देश में बढ़ी महिलाओं की तादाद, प्रति 1000 पुरुष पर अब 1020 महिलाओं का बना रिकॉर्ड

नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे 5 के अनुसार देश में अब प्रति 1000 पुरुषों पर 1020 महिलाएं हैं, सर्वे में यह भी पता चला है कि प्रजनन दर में गिरावट आई है.. लेकिन अब भी देश की तीस फ़ीसदी आबादी टॉयलेट से वंचित है

Updated: Nov 25, 2021, 05:14 AM IST

नई दिल्ली। लैंगिक समानता की दिशा में भारत को अभूतपूर्व सफलता मिली है। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के मुताबिक देश में अब पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की संख्या ज्यादा हो गई है। इस सर्वे के ताजा आंकड़ों में बताया गया है कि भारत में अब 1000 पुरुषों पर 1020 महिलाएं हैं। दरअसल, केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने बुधवार को NFHS 5 के आंकड़े जारी किए हैं।

NFHS के आंकड़ों से साफ है कि महिला सशक्तिकरण से लेकर लैंगिक समानता जैसे मुद्दों पर देश में जागरूकता आई है। इससे पहले के हालात बेहद निराशाजनक थे। साल 1990 के दौर में हर 1000 पुरुषों के मुकाबले देश में महिलाओं की संख्या महज 927 ही थी। साल 2005-06 में जन NHFS का तीसरा सर्वे हुआ तब पहली बार 1000-1000 के साथ लिंग अनुपात बराबर हो गया। हालांकि, 2015-16 में हुआ चौथे सर्वे में आंकड़ों में फिर से गिरावट आ गई और तब 1000 पुरुषों के मुकाबले महज 991 महिलाएं थीं।

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लेकिन भारत के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब महिलाओं के अनुपात ने पुरुषों को पीछे छोड़ दिया है। इस सर्वे को लेकर नेशनल हेल्थ मिशन के डायरेक्टर विकास शील ने कहा, ‘जन्म के समय बेहतर लिंग अनुपात एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। भले ही वास्तविक तस्वीर जनगणना से सामने आएगी। लेकिन हम अभी के परिणामों को देखते हुए कह सकते हैं कि महिला सशक्तिकरण के उपायों ने हमें सही दिशा में आगे बढ़ाया है।'

प्रजनन दर में आई कमी

सर्वे में यह भी खुलासा हुआ है कि देश के औसत प्रजनन दर में कमी आई है। सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक एक महिला द्वारा अपने जीवनकाल में बच्चों को जन्म देने की औसत संख्या 2.2 से घटकर 2 हो गई है। जबकि गर्भ निरोधक प्रसार दर 54% से बढ़कर 67% हो गई है। ऐसे में जनसंख्या विस्फोट का डर खत्म हो गया है। खास बात ये है कि 2.1 की प्रजनन दर को रिप्लेसमेंट मार्क माना जाता है। अर्थात 2.1 की प्रजनन दर पर आबादी की वृद्धि स्थिर रहती है, इससे नीचे प्रजनन दर आबादी की वृद्धि दर धीमी होने का संकेत है।

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सर्वे के मुताबिक 78.6% महिलाओं के पास बैंक अकाउंट है। 2015-16 के दौरान यह आंकड़ा महज 53% ही था। वहीं 43.3% महिलाओं के नाम पर कोई न कोई प्रॉपर्टी है, साल 2015-16 में यह आंकड़ा 38.4% ही था। पीरियड्स के दौरान सुरक्षित सैनिटेशन उपाय अपनाने वाली महिलाओं की संख्या भी 57.6% से बढ़कर 77.3% हो गई है। NFHS सर्वे में सबसे निराश करने वाला डेटा टॉयलेट से संबंधित है। देश के 70.2 फीसदी लोग ही आधुनिक टॉयलेट का इस्तेमाल करते हैं, जबकि 30 फीसदी आबादी आज भी टॉयलेट से वंचित है। बता दें कि NFHS-5 के लिए 2019-20 के दौरान लगभग 6.1 लाख घरों का सर्वेक्षण किया गया था।