Hathras Case: नक्सल भाभी कहे जाने से खफ़ा डॉ राजकुमारी कानूनी एक्शन की तैयारी में

MP Doctor Vilified: जबलपुर मेडिकल कॉलेज ने डॉ राजकुमारी पर कार्रवाई की बात कही, विवेक तन्खा ने कहा मानवीयता को अपराध न बनाएं

Updated: Oct 11, 2020, 06:00 PM IST

Photo Courtesy: India Today
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जबलपुर/भोपाल। हाथरस गैंगरेप कांड में पीड़ित परिवार की मदद करने के कारण निशाने पर आईं मध्य प्रदेश की महिला डॉक्टर राजकुमारी बंसल ने कहा है कि वो अपने खिलाफ चलाए जा रहे तरह-तरह के दुष्प्रचार से बेहद आहत हैं। उन्होंने अपने ऊपर लगाए जा रहे तमाम आरोपों को बेबुनियाद और मनगढ़ंत बताया है। जबलपुर मेडिकल कॉलेज में फॉरेंसिक विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉक्टर राजकुमारी का कहना है कि वे इंसानियत के नाते हाथरस पीड़िता के परिवार  की मदद करने गई थीं, लेकिन पिछले कुछ दिनों से अचानक उन्हें कभी नकली भाभी तो कभी नक्सली भाभी कहकर बेवजह निशाना बनाया जा रहा है।

मेरे ऊपर लगे आरोप बेबुनियाद: डॉ. राजकुमारी बंसल

डॉक्टर बंसल ने अपने ऊपर लग रहे तमाम आरोपों के जवाब में अपना पूरा पक्ष मीडिया के सामने रखा है। उन्होंने कहा है कि पीड़ित परिवार से उनकी कोई रिश्तेदारी नहीं है। वे सिर्फ इंसानियत के नाते हाथरस पीड़ित के घर गई थीं। डॉक्टर राजकुमारी ने एक चैनल से बातचीत में कहा कि हाथरस कांड की खबर ने उन्हें बुरी तरह विचलित कर दिया था। वे ठीक से सो भी नहीं पा रही थीं। इसी दौरान पीड़ित परिवार से मिलकर उसकी मदद करने और इंसान के नाते एकजुटता दिखाने का ख्याल उनके मन में आया। उन्होंने अपना एक महीने का वेतन भी उस परिवार को देने का फैसला किया। इसी इरादे से वे हाथरस पीड़िता के घर जा पहुंचीं। वे वहां कुछ देर रुककर लौट आने के इरादे से गई थीं, लेकिन पीड़िता के परिजनों को उनका इतनी दूर से आकर मदद करना बहुत अच्छा लगा। उन्हें लगा कि हमारे समाज की एक लड़की इतने दूर से आई है, तो उन्होंने कुछ दिन रुकने को कहा। डॉ राजकुमारी के मुताबिक उन्हें लगा कि अगर वे वहां रुक कर पीड़ित परिवार की कुछ मदद कर सकती हैं तो अच्छी बात है। इसके बाद उन्होंने अपना वापसी का रेल टिकट कैंसिल कराया और रुक गईं। डॉक्टर राजकुमारी ने मीडिया को यह भी बताया है कि वे एक फॉरेंसिक एक्सपर्ट होने के नाते पीड़िता की मेडिकल रिपोर्ट्स को बारीकी से देखना चाहती थीं, लेकिन उन्हें वे रिपोर्ट्स मिल नहीं सकीं।

न कोई नक्सल कनेक्शन, न झूठे बयान दिए: डॉ. राजकुमारी

टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक डॉक्टर राजकुमारी ने उन्हें यह भी बताया कि वे 4 अक्टूबर को पीड़िता के परिवार से मिलने हाथरस पहुंची थीं और 6 अक्टूबर को जबलपुर लौट आईं। खुद को नक्सली और नकली भाभी कहे जाने से खफा डॉक्टर राजकुमारी का कहना है कि इन झूठे आरोपों से वे बेहद हैरान हैं। वे पूछती हैं कि कोई भी बिना किसी सबूत के किसी को नक्सली कैसे बोल सकता हैं? वे कहती हैं कि उन्होंने खुद को पीड़िता की भाभी कभी नहीं बताया। डॉक्टर राजकुमारी ने पीड़ित के परिजनों और गांव वालों को भड़काने और झूठी बयानबाजी करने के आरोपों को बेबुनियाद बताया है।

डॉ. राजकुमारी ने फोन टैप किए जाने की शिकायत की

एक अखबार में छपी रिपोर्ट के मुताबिक डॉ. राजकुमारी ने अपने फोन की टैपिंग किए जाने का आरोप लगाया है। ये भी बताया है कि इस मामले में उन्होंने जबलपुर की सायबर सेल में शिकायत दर्ज कराई है। 

डॉक्टर राजकुमारी को नोटिस

इस बीच, अखबार में छपी खबरों के मुताबिक जबलपुर मेडिकल कॉलेज के डीन डॉक्टर पीके कसार ने कहा है कि सरकारी नौकरी में होने के बावजूद डॉ राजकुमारी बंसल का हाथरस जाकर आंदोलन में शामिल होना गंभीर मामला है। उन्होंने कहा कि डॉ. राजकुमारी बंसल को इस बारे में नोटिस जारी करके स्पष्टीकरण मांगा जाएगा और सरकार के नियमों के मुताबिक उन पर कार्रवाई भी की जाएगी। आपको बता दें कि डॉक्टर राजकुमारी जबलपुर मेडिकल कॉलेज में ही फॉरेंसिक विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर हैं।

डॉ. राजकुमारी के बचाव में आए कांग्रेस सांसद विवेक तन्खा

कांग्रेस के राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ वकील विवेक तन्खा ने इस पूरे मामले में डॉक्टर राजकुमारी बंसल का बचाव किया है। उन्होंने ट्विटर पर लिखा है, “मप्र सरकार को मेरा आग्रह : डॉ. राज कुमारी बंसल को योगी आदित्य नाथ जी कहने से या ख़ुश करने के उद्देश से परेशान करना ग़लत होगा। समाज में ऐसे बहुत लोग हैं जो हाथरस जैसी घटना से इमोशनली प्रभावित हो जाते हैं।@ChouhanShivraj विक्टिम परिवार से मिलने जाना मानवता का भाव है अपराध नहीं।”

 

 

विवेक तन्खा ने यह भी लिखा है कि एक टीवी चैनल में डॉ. राजकुमारी बंसल का इंटरव्यू देखकर उन्हें लगा कि वे बेहत संवेदनशील महिला हैं, जिनका दिल हाथरस की घटना से द्रवित था। वे अपना एक महीने के वेतन का चेक भी पीड़ित परिवार को देकर आई हैं। ऐसी भावनाशील व्यक्ति को कोई अपराधी बताना गलत है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश की एसआईटी किसी को बिना अपराध के, ज़बरदस्ती कोई झूठी कहानी जड़कर गिरफ्तार नहीं कर सकती।