किसानों के प्रदर्शन के मुद्दे पर हरियाणा और पंजाब के सीएम में तीखी बहस
खट्टर ने कहा किसानों को अगर MSP में कोई दिक्कत हुई तो राजनीति छोड़ दूंगा, कैप्टन का पलटवार किसानों को समझाएं हमें नहीं, केंद्रीय कृषि मंत्री ने भी की बातचीत की पेशकश

नई दिल्ली। मोदी सरकार के बनाए नए कृषि कानूनों के खिलाफ जारी किसानों के प्रदर्शन के बीच हरियाणा और पंजाब के मुख्यमंत्री ट्विटर पर आपस में भिड़ गए। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने किसानों के खिलाफ बल-प्रयोग करने पर हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर और उनकी सरकार को फटकार लगाई। इससे तिलमिलाए मनोहरलाल खट्टर ने कैप्टन अमरिंदर सिंह पर किसानों को भड़काने का आरोप लगा दिया।
खट्टर के इस आरोप का जवाब देते हुए अमरिंदर सिंह ने पलटकर पूछ दिया कि यदि किसानों को मैं भड़का रहा हूं तो आपके राज्य के किसान सड़कों पर क्या कर रहे हैं। इसके बाद हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर ने अमरिंदर सिंह को टैग करते हुए ट्वीट किया, 'अमरिंदर जी, मैं पहले भी कह चुका हूं और फिर से कह रहा हूं, किसानों को यदि एमएसपी में कोई परेशानी होगी तो मैं राजनीति छोड़ दूंगा। इसलिए निर्दोष किसानों को उकसाना बंद करें।' उन्होंने ये भी कहा कि 'मैं पिछले तीन दिनों से आपसे संपर्क साधने की कोशिश कर रहा हूं लेकिन दुख की बात है कि आपने यह तय कर लिया है कि बात नहीं करेंगे। क्या यही आप किसानों के मुद्दों को लेकर गंभीर हैं? आप सिर्फ ट्वीट कर रहे हैं और बात करने से भाग रहे हैं, क्यों?'
.@capt_amarinder ji, I've said it earlier and I'm saying it again, I'll leave politics if there'll be any trouble on the MSP - therefore, please stop inciting innocent farmers.
— Manohar Lal (@mlkhattar) November 26, 2020
खट्टर ने एक अन्य ट्वीट में लिखा, 'आपके झूठ, धोखे और प्रचार का समय खत्म हो गया है - लोगों को अपना असली चेहरा देखने दें। कृपया कोरोना महामारी के दौरान लोगों के जीवन को खतरे में डालना बंद करें। मैं आपसे आग्रह करता हूं कि लोगों के जीवन के साथ मत खेलें। कम से कम महामारी के समय सस्ती राजनीति से बचें।'
Time for your Lies, Deception and Propaganda is over - let the people see your real face. Please stop putting the lives of people in danger during the Corona pandemic. I urge you to not play with the lives of the people - atleast avoid cheap politics during the time of pandemic.
— Manohar Lal (@mlkhattar) November 26, 2020
खट्टर के इन ट्वीट्स पर पंजाब सीएम भड़क गए और उन्हें नसीहत दे डाली। कैप्टन अमरिंदर सिंह ने ट्वीट किया, 'खट्टर जी, आपकी प्रतिक्रियाओं से हैरान हूं। आपको MSP पर किसानों को संतुष्ट करने की जरूरत है, मुझे नहीं। किसानों के 'दिल्ली चलो' आंदोलन का एलान करने से पहले आपको उन किसानों से बात करना चाहिए थी। और अगर आप ये सोचते हैं कि मैं किसानों को उकसा रहा हूं तो फिर हरियाणा के किसान क्यों मार्च कर रहे हैं?'
As for endangering lives during #COVID19, have you forgotten that it was @BJP4India led central govt that pushed through those #FarmLaws amid the pandemic, uncaring about the impact they'd have on our farmers? Why didn't you speak out then @mlkhattar ji
— Capt.Amarinder Singh (@capt_amarinder) November 26, 2020
कैप्टन ने अगले ट्वीट में लिखा, 'जहां तक कोरोना संकट काल में जीवन को खतरे में डालने की बात है तो क्या आप भूल गए कि वह बीजेपी शासित केंद्र सरकार ही थी जिसने महामारी के दौर में उन कृषि कानूनों को थोपा। इससे किसानों पर पड़ने वाली प्रभाव को अनदेखा कर दिया गया। आपने उस वक़्त क्यों नहीं बोला?
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दरअसल, इससे पहले आज सुबह ही कैप्टन अमरिंदर सिंह ने खट्टर सरकार द्वारा आंदोलनकारी किसानों को जबरन जगह-जगह रोकने को असंवैधानिक और अलोकतांत्रिक करार देते हुए अपनी आपत्ति जताई थी। उन्होंने ट्वीट कर कहा था कि, 'पंजाब में किसान लगभग दो महीन से शांतिपूर्वक तरीके से विरोध कर रहे थे। हरियाणा सरकार आंदोलनकारी किसानों पर बल प्रयोग कर क्यों उन्हें भड़का रही है। क्या किसानों को हाईवे पर शांतिपूर्वक मार्च निकालने का अधिकार नहीं है?'
For nearly 2 months farmers have been protesting peacefully in Punjab without any problem. Why is Haryana govt provoking them by resorting to force? Don't the farmers have the right to pass peacefully through a public highway? @mlkhattar pic.twitter.com/NWyFwqOXEu
— Capt.Amarinder Singh (@capt_amarinder) November 26, 2020
बता दें देशभर के किसान केंद्र सरकार द्वारा पारित किए गए विवादास्पद कृषि विधेयकों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। हरियाणा और पंजाब के किसान इस विरोध में मुख्य रूप से शामिल हैं। तकरीबन दो महीने के प्रदर्शन के बीच दोनों राज्यों के किसानों ने दिल्ली चलो आंदोलन शुरू कर दिया है। इसे लेकर जगह-जगह पर प्रशासन द्वारा किसानों पर बलप्रयोग की तस्वीरें देखी गई। हालांकि, किसान भी दिल्ली आने पर आमदा हैं और राशन पानी लेकर निकल पड़े हैं। किसान नेता कोरोना की आड़ में प्रदर्शन से रोकने की कोशिशों पर बीजेपी से यह सवाल भी पूछ रहे हैं कि आखिर जब इसी रविवार को उप-मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने रैली की थी, तब क्या कोरोना के फैलने का खतरा नहीं था? जब बिहार में बीजेपी के तमाम दिग्गज नेता चुनावी रैलियां कर रहे थे, जब कोरोना का खतरा नहीं था? किसान अपने हक की बात करें तभी उसे कोरोना की आड़ में चुप कराने की कोशिश क्यों होती है?
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इसी बीच केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों से बातचीत की पेशकश की है। तोमर ने कहा है कि नया कानून बनाना समय की आवश्यकता थी। पंजाब में हमारे किसान भाई-बहनों को कुछ भ्रम है जिसे हमने दूर करने सचिव स्तर पर वार्ता की है। मैंने 3 दिसंबर को सभी किसान यूनियन को फिर बैठक के लिए अनुरोध किया है। सरकार पूरी तरह चर्चा के लिए तैयार है।' बता दें कि इसके पहले भी कृषि मंत्री ने एक बार किसान यूनियन के नेताओं को चर्चा के लिए बुलाया था और वह खुद गायब थे। इसी बात से आक्रोशित किसान नेताओं ने इस मीटिंग का बहिष्कार कर दिया था।