Hathras Case: 'नक्सल भाभी' कहकर ट्रोल की गईं डॉ. राजकुमारी पर कार्रवाई नहीं करेगा जबलपुर मेडिकल कॉलेज

Dr Rajkumari Bansal: मेडिकल कॉलेज के डीन बोले, डॉ. बंसल ने हमेशा जिम्मेदारी से काम किया, लेकिन ऊपर से आदेश आने पर कार्रवाई होगी

Updated: Oct 13, 2020, 06:19 PM IST

Photo Courtesy: India Today
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जबलपुर। हाथरस के पीड़ित परिवार की इंसानियत के नाते मदद करने गईं जबलपुर की डॉक्टर राजकुमारी बंसल को नक्सल भाभी और नकली भाभी कहकर न सिर्फ ट्रोल किया गया, बल्कि जबलपुर के जिस मेडिकल कॉलेज में वो सहायक प्रोफेसर हैं, उसने उनके खिलाफ कार्रवाई करने की बात भी कही। लेकिन उसी नेताजी सुभाष चंद्र मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. प्रदीप प्रसाद अब मान रहे हैं कि उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी। मीडिया में आई खबर के मुताबिक डॉक्टर प्रदीप यह भी मान रहे रहे हैं कि डॉक्टर राजकुमारी का अब तक का कामकाज अच्छा रहा है और उन्हें जो भी काम सौंपा गया, उन्होंने हमेशा पूरी जिम्मेदारी से पूरा किया है। हालांकि इसके साथ ही डॉ. प्रदीप यह भी कहते हैं कि ऊपर से आदेश आने पर डॉ. बंसल के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है।

दरअसल, डॉ. राजकुमारी बंसल सामाजिक तौर पर जागरूक डॉक्टर और फॉरेंसिक एक्सपर्ट हैं। उनका कहना है कि वे इसी हैसियत से पीड़ित परिवार की मदद करने के लिए हाथरस गई थीं। कुछ मीडिया संस्थानों ने उन्हें नक्सली और नकली भाभी बताकर हाथरस मामले में साजिश का एंगल खोज लिया था। डॉ. बंसल ने इसके ऊपर आपत्ति जताई थी और गलत आरोप लगाने वालों पर कानूनी कार्रवाई की बात भी कही थी। विवाद में उनका नाम उछाले जाने के बाद ही मेडिकल कॉलेज के डीन ने उन्हें कारण बताओ नोटिस देकर कार्रवाई करने की बात भी कही थी। कांग्रेस नेता और वरिष्ठ वकील  विवेक तन्खा ने भी डॉक्टर राजकुमारी का बचाव करते हुए कहा था कि किसी की इंसानियत और संवेदनशीलता के कारण उसे अपराधी घोषित नहीं किया जाना चाहिए। 

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. राजकुमारी बंसल नेताजी सुभाष चंद्र मेडिकल कॉलेज में फॉरेंसिक विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं। वे अपने सामाजिक कार्यों के लिए भी जानी जाती हैं। उनके ऊपर जब पहले पहल हाथरस मामले में साजिश करने के आरोप लगे थे, तब उन्होंने आरोपों को बेबुनियाद बताया था। उन्होंने कहा था कि पीड़िता के परिवार से उनका कोई रिश्ता नहीं है लेकिन हाथरस कांड ने उन्हें बुरी तरस से झकझोर दिया। इसके बाद उन्होंने पीड़ित परिवार की मदद करने का फैसला लिया और अपना एक महीने का वेतन परिवार को दे दिया। 

डॉ. बंसल ने बताया था कि वे आर्थिक मदद देने के लिए हाथरस आई थीं और उनका तुरंत ही लौट जाने का इरादा था। हालांकि, पीड़िता के परिवार ने उनसे रुकने को कहा। इसके बाद वे वहां रुक गईं। उन्होंने यह भी बताया कि एक फॉरेंसिक एक्सपर्ट होने के नाते वे पीड़िता की फॉरेंसिक रिपोर्ट देखना चाहती थीं, लेकिन रिपोर्ट उन्हें मिल ना सकी। 

डॉ. बंसल ने यह भी आरोप लगाया कि उनके फोन को टैप किया गया। उन्होंने कहा कि बिनी किसी सबूत के किसी को नक्सली घोषित करना सही नहीं है। उनके सर्थन में सांसद विवेक तन्खा ने भी ट्वीट किया था। उन्होंने कहा कि डॉ. बंसल बेहद संवेदनशील इंसान प्रतीत होती हैं और योगी आदित्यनाथ को खुश करने के लिए उन्हें परेशान करना सही नहीं होगा।