Hathras Case: पीड़िता की भाभी को पुलिस ने पीटा, पुलिस ने किसी और का शव जलाया, परिजनों ने लगाए संगीन आरोप

UP Police: पीड़िता के परिजनों ने मीडिया से कहा, जिसका शव जलाया वह हमारी लड़की नहीं थी, हमारा नहीं डीएम का होना चाहिए नार्को टेस्ट

Updated: Oct 04, 2020, 04:34 AM IST

हाथरस। हाथरस गैंगरेप पीड़िता के मामले में गंभीर आरोपों में घिरी उत्तर प्रदेश पुलिस ने आखिरकार तीन दिन बाद मीडिया को गांव में जाने की इजाजत दी, तो उसके खिलाफ कई और गंभीर आरोप सामने आ गए। पीड़िता के परिजनों ने मीडिया से बातचीत में कई खुलासे किए, जिनसे पुलिस-प्रशासन और योगी सरकार के खिलाफ संदेह के घेरा और मज़बूत हो गया है। पीड़िता की भाभी ने बताया है कि पुलिस ने उनके और परिवार के कई और सदस्यों के साथ मारपीट की है।

पीड़िता की मां ने मीडिया के सामने कहा कि वो नहीं मानते कि पुलिस ने जिस शव को उन्हें दिखाए बिना ही जला दिया, वो उनकी बेटी का ही था। पीड़िता की मां ने कहा, वह हमारी लड़की का शरीर नहीं था, हमने उसे देखा भी नहीं। हमें नहीं पता कि हम किसकी हड्डियां उठाकर लाए हैं। पुलिस पहले यह स्पष्ट करे कि किसका शव जलाया। उन्होंने कहा, 'हम सच बोल रहे हैं, हमारा नार्को टेस्ट क्यों होगा। पुलिस लगातार झूठ बोल रही है, डीएम और एसपी का नार्को टेस्ट कराया जाना चाहिए। हम न्याय की मांग कर रहे हैं।'

एसआईटी की टीम भी मिली हुई है

परिजनों ने एसआईटी की टीम पर भी सवाल खड़े किए हैं और दावा किया है कि वे भी प्रशासन से मिले हुए हैं। शुक्रवार को एसआईटी हमारे यहां आई ही नहीं। गुरुवार को सुबह 9 से दोपहर 2.30 बजे तक एसआईटी की टीम आई थी। इस दौरान जिला मजिस्ट्रेट लगातार कह रहे थे कि लड़की की मौत कोरोना वायरस से हुई है इसलिए हमें मीडिया से बात करने से रोका गया है।'

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दादा का निधन 2006 में हुआ तो अंतिम संस्कार में कैसे रहे? 

पीड़ित परिजनों ने इन खबरों का भी खंडन किया है जिसमें दावा किया जा रहा है कि उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा रात में जब मृतक का शव जलाया जा रहा था तब उसके दादा वहीं मौजूद थे। परिजनों ने बताया कि लड़की के दादा का निधन साल 2006 में ही हो चुका है, ऐसे में वे पीड़िता के अंतिम संस्कार में मौजूद कैसे हो सकते हैं। 

ड्रोन से परिजनों पर पहरा

तीन दिनों के बाद मीडिया को जाने की अनुमति देने के बावजूद इलाके में धारा 144 लागू कर जिला प्रशासन ने गांव को पुलिस छावनी में तब्दील कर रखा है। इतना ही नहीं पीड़िता के गांव पर ड्रोन कैमरे से नजर रखी जा रही है ताकि पल-पल के अपडेट्स जिला प्रशासन को मिलते रहें। हालांकि परिजनों ने इसे गलत बताया है और कहा है कि हमें कैद करके रखा गया है।

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डीएम के खिलाफ अबतक नहीं लिया कोई एक्शन

हाथरस मामले में पुलिस की संदिग्ध भूमिका को लेकर योगी सरकार ने पांच अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया, लेकिन उस डीएम पर कोई करवाई नहीं हुई है, जिस पर पीड़ित पक्ष की तरफ से लगातार गंभीर आरोप लगाए जा रहे हैं । डीएम के खिलाफ कार्रवाई न किए जाने से योगी सरकार की मंशा पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। शुरुआत से मामले में परिजनों को डराने-धमकाने से लेकर मीडिया को अपना काम करने से रोकने के मामले में डीएम भूमिका संदिग्ध बताई जा रही है। परिवार ने भी आरोप लगाया है कि डीएम ने धमकाने वाले अंदाज़ में कहा कि अगर लड़की कोरोना से मर जाती तो मुआवजा भी नहीं मिलता। ऐसे में डीएम पर कार्रवाई न होना हैरानी की बात है।