवलपमेंट प्रोजेक्ट के खिलाफ देशभर की प्रमुख गांधीवादी संस्थाओं ने सेवाग्राम आश्रम से साबरमती संदेश यात्रा शुरू की है।

गांधी से जुड़े दर्जनों संस्थाओं के करीब 50 से ज्यादा यात्रियों ने रविवार सुबह सेवाग्राम स्थित बापू की कुटिया में प्रार्थना कि है। इसके बाद यात्रियों ने यह संकल्प लेकर यात्रा शुरू किया कि स्वतंत्रता आंदोलन की विरासत और बापू की धरोहरों के साथ खिलवाड़ नहीं होने देंगे। यात्रियों ने संकल्प लिया कि सत्ता के तमाम साजिशों को नाकाम करने के लिए वे जनता के बीच जाएंगे और लोकमत का जागरण करेंगे। 

गांधीजनों का कहना है कि बापू द्वारा स्थापित आश्रम और संस्थाएं सत्य और अहिंसा की प्रयोगशालाएं रहीं और उन्होंने समाज के सामने त्याग और सादगी भरे जीवन की मिसाल पेश की। इन्हीं जीवनमूल्यों की वजह से दुनिया भर से लोग शांति और प्रेरणा की तलाश में महात्मा गांधी के आश्रमों की ओर खिंचे चले आते हैं। ऐसे में इन आश्रमों को श्रद्धा, सम्मान और वैचारिक प्रेरणा के केंद्र की जगह पर्यटन केंद्र के तौर पर विकसित करने की सरकार की कोशिश देश भर के गांधीजनों को कतई स्वीकार्य नहीं है। 

केंद्रीय गांधी स्मारक निधि के अध्यक्ष और गांधीवादी विचारक रामचंद्र राही ने इस यात्रा को हरी झंडी दिखाकर सेवाग्राम आश्रम से विदा किया। यात्रा में गांधी शांति प्रतिष्ठान के अध्यक्ष कुमार प्रशांत, मशहूर पर्यावरणविद राजेंद्र सिंह, सर्व सेवा संघ के अशोक भारत और राष्ट्रीय युवा संगठन के विश्वजीत रॉय के अलावा आशा बोथरा, अविनाश काकड़े और मालती बहन समेत कई प्रमुख गांधीवादी शामिल हैं। 

साबरमती संदेश यात्रा के संयोजक संजय कुमार सिंह ने बताया कि सेवाग्राम आश्रम से शुरू होकर यह यात्रा अमरावती, अकोला, भुसावल होते हुए 23 अक्टूबर को अहमदाबाद पहुंचेगी। यात्रियों ने कहा कि बापू द्वारा स्थापित साबरमती आश्रम सत्य और अहिंसा की प्रयोगशाला रही है। बापू की जीवनशैली को जानने समझने और उससे प्रेरणा लेने के लिए यह पवित्र स्थल है। विश्वभर के लोग यहां शांति के तलाश में आते हैं। 

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यात्रियों ने कहा कि गांधी जिस बाजारवादी सभ्यता के खिलाफ आजीवन लड़े उसी व्यवस्था को आश्रम में लाने का प्रयास किया जा रहा है जो नाकाबिल-ए-बर्दाश्त है। केंद्र सरकार गांधी के पगचिन्ह मिटाने और उनके स्मृति स्थलों को तहस-नहस करने की साजिश रच रही है। उन्होंने बताया कि यात्रा के दौरान विभिन्न जगहों पर सर्व धर्म प्रार्थना, गोष्ठी, जनसंवाद एवं अन्य आयोजन कराए जाएंगे। इस यात्रा में गांधी स्मारक निधि, गांधी शांति प्रतिष्ठान, सर्व सेवा संघ, राष्ट्रीय गांधी संग्रहालय समेत अन्य संस्थाएं शामिल हैं। 

बता दें कि इसके भी देशभर के विभिन्न क्षेत्रों की 130 हस्तियों ने खुला खत लिखकर इस रीडेवलपमेंट प्रोजेक्ट का विरोध किया था। पत्र लिखने वालों में महात्मा गांधी के परपोते राजमोहन गांधी, इतिहासकार रामचंद्र गुहा, स्वाधीनता सेनानी जीजी पारीख, जवाहरलाल नेहरू की भतीजी नयनतारा सहगल, हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज एपी शाह, सामाजिक कार्यकर्ता शबनम हाशमी, योगेंद्र यादव, अरुणा रॉय, पत्रकार पी साईनाथ समेत कई दिग्गज हस्ती शामिल थे।

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पत्र में लिखा गया था कि, 'प्रत्येक साल लाखों भारतीयों और दुनियाभर से लोग साबरमती आश्रम को देखने आते हैं। लोगों को आकर्षित करने के लिए साबरमती आश्रम को कभी वर्ल्ड क्लास मेकओवर की ज़रूरत नहीं पड़ी। गांधी के करिश्मे के साथ-साथ इस जगह की सादगी ही काफी है।' पत्र में यह भी लिखा गया है कि गांधी के हत्यारों की जो विचारधारा थी, उससे सहमति रखने वाले लोग इस सरकार में भी हैं। ऐसे में इन बातों को नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता है कि वे बापू से जुड़ी सभी स्मृतियों और धरोहरों का व्यवसायीकरण कर देना चाहते हैं। ये आश्रम स्वाधीनता संग्राम की विरासत है। सुंदरीकरण और वाणिज्यीकरण में ये कहीं खोकर रह जाएगा। ये प्रोजेक्ट गांधी की दूसरी हत्या जैसा है। 

दरअसल, गुजरात सरकार ने इसी साल मार्च में गांधी आश्रम मेमोरियल डेवलपमेंट प्रोजेक्ट की मंजूरी दी है। इसमें 1200 करोड़ रुपए खर्च होने हैं। बापू के इस धरोहर के मेकओवर के लिए नए संग्रहालय, एम्फीथिएटर, वीआईपी लाउंज, दुकानें, फूड कोर्ट सहित अन्य चीजें बनाने की योजना है। महात्मा गांधी ने साल 1917 से 1930 के बीच इसी आश्रम में रहते हुए भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व किया था। यह संभव है कि रीडेवलपमेंट प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद यहां सुविधाएं बढ़ जाएंगी और आश्रम भी आधुनिक हो जाएगा। हालांकि, आधुनिकरण के बाद आश्रम से गांधी का स्पर्श भी चला जाएगा।