हरियाणा के सियासी दंगल में AAP का बुरा हाल, 87 प्रत्याशियों की हुई जमानत जब्त

पार्टी सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल का गृह राज्य होने के बावजूद आम आदमी पार्टी यहां खाता तक नहीं खोल पाई, पार्टी के 88 में 87 प्रत्याशी जमानत बचा पाने में भी विफल रहे।

Updated: Oct 09, 2024, 11:16 AM IST

नई दिल्ली। हरियाणा विधानसभा चुनाव में काफी जोर-शोर से प्रचार करने वाली आम आदमी पार्टी को करारी हार मिली है। पार्टी सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल का गृह राज्य होने के बावजूद यहां आप खाता तक नहीं खोल पाई। पार्टी ने राज्य की 90 में से 88 सीटों पर चुनाव लड़ा था। लेकिन AAP का केवल एक उम्मीदवार ही अपनी जमानत बचाने में कामयाब रहा। शेष 87 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई। 

हरियाणा में आम आदमी पार्टी का वोट शेयर 1.8 प्रतिशत रहा। राज्य में 70 से अधिक सीटों पर AAP उम्मीदवार चौथे या उसके बाद के स्थान पर हैं। अधिकांश सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवारों का प्रदर्शन AAP से अच्छा रहा। कई सीटों पर आम आदमी पार्टी को NOTA से भी कम वो मिले हैं।

आम आदमी पार्टी को राज्य में कोई सफलता तो नहीं मिली लेकिन केजरीवाल कांग्रेस को नुकसान पहुंचाने में जरूर कामयाब रहे। हरियाणा में वोट कटुआ पार्टी के रूप में उभरी AAP कुछ सीटों पर कांग्रेस के हार की कारण बनी। इनमें एक उचाना कलां सीट भी है। यहां। भाजपा उम्मीदवार को 48,968 वोट, जबकि कांग्रेस उम्मीदवार को 48,936 वोट प्राप्त हुए। यहां सिर्फ 32 वोटों से कांग्रेस प्रत्याशी की हार हुई। यहां AAP को 2,495 वोट मिले थे।

इसी तरह असंध में भाजपा उम्मीदवार को 54,761 और कांग्रेस उम्मीदवार को 52,455 वोट मिले। यहां जीत का अंतर 2,306 था, जिसमें AAP को 4,290 वोट प्राप्त हुए। बता दें कि चुनाव पूर्व कांग्रेस ने AAP से गठबंधन की कोशिशें भी की थी। हालांकि, AAP नेताओं ने ज्यादा सीटों की डिमांड कर दी। नतीजतन बात नहीं बनी। ऐसे में पार्टी अकेले चुनावी मैदान में उतरी और कुछ सीटों पर भाजपा को फायदा भी पहुंचाया। 

हरियाणा में AAP तीसरी बार चुनाव मैदान में उतरी थी। पहली बार 2019 के विधानसभा चुनाव में AAP 46 सीट पर लड़ी थी और उसे NOTA से कम वोट मिले थे। 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस से गठबंधन के बावजूद AAP 1 सीट नहीं जीती। यह स्थिति तब है जब हरियाणा केजरीवाल का गृह राज्य है। इतना ही नहीं चुनाव परिणाम के बाद 87 सीटों पर जमानत बचा पाने में असफल होने के बाद भी केजरीवाल कांग्रेस पर तंज कसने से बाज नहीं आए।

हरियाणा में इस बार की लड़ाई सीधा भाजपा और कांग्रेस के बीच थी। दुष्यंत चौटाला की जेपीपी भी इस बार राज्य में खाता नहीं खोल पाई। जबकि पिछले चुनाव में हरियाणा में किंगमेकर की भूमिका में थी। लेकिन इस बार के चुनाव में जनता ने उनकी पार्टी को सिरे से नकार दिया है। सूबे की जनता जेपीपी से इतनी नाराज दिखी कि उन्होंने दुष्यंत चौटाला को भी नहीं जिताया। इस चुनाव में दुष्यंत चौटाला खुद अपनी विधानसभा क्षेत्र से पांचवें स्थान पर रहे हैं।